मुस्लिम बिरादरी में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का बहुत क्रेज है। यदि किसी मुस्लिम बच्चे का इन दोनों में से किसी एक संस्थान में नामांकन हो जाता है तो यह माना जाता है उस बच्चे का अब कैरियर बन जाएगा। लेकिन पिछले कुछ सालों से दोनों संस्थानो के छात्र-छात्राओं के आईएएस-आईपीएस बनकर बुलंदियों को छूने की खबरें तो कम आ रही है, लेकिन देश विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के चलते दोनों विश्वविद्यालय विवादित जरूर बन चुके है।
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे छात्र मीरान हैदर का भी कुछ इसी तरह का कारनामा रहा। कहने के लिए तो वह पीएचडी अध्ययनरत छात्र था लेकिन उसने जामिया हिंसा के बाद उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगों की स्क्रिप्ट लिखी थी। इसके अलावा वह दंगों में इस्तेमाल धन की फंडिंग के लिए भी जिम्मेवार था। मूल तौर पर बिहार के सिवान के रहने वाले इस छात्र की मंशा राजनीति में आकर मुस्लिम पोलिटिक्स करना था। उसने आम आदमी पार्टी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल का भी झंडा ढोया, लेकिन उसे मुस्लिम राजनीति करने का असली मौका मिला Anti-CAA आंदोलन में। मोदी सरकार का विरोधी तो वह था ही, जब नागरिक कानून (CAA) पास हुआ और कट्टरपंथी मुस्लिम सड़क पर उतरे तो मीरान हैदर ने बढ़-चढ़कर उसकी अगुवाई की।
गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून ( UAPA) समेत अन्य धाराओं में गिरफ्तार मीरान हैदर ने दिल्ली में फरवरी में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों के सिलसिले में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। वह लालू यादव की पार्टी राजद के युवा विंग की दिल्ली इकाई का अध्यक्ष भी रहा। उसे दिल्ली पुलिस ने दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उसने दिल्ली पुलिस को बयान दिया कि जामिया हिंसा के बाद उत्तर पूर्व दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की योजना बनाई गई थी। केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 हटाने, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाबरी मस्जिद के फैसले और फिर CAA के लागू होने से उसके मन में देश, सुप्रीम कोर्ट और मोदी सरकार के खिलाफ गुस्सा और नफरत भर गया था। उसने सरकार के खिलाफ मुसलमानों को एकजुट करने के बारे में सोचा। उसने केंद्र के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के लिए मुस्लिम समाज के लोगों को आह्वान किया। इसके लिए उसने कई राज्यों का दौरा किया और CAA-NRC के खिलाफ अपने कौम के लोगों को उकसाया।
इस आरोपी का कहना है कि 15 दिसंबर, 2019 को JCC (जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी) का गठन किया गया। इस JCC के नाम से ही व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया, जिस पर आगे की प्लानिंग होने लगी। इसी ग्रुप में AAJMI ( Allumani Association of Jamia Milliya islamaiya) और कई छात्र संगठन भी शामिल थे।
उसे दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन और दंगों के लिए भीड़ इकट्ठा करने के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं की देखरेख करने का काम सौंपा गया। उसने खुलासा किया कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों के लिए फंड उपलब्ध कराया था। इसे देखरेख का जिम्मा भी उसे ही दिया गया। उसने खुद दंगों के लिए लगभग 5 लाख रूपए इकट्ठा किए। फंडिंग किए गए धन से दंगे में इस्तेमाल सामग्री खरीदे गए थे।
मीरान हैदर ने दिल्ली पुलिस को बताया कि दिल्ली के मुस्लिम बहुल इलाकों जाफराबाद और सीलमपुर को पहले दंगों के लिए चुना गया था, जिसके लिए मीरान और अन्य लोगों ने चाकू, पेट्रोल और पत्थर आदि इकट्ठा किए थे। दंगों से पहले उसने एक रजिस्टर तैयार किया था, जिसमें उसने इस उद्देश्य के लिए एकत्रित किए जा रहे सभी फंड्स का रिकॉर्ड रखा था।
मीरान हैदर के मुताबिक दिल्ली में दंगा करवाने के लिए सबसे पहले सीलमपुर और जाफराबाद को इस वजह से चुना गया था, क्योंकि मुस्लिम बाहुल्य इलाके में ऐसी गतिविधियाँ चलाना उन्हे ज्यादा आसान लगा।
मीरान हैदर ने खुलासा किया कि दंगे की स्क्रिप्ट को तीन हिस्सो में बाँटा गया। इनमें पहला प्रोटेस्ट, दूसरा रोड ब्लॉक और आखिर में भयानक दंगे शामिल थे। उसने बताया की वह दंगों के पहले से ही जेनयू (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद और खालिद सैफी को जानता था। इसके अलावा उसके संपर्क शरजील इमाम, सफूरा जरगर, ताहिर हुसैन, देवांगन कलिता तथा नताशा नरवाल आदि से रहे हैं।
उसकी महत्वाकांक्षा बड़ा नेता बनने की थी। वह राजद के विवादास्पद नेता शहाबुद्दीन से बेहद प्रभावित रहा है जबकि वह साल 2014 से 2017 तक आम आदमी पार्टी में था, लेकिन नगर निगम चुनाव लड़ने के लिए टिकट ना मिलने पर साल 2017 में आम आदमी पार्टी छोड़ राजद में शामिल हो गया था। इसकी गिरफ्तारी पर उस समय राजद के राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने #FakeNews फैलाते हुए ट्वीट किया था, दिल्ली पुलिस ने उसे जाँच के लिए बुलाया था, लेकिन ऊपर से आदेश आने के बाद मीरान हैदर को गिरफ्तार कर लिया गया जो कोरोना वायरस महामारी के समय लोगों की मदद कर रहा था। बात बिलकुल साफ है।
इस पर टिप्पणी करते हुए पुलिस ने बताया कि हैदर के खिलाफ दंगों को भड़काने और साजिश के सबूत मिले हैं। इस वजह से उसकी गिरफ्तारी की गई है, इसके बाद राष्ट्रीय जनता दल ने चुप्पी ओढ़ ली। साफ है कि एक समय देश विभाजन का गढ़ रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की विभाजनकारी ताकतें आज जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और JNU में भी जड़ जमा चुकी हैं। मुस्लिम राजनीति के नाम पर देश को तोड़ने से लेकर दंगे तक की साज़िश यहां रची जाती हैं, जिन्हें राजद, आपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट आदि पार्टियों का पूरा शह मिलता है।
देश की जनता की आंखों से पर्दा हटाने के लिए आप की पूरी टीम का बहुत – बहुत धन्यवाद।