दिल्ली दंगों को लेकर एक और गिरफ्तारी की गई है। यह गिरफ्तारी उस भारत विरोधी शख्स की है, जिसने अपने जहरीले बोल से दिल्ली में हुए दंगे में हिंसा को बढ़ावा दिया था। दिल्ली पुलिस का कहना है कि उमर खालिद की गिरफ्तारी गैर-कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत की गई है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र रहे उमर खालिद को इससे पहले रविवार को सम्मन देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जहां उससे करीब 11 घंटे तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।
दिल्ली पुलिस की मानें तो उमर खालिद का नाम दिल्ली दंगों की लगभग हर चार्जशीट में है। दिल्ली पुलिस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दिल्ली आने के पहले उसके भाषण और दिल्ली में आरोपियों के साथ हुई उसकी बातचीत के कॉल रिकार्ड, आरोपियों के साथ मीटिंग और आरोपियों के बयानों में उसे मुख्य साज़िशकर्ताओं में शामिल किया है।
इसकी गिरफ्तारी के बाद ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ नामक संस्था जिसका सदस्य उमर खालिद है ,उसने बयान जारी करते हुए कहा है 11 घंटे की पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद को दिल्ली दंगा मामले में “साजिशकर्ता” के रूप में गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस दंगों की जांच की आड़ में विरोध प्रदर्शन को अपराध की श्रेणी में घसीट रही है जबकि सीएए और यूएपीए के खिलाफ लड़ाई भयभीत करने की इन सभी कोशिशों के बावजूद जारी रहेगी। संस्था ने आगे कहा, अभी हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि उमर खालिद को समुचित सुरक्षा दी जाए। दिल्ली पुलिस को हर तरह से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। इससे पहले कई बार दिल्ली पुलिस उमर खालिद से पूछताछ कर चुकी है।
पुलिस का कहना है कि दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने बाले उमर खालिद के खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद ही उसकी गिरफ्तारी सुनिश्चित की गई है। पूर्व में हुई पूछताछ के बाद उमर खालिद को भी अपनी गिरफ्तारी का भय सता रहा था। इस वजह से उसने दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें उसने कहा था कि स्पेशल सेल और क्राइम ब्रांच दिल्ली दंगों को लेकर उसे फंसाना चाहती है और इसको लेकर उसे मदद प्रदान की जाए।
गौरतलब हो कि दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों को लेकर जेएनूय के इस पूर्व छात्र के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत केस दर्ज कर रखा था। इस मामले को लेकर एक अगस्त को हुई पूछताछ के बाद उसका मोबाइल भी जब्त कर लिया गया था।
दिल्ली पुलिस का स्पष्ट कहना है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगों से पहले उमर खालिद ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिससे वहां रहने वालेे दो समुदाय के बीच हिंसा को बढ़ावा मिला। इसके बाद दंगे में करीब 53 लोगों की जान चली गई थी। पुलिस का कहना है कि दिल्ली में फरवरी 2020 में हुई हिंसा सुनियोजित थी। इसके लिए उमर खालिद और उसके सहयोगियों ने जो कि अलग-अलग संगठनों से जुड़े हैं, मिलकर इस हिंसा की साजिश रची थी। इस आरोपी ने भड़काऊ भाषण देकर मुस्लिम समाज के लोगों से सार्वजनिक यातायात अवरुद्ध करने और सड़कों पर उतरने की अपील की थी ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के दौरान अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का ध्यान अपनी और खींचा जा सके।
इससे पहलेे भी यह आरोपी जेएनयू में देश विरोधी नारे लगा चुका है, जिसको लेकर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। अपने विवादास्पद बयानों से सुर्खियों में आए उमर खालिद ने पूर्व में भी यह बयान दिया था कि कश्मीर को भारत से मुक्त कर देना चाहिए। उस पर जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन कर हिंदू देवी दुर्गा के अपमान किए जाने का भी आरोप है।
खालिद के पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में ही ऊर्दू की मैगजिन ‘अफकार-ए-मिल्ली’ चलाते हैं।उसने अपने बेटे की गिरफ्तारी को लेकर विरोध जताया है। पुलिस का कहना है कि उमर खालिद जेएनयू में स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी किए जाने के अलावा हिस्ट्री में एमए और एमफिल कर चुका है। उस पर देश विरोधी गतिविधियों में लगातार शरीक होने के चलते दिल्ली में हमला भी हो चुका है। यह आरोपी लगातार देश में सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश में सक्रिय रहा है।