दिल्ली हिंसा को लेकर कोई एक मास्टरमाइंड नहीं है। पुलिस का मानना है कि अलग-अलग स्थानों पर हुए दंगों में भीड़ का नेतृत्व अलग-अलग समूह कर रहा था। कुछ चेहरे पर्दे के पीछे रहकर दिल्ली को आग में झोंकना चाहते थे। ऐसे चेहरे को बेनकाब करने के लिए जांच टीम लगातार जुटी हुई है।
कोर्ट में पेश किए गए चार्जशीट में मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन और कुछ अन्य आरोपियों को दंगा भड़काने का मास्टमाइंड बताया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी, मनीष सिसोदिया, वारिस पठान, प्रियंका गांधी और अमानतुल्ला खान की ओर से दिए गए बयानों की जांच की जा रही है। इनके बयानों का दंगों से कोई संबंध मिला तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
दिल्ली पुलिस ने हलफनामे में यह स्पष्ट किया है कि वारिस पठान, सलमान खुर्शीद, असदुद्दीन ओवैसी के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को भड़काने के मामले में भी जांच चल रही है और इन लोगों के खिलाफ भी यदि कोई मामला बनता है तो कार्रवाई की जाएगी।
वैसे सूत्रों का कहना है कि दंगों को लेकर विभिन्न दलों के नेताओं की भूमिका को लेकर दिल्ली पुलिस जल्दबाजी में कोई भी कदम उठाना नहीं चाहती है। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, सांसद प्रवेश वर्मा और अभय वर्मा के मामले में भी हलफनामे के जरिए कहा गया है कि हिंसा में उनकी भूमिका को लेकर अब तक कोई सबूत नहीं मिले हैं। इस वजह से कोई नया प्राथमिकी दर्ज करने की जरूरत नहीं है। अगर आगे कोई सबूत मिला तो जांच की जाएगी।
दरअसल दिल्ली पुलिस दंगों को लेकर राजनीतिक रंग देने से बचना चाहती है, लेकिन इसके बावजूद कुछ नेता रडार पर हैं। उधर दिल्ली पुलिस दंगे में खलनायक साबित हुए आम आदमी पार्टी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन तथा कुछ अन्य आरोपियों पर नकेल कसने के हर संभव उपाय किए हैं। सांप्रदायिक हिंसा के मुख्य आरोपी अरविंद केजरीवाल की पार्टी के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन इन दिनों जेल में बंद है और उसके खिलाफ दाखिल चार्जशीट में उसके दो कर्मचारियों को गवाह बनाया गया है। दोनों कर्मचारियों ने बताया है कि दंगों से पहले ताहिर हुसैन क्या कर रहा था और दंगे के दिन उन्होंने घटनास्थल पर क्या-क्या देखा?
चार्जशीट के मुताबिक, ताहिर हुसैन के दोनों कर्मचारियों ने ताहिर हुसैन को बहुत ही गोपनीय’ तरीके से कई व्यक्तियों से बातचीत में दंगेे की रूपरेखा तैयार करते हुए देखा और सुना था। गिरीश और राहुल नामक दोनों कर्मियों ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा कि 24 फरवरी को वह खजूरी खास इलाके में हुसैन के ऑफिस में मौजूद थे। दोपहर में उन्होंने ताहिर हुसैन के घर के बेसमेंट पर कई लोगों को इकट्ठा होते हुए देखा था। ताहिर हुसैन जिनसे बात कर रहे थे उनमें आरोपी शाह आलम, इरशाद, आबिद, अरशद प्रधान, राशिद, शादाब और अन्य कुछ आरोपी शामिल थे। बाद मेंं इन सभी आरोपियों ने दंगे में मुख्य भूमिका निभाई।
एक अन्य गवाह राजबीर सिंह का कहना था कि वह ताहिर हुसैन के घर के पास एक पार्किंग स्थल पर शादी के भोजन की तैयारियों की देखरेख कर रहा था। दोस्त की बहन की शादी के लिए बनाया गया खाना भीड़ ने बर्बाद कर दिया था। इतना ही नहीं आरोपी रियाकत अली ने उससे रुपये लूट लिए थे। एक अन्य गवाह ने कहा कि ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर मौजूद था और पत्थर फेंक रहा था। वह अपने साथ मौजूद अन्य लोगों को निर्देश दे रहा था, जो पार्किंग की तरफ पत्थर और पेट्रोल बम भी फेंक रहे थे।
पुलिस ने चांद बाग हिंसा मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दंगों का मेन मास्टरमाइंड बताया है। इसमें ताहिर के अलावा उनके भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है। चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि हिंसा के वक्त ताहिर हुसैन अपने घर की छत पर था और उसने ही हिंसा भड़काने का काम किया था। ताहिर की लाइसेंसी पिस्टल, जिसका उसने दंगे के वक्त इस्तेमाल किया था, उसे जांच के दौरान पुलिस ने जब्त किया था। पुलिस के मुताबिक हुसैन ने दंगे से ठीक एक दिन पहले खजूरी खास पुलिस स्टेशन में जमा अपनी पिस्टल निकलवाई थी। पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि हिंसा से पहले ताहिर हुसैन ने CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल लोगों से बातचीत की थी। इसमें जेएनयू का पूर्व छात्र उमर खालिद भी शामिल था।
गौरतलब है कि नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा के बाद 24 फरवरी को पूर्वोत्तर दिल्ली में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गए थे। क्रमशः…
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