देशद्रोही सोच रखने वाला शातिर शख्स उमर खालिद का अगला पता जेल है। दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल 10 दिनों का रिमांड खत्म होने के बाद उसे अदालत में पेश किया। जहां से उसे 22 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
उमर खालिद और उसके वकील के आग्रह पर कोर्ट ने जेल जाने से पहले उमर खालिद को माता-पिता से मिलने की इजाजत दी जबकि उसे जेल में रहने के दौरान किताब पढ़ने के लिए एक चश्मा चाहिए, जिस पर अदालत ने कहा है कि वह चश्मा मुहैया कराने के लिए एक आवेदन दाखिल करे।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र रहे और देश विरोधी विचारों वाले उमर खालिद को दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में भड़की हिंसा के संबंध में स्पेशल सेल ने कठोर गैरकानूनी गतिविधियां(रोकथाम) अधिनियम के तहत 13 सितंबर को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद उसे दंगों को लेकर पूछताछ के लिए 10 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था।
बृहस्पतिवार को पुलिस रिमांड पीरियड समाप्त होने के बाद उसे कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत के समक्ष वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया। जहां से उसे 22 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में जाने के लिए कहा गया है।
उमर खालिद और उसके वकील के आग्रह पर कोर्ट ने उसे जेल जाने से पहले उसके माता-पिता से मिलने की इजाजत दी और खालिद के वकील को उसे चश्मा मुहैया कराने के लिए एक आवेदन दाखिल करने के लिए कहा। उसके वकील का कहना है कि उमर खालिद को सुरक्षा मुहैया कराने के बाबत भी एक आवेदन दाखिल किया जाएगा। उमर खालिद ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया, पुलिस हिरासत के 10 दिन के अंदर, मैंने किसी पेपर या बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। उसने आगे कहा कि वह अपने साथ एक किताब रखना चाहता है, जो उसे पढ़ रहा था।
सुनवाई के दौरान उमर खालिद का वकील त्रिदिप पेस ने कहा कि उसे झूठे तरीके से फंसाया गया है और उमर खालिद तो दिल्ली में हुए दंगों के दौरान दिल्ली में ही नहीं मौजूद था। बेतुका तर्क देते हुए उसके वकील ने कहा दिल्ली दंगों के दौरान उसने केवल एक जगह अमरावती में भाषण दिया था। अदालत में उमर खालिद की ओर से कहा गया कि वो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का सदस्य नहीं है।
नागरिक कानून को लेकर उसके भाषणों का गलत मतलब निकाला गया। खालिद के वकील ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी कि इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि उसने दिल्ली दंगाईयों को धन मुहैया कराया जबकि खालिद ने कहा था कि उसके खिलाफ यूएपीए के तहत लगाए गए आरोप गलत हैं।
उमर खालिद और उसके वकील के प्रत्येक जवाब का दिल्ली पुलिस के वकील ने विरोध किया, जिस पर अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का फैसला लिया।
सनद रहे कि दिल्ली को दंगे की आग में झोंकने का मास्टरमाइंड कहा जाने वाला शातिर उमर खालिद को 13 सितंबर को करीब दस घंटे की पूछताछ के बाद स्पेशल सेल ने रात में गिरफ्तार कर लिया था। उससे पहले दो बार की हुई पूछताछ में उसका मोबाइल भी जब्त किया गया था। उमर खालिद को जब जेल जाने का भय सतानेे लगा तब उसने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को पत्र भेज कर गिरफ्तारी नहीं करने की गुहार लगाई थी।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि उमर खालिद को लेकर पूरक आरोप पत्र जल्द ही कोर्ट में दाखिल किया जाएगा। इससे पहले यूएपीए के तहत गिरफ्तार 15 आरोपियों के खिलाफ स्पेशल सेल ने 17000 पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। इस आरोप पत्र के दाखिल होने के साथ ही कोर्ट ने दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। पूर्व में दायर आरोपपत्र में
स्पेशल सेल ने ताहिर हुसैन को मुख्य आरोपी बनाया है। ताहिर हुसैन के अलावा जिन्हें आरोपी बनाया गया है ,उनमें इशरत जहां, मीरान हैदर, गुलफिशा खातून, सफूरा जरगर, शफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तान्हा, अब्दुल खालिद सैफी, शादाब अहमद, नताशा नरवाल, देवांगन कलीता, तसलीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान और अतहर खान के नाम शामिल हैं।