दिल्ली दंगे को लेकर निरंतर नए-नए सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। अभी तक की जांच में पुलिस ने आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को दंगे का मास्टरमाइंड बताया था लेकिन उसकी करतूत को देखकर उसे हैवान कहना ज्यादा उचित होगा। आरोप पत्र में यह भी बताया गया है कि किस तरह से जामिया से लेकर जाफराबाद तक महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर हिंसा की साजिश रची गई थी।
दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों को लेकर जो आरोप पत्र अदालत में दाखिल की है। उससे दंगे के मास्टरमाइंड कहे जाने वाले आरोपी निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन के चेहरे से नकाब उठने लगा है। जो लोग उसे लोकतंत्र में जन प्रतिनिधि मान बैठे थे, उसके लिए वह एक शातिर दरिंदा से कम नहीं था। आरोपपत्र में पुलिस ने दंगों के अहम गवाह एक कबाड़ी के बयान दर्ज किया है, जिसमें कहा गया है कि ताहिर हुसैन ने दिल्ली दंगों से करीब 10 दिन पहले 50 लीटर तेजाब और 100 तेजाब भरी बोतलें खरीदी थीं। इसका मकसद दंगे के दौरान दूसरे धर्म के लोगों पर इसका इस्तेमाल करना था।
गवाह ने बताया कि ताहिर हुसैन और उसके कुछ साथी उसकी कबाड़ की दुकान पर आए और बताया कि घर की छत पर सफाई का काम चल रहा है, जिसके लिए उसे भारी मात्रा में तेजाब की जरूरत है। गवाह ने बताया कि वह कबाड़ में पुरानी बैटरियां भी खरीदता है और उनके तेजाब को इकट्ठा करके बेचता है, इसलिए ताहिर हुसैन और उसके साथी उसके यहां तेजाब खरीदने के लिए आए थे। उसी दिन ताहिर हुसैन की दूसरी गाड़ी तेजाब लेने के लिए उसके दुकान तक आई और उसने गाड़ी में 50 लीटर तेजाब की कैन और अलग से 100 खाली बोतलों में तेजाब भरकर बोतलें दे दी।
इसके बाद कबाड़ी पेमेंट के लिए खुद भी उसी गाड़ी में सवार होकर ताहिर हुसैन के घर गया। गवाह ने बताया कि उसने ताहिर हुसैन के घर पर देखा की और भी बोतलें पहले से तेजाब से भरकर वहां रखी हुई थीं, जिन्हें देखकर वह घबरा गया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि इतना सारा तेजाब सिर्फ छत की सफाई में कैसे इस्तेमाल होगा ।
गवाह ने बताया कि ताहिर हुसैन के आदमी ने उसे 8000 रुपए दे दिए और वह वहां से चला आया था। आरोप पत्र में कहा गया है कि गवाह ने बताया कि जब दंगे भड़के और पता चला की दंगों में तेजाब की बोतलों का इस्तेमाल हो रहा है तब जाकर उसे पता चला कि तेजाब की बोतलें वही हैं जिन्हें उसने ताहिर हुसैन को बेचा था। उसे इसका पछतावा भी हुआ लेकिन उसे दंगे के बारे में पहले से कुछ पता नहीं था । दंगे को लेकर दायर आरोप पत्र में यह भी खुलासा हुआ है कि जाफराबाद में पुलिस पर हुए पथराव के लिए जहांगीरपुरी से महिलाएं और बच्चे भेजे गए थे।
पुलिस का कहना है कि दंगे भड़काने के लिए महिलाओं और बच्चों को ढाल बनाकर पेश किया गया था। पुलिस ने आरोप पत्र में उस गाड़ियों के चालको के बयान को भी दिखाया है, जिनकी गाड़ियों में महिलाएं और बच्चे जहांगीरपुरी से जाफराबाद गईं थी और बाद में वापस आ गई थी। आरोपपत्र में ड्राइवरों के जो बयान दर्ज हैं, उनके मुताबिक तबरेज नाम के व्यक्ति ने जहांगीरपुरी से शाहीन बाग के लिए 6 बसें और एक कैन्टर बुक किया था। बसों और केन्टर में अधिकतर महिलाएं और बच्चों के साथ कुछ आदमी थे और वे उन सभी को पहले जहांगीरपुरी से शाहीन बाग तक लेकर गए। बाद में महिलाओं और बच्चों को शाहीन बाग से जाफराबाद ले जाया गया था।
ड्राइवरों के बयान को पुलिस ने प्रमुखता से पेश करते हुए आरोप पत्र में कहा है कि सभी ड्राइवर अपनी गाड़ियों में अपनी-अपनी सवारियों को भरकर जाफराबाद चले गए और गाड़ी वहां स्थित एक पुल के पास सड़क किनारे लगा दी। बयान के मुताबिक कुछ घंटों के इंतजार के बाद जब सभी महिलाएं वापस लौटे तो जल्दी से वापस जहांगीरपुरी को लौटने के लिए कहने लगे।
एक ड्राइवर ने बताया कि बुर्के में बैठी कुछ महिलाएं कह रही थीं कि उन्होंने पत्थरबाजी की है। इसके बाद सभी ड्राइवरों ने बताया कि उन्होंने अपनी-अपनी सवारियों को वापस जहांगीरपुरी छोड़ दिया और जहांगीरपुरी पहुंचने पर तबरेज ने उन्हें बसों का किराया भी दिया था।
आरोपपत्र में ही उल्लेख है कि प्रदर्शन स्थल पर मुस्लिम महिलाओं को भीड़ जुटाने और पुलिस को गुमराह करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इन महिलाओं के बीच तिरंगा छाप चूड़ियांं भी दी गई थी।
इसका खुलासा करते हुए दंगे के मामले में गिरफ्तार खालिद ने पुलिस पूछताछ में बताया है कि ये चूड़ियां स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव के जरिए मंगवाई गई थीं।
आरोपपत्र में कहा गया महिलाओं की भीड़ जुटाने तथा पुलिस को बल प्रयोग से रोकने के लिए महिलाओं को प्रदर्शन स्थल पर टिकाए रखना जरूरी था ,इस वजह से यह चूड़ियां बांटी गई थी ।
आरोपी खालिद ने पुलिस को दिए बयान में कबूला कि लगभग 100 दर्जन तिरंगा चूड़ियां प्रदर्शनकारियों के लिए मंगवाई गई और ये तरीका महिलाओं की भीड़ को जुटाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
इस तरह के प्रदर्शन के समय गुप्तचर विभाग की सक्रियता की जरुरत है।