दिल्ली दंगे में करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। जानकारी के अनुसार स्पेशल सेल इन दिनों पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और ताहिर हुसैन के बैंक खातों की जांच कर रही है और जांच के दौरान यह पता चला है कि दंगों से पहले पीएफआई के खाते में लगभग 100 करोड़ रुपये की फंडिंग की गई थी। उधर, ताहिर हुसैन और एक अन्य महिला आरोपी को अभी जेल में ही रहना पड़ेगा।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि दिल्ली दंगों को लेकर बहुत जल्द खुलासा होने वाला है कि दंगों के लिए फंडिंग किसने की थी। वैसे सूत्रों ने दावा किया है कि स्पेशल सेल द्वारा फंडिंग मामले की जांच अब अंतिम चरण में है।
जांच के दौरान यह पाया गया है कि पूर्व निगम पार्षद ताहिर हुसैन, उमर खालिद, मीरान हैदर, खालिद सैफी सहित अन्य साजिशकर्ताओं ने दंगों के दौरान दंगाइयों के बीच रुपये बांटे थे। दंगों से पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया(PFI) के बैंक खातों में देश-विदेश से लगभग 100 करोड़ रुपये आए थे और जांच में जुटी स्पेशल सेल अब यह पता लगा रही है कि यह रुपये कौन-कौन बैंक खातों के जरिए पीएफआई के खाते में आए थे। बड़ी मात्रा में पैसे संदिग्ध संस्थाओं और हवाला के जरिए भी मुहैया कराए जाने की बात उजागर हुई है और जांच टीमें सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर जांच कर रही है।
उधर जेल से बाहर आने के लिए छटपटा रहा आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के तीन मामलों में जमानत अर्जी पर सुनवाई टाल दी गई। अब अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि ताहिर हुसैन से जुड़े चांदबाग पुलिया के पास हुई हिंसा के सभी मामलों की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज चौधरी करेंगे। पिछले सुनवाई के दौरान मनोज चौधरी ने तीनों मामलों की सुनवाई टालने की मांग की, जिसके बाद एडिशनल सेशंस जज विनोद यादिव ने 5 अक्टूबर को सुनवाई करने का आदेश दिया। तीनों मामले दयालपुर थाने के हैं और इनमें एक मामला दयालपुर थाने में दर्ज एफआईआर नंबर 120 का है जबकि एफआईआर में ताहिर हुसैन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 427, 436 और 120बी के तहत आरोप दर्ज हैं। दूसरी एफआईआर भी दयालपुर थाने में दर्ज है और इसमें एफआईआर नंबर 117 में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149, 427, 436 और 120बी के तहत आरोप दर्ज हैं।
एक और मामला भी दयालपुर थाने का ही है। इस एफआईआर नंबर 80 में भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148,149,427,436 और 120बी के अलावा प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रोपर्टी एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत मामला दर्ज हैं। इस बीच हिंसा के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या के मामले में एक महिला आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने कहा आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर हैं और स्वतंत्र गवाहों ने उसकी पहचान की है। इस वजह से आरोपी तबस्सुम की जमानत नहीं दी जा सकती है।