काफिरों को बाहर निकालो! किसी को जिंदा नहीं छोड़ेंगे! उनकी इज्जत और दौलत दोनों को लूट लेंगे! फिर ‘अल्लाह-हो-अकबर’ करते हुए बहसी दंगाई एक मिठाई के दुकान में घुस गए और उन लोगों ने दुकान में तोड़फोड़ मचाना शुरू कर दिया।
यह इसी साल 24 फरवरी की बात है जब मिठाई दुकान में बतौर बेटर काम करने वाले दिलबर नेगी की दंगाइयोंं ने निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। उसका शव क्षत-विक्षत हालत में बृजपुरी के अनिल स्वीट हाउस में पाया गया था। अगले दो दिनों तक दिल्ली दंगे की आग में धधकती रही और दिलबर नेगी की कोई सुध लेने वाला नहीं था।
26 फरवरी 2020 को जब दंगे की आंच की लौ धीमी पड़ी तब मिठाई की दुकान के अंदर एक शख्स का शव इतनी बुरी तरह जली हुई हालत में मिला कि जले हुए सामान के बीच में केवल उसका जला हुआ शरीर का कुछ हिस्सा नजर आ रहा था। उसके साथ इतनी हैवानियत की गई थी कि उसके दोनों हाथों को काट दिया गया था।
पुलिस ने जांच में पाया 24 फरवरी के दिन शिव विहार तिराहा के पास के कई दुकानों में तोड़फोड़ और पत्थरबाजी की गई थी। सारे दुकान और प्रतिष्ठान हिंदुओं के थे और दंगाइयों ने एक बुक स्टोर और मिठाई की दुकान में घुसकर तोड़फोड़ के बाद दोनों दुकानों को आग लगा दी थी। दंगाइयों ने एक स्कूल के गोदाम में भी पहुंचकर तोड़फोड़ की थी। इन्हीं दुकानों में से एक मिठाई की दुकान में काम करने वाले दिलबर का शव पुलिस को 26 तारीख को मिला था।
पहाड़ी मासूम दिलबर नेगी के शव के दोनों हाथ कटे हुए थे जबकि उसको पहचानना भी मुश्किल हो रहा था। इस बर्बरता को अंजाम देने के बाद उसके ऊपर पेट्रोल डालकर जला दिया गया था। बाद में इस बाबत मामला दर्ज किया गया और आरोपियों की धरपकड़ शुरू की गई।
इस मामले में पकड़े गए दंगाइयों ने पुलिस को बयान दिया कि 24 फरवरी को जाफराबाद में दंगे शुरू हो गए थे। धीरे-धीरे दंगे यमुनापार में फैल गए। दोपहर लगभग 3 बजे मुस्लिम समुदाय के काफी लोग शिव विहार तिराहा पर इकट्ठा होने लगे और हिंदू घरों पर पथराव शुरू कर दिया। मुस्तफाबाद में बहुत से लोग इकट्ठे हुए और कहने लगे कि मुसलमानों को देश से निकाल दिया जाएगा और आज हमें उन्हें मुसलमानों की ताकत दिखानी होगी।
देखते ही देखते ‘अल्ला-हो-अकबर’ की नारेबाजी शुरू हो गई। मुस्लिम दंगाइयों ने हिंदुओं के खिलाफ भी नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद दुकानों में घुसकर मारपीट करने के बाद आग लगा दी गई। इसके बाद वहां मौजूद भीड़ ने ‘अल्लाह-हो-अकबर’ करते हुए हिंदू घरों में गुलेल का उपयोग करके पत्थर फेंकना शुरू कर दिया था।
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने 70 पेज की चार्जशीट दायर कर दी है। इस हत्याकांड में 12 लोगों को आरोपी बनाया गया है। मुख्य आरोपी शहनवाज है। चश्मदीदों ने भी पुलिस को बताया कि लोगों को सबसे ज्यादा शहनवाज ही भड़का रहा था।
हत्या के अलावा आरोपियों पर आपराधिक साजिश, दंगा करने और समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने का भी आरोप लगाया गया है। शहनवाज, सलमान और सोनू सैफी सहित 12 लोग आरोपी हैं। सलमान ने सोनू सैफी से हथियार लिया था। वह उसने इस्तेमाल करने के बाद सोनू को वापस कर दिया था। चार्जशीट में करीब 50 लोग गवाह हैं।
चार्जशीट में बताया गया है कि 24 फरवरी को दिलबर नेगी रात में करीब 9 बजे गोदाम पर खाना खाने के बाद सो रहा था । दिलबर नेगी स्वीट शॉप पर काम करता था। अचानक भीड़ आ गई और दिलबर नेगी को पीटने के बाद उसको जिंदा जला दिया। दिलबर ने दंगाइयों से घिरने से पहले अपने जानने वाले को फोन भी किया था कि वह फंस गया है। रात में 9.07 बजे तक उसकी बात हुई और फिर उसका फोन स्विच ऑफ हो गया था।
मुख्य आरोपी शहनवाज, दिलबर नेगी को जानता था, क्योंकि शहनवाज के घर के पास ही अनिल स्वीट शॉप है जहां दिलबर काम करता था। इस मामले में CCTV फुटेज भी अहम हैं, जिसमें 12 आरोपी दंगा करते हुए नज़र आ रहे हैं। दिल्ली हिंसा की जांच कर रही विशेष जांच दल (एसआईटी) की टीम ने 7 मार्च को दिलबर नेगी की हत्या के आरोप में शहनवाज को गिरफ्तार किया । गोकुलपुरी थाना पुलिस ने शहनवाज के खिलाफ आईपीसी की धारा147/148/149/302/201/436/427 के तहत एफआईआर दर्ज की थी। सभी आरोपी अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
आरोपियों के इकबालिया बयान के अनुसार 12 में 9 आरोपियों के बयान लगभग एक जैसे थे। बाकी के तीन आरोपियों के बयान अलग-अलग हैं। जहां वो बताते हैं कि पिस्तौल कैसे मिली और इस दंगा में कौन कौन शामिल थे। इनमें एक ने स्वीकार किया कि उसने हिंदुओं पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दी थी। कितने को गोली लगी उसे नहीं पता।
उत्तराखंड का रहनेे वाला युवक दिलबर नेगी उन लोगों में से है जिसकी हत्या हिंसा के दौरान सबसे ज्यादा क्रूरता से की गई थी। क्रमश…
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