राजस्थान के सीकर के रहने वाले हवलदार रतनलाल दिल्ली पुलिस में साल 1998 में भर्ती हुए थे। उनकी तैनाती गोकुलपुरी सब डिवीजन के एसीपी कार्यालय में थी। दिल्ली हिंसा के दौरान 24 फरवरी को उनको बुखार था। लेकिन उत्तर पूर्वी जिले में नागरिकता कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शन के दौरान उनकी ड्यूटी एसीपी अनुज कुमार सिंह के साथ लगाई गई थी।
पत्नी पूनम ने तबीयत खराब होने के चलते रतनलाल को छुट्टी लेकर घर में आराम करने के लिए कहा, लेकिन कर्तव्यनिष्ठ रतनलाल ने तपते बदन में भी ड्यूटी छोड़ना उचित नहीं समझा।
पुलिस की मानें तो चांदबाग में बहुत सारे लोग सड़क पर नागरिकता कानून के विरोध में सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान उत्तेजित प्रदर्शनकारी तोड़फोड़ से भी बाज नहीं आ रहे थे। शाहदरा डीसीपी अमित शर्मा और एसीपी अनुज कुमार उन्हें समझाने के लिए वहां गए । कम संख्या में पुलिस बल को देख अचानक से प्रदर्शनकारियों के बीच से लोगों ने पुलिस पर पथराव करना शुरू कर दिया। भारी संख्या में उग्र भीड़ में महिलाएं भी शामिल थीं। जिसने अफसरों को घेर लिया इसी भीड़ का शिकार हवलदार रतनलाल बने थे, जो पुलिस अफसरों को बचाने की वजह से लोगों के बीच फंस गए। भीड़ द्वारा उनकी पिटाई किए जाने के बाद उन्हें गोली मार दी गई। किसी तरह डीसीपी और एसीपी को वहां से निकाला गया। इनमें डीसीपी और एसीपी कई दिनों तक जख्मी होकर अस्पताल में भर्ती रहे थे।
मौके से कुछ दूरी पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में साफ दिख रहा है जख्मी डीसीपी अमित शर्मा को पुलिस बचाकर यमुना विहार की ओर सर्विस रोड पर ले जा रही है। वहां भी पुलिस वालों को देख भीड़ ने पथराव किया था। एक और कैमरे के फुटेज में दिख रहा है कि बेकाबू हुई भीड़ को देख पुलिसकर्मियों ने ग्रिल फांदकर अपने को बचाया था।
रतन लाल के परिवार में बारह साल की बेटी सिद्धि, दस साल की बेटी कनक और सात साल का बेटा राम है। रतनलाल राजस्थान के सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी स्थित तिहावली गांव के रहने वाले थे। रतनलाल के परिवार में उसकी मां संतरा देवी है जबकि पिता बृजमोहन बारी की मौत हो चुकी है । तीन भाईयों में रतनलाल सबसे बड़े थे। उनका एक छोटा भाई दिनेश गांव में ही खेतीबाड़ी और गाड़ी चलाकर परिवार का पेट भरता है। एक अन्य छोटा भाई रमाकांत बैंगलोर में रहकर निजी कामकाज करता है।
रतनलाल की पत्नी पूनम ने कहा, पहले उन्हें टीवी देखकर घटना के बारे में पता चला था। इस बीच पुलिस की ओर से बताया गया कि उनके पति जख्मी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया है। बाद में पति की मौत की सूचना मिली।
हिंसा में घायल हुए एसीपी गोकुलपुरी अनुज कुमार उन लम्हों को याद करते हुए बताते हैं उस दिन डीसीपी अमित शर्मा भी उन्हीं के सामने जख्मी हुए थे। हिंसा में शहीद हुए हेड कांस्टेबल रतन लाल भी उन्हीं के साथ थे। अनुज कुमार की मानें तो प्रदर्शन कर रहे लोग सर्विस लेन से सड़क पर आ गए थे। एक अफवाह फैली कि पुलिस की गोलियों से बच्चे मर गए हैं। इसने हिंसा को वहां भड़का दिया। उन्होंने बताया 24 तारीख की सुबह साढ़े 11 बजे और 12 बजे के आसपास मेरी, रतनलाल और बाकी कर्मचारियों की ड्यूटी चांदबाग मजार से 80 सौ मीटर आगे थी।
एक दिन पहले वहां पर वजीराबाद रोड को जाम किया था, जिसे देर रात को खुलवाया गया था। उस रास्ते को क्लियर रखने के निर्देश मिले थे। उस दिन धीरे-धीरे काफी लोग जमा हो गए थे। महिलाएं फ्रंट पर थीं। वजीराबाद रोड के पास हमने उन्हें समझाया। वे लगातार आगे बढ़ते रहे। सर्विस रोड की तरफ हमने उन्हें पीछे करने की कोशिश की। लेकिन अचानक भीड़ ने उन लोगों पर हमला कर दिया। इसके बाद वह जख्मी हो गए और उन लोगों को अस्पताल ले जाया गया। उपद्रवियों की भीड़ ने उस अस्पताल को भी निशाना बनाया जहांं पुलिस कर्मी भर्ती हुए थे।
चार्जशीट के मुताबिक जब भीड़ ने हमला किया तो रतन लाल वज़ीराबाद रोड पर पांच फीड ऊंचा डिवाइडर फांद नहीं सके। गोली लगने और पत्थर लगने के बाद वो गिर गए। रतन लाल को डंडों और रॉड से पीटा गया। उन्हें जीटीबी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनका पोस्टमॉर्टम 25 फरवरी को हुआ। चार्जशीट के मुताबिक उनकी मौत गोली लगने से हुई। कुल मिलाकर उनके शरीर पर 21 चोट के निशान थे। रतन लाल मौत मामले में 17 आरोपी 18 से 50 साल तक के हैं और ज्यादातर चांदबाग इलाके के रहने वाले हैं। कुछ प्रेम नगर, मुस्तफाबाद और जगतपुरी जैसे इलाकों के रहने वाले हैं।
एसआईटी ने 1100 पन्ने की चार्जशीट दाखिल करते हुए बताया कि इस मामले में 17 लोगों को आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया गया है और एसीपी समेत 60 से ज्यादा लोगों को गवाह बनाया गया है। रतनलाल की हत्या के मामले में अभी भी कई आरोपियों की गिरफ्तारी होना बाकी है। इन आरोपियों में कुछ महिलाएं भी शामिल हैं।
सबूत की बात करें तो CCTV फुटेज और मोबाइल वीडियो के अलावा मौके पर मौजूद चश्मदीद पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मियों के बयान को शामिल किया गया है।
चार्जशीट का सबसे चौंकाने वाला हिस्सा वह है जो समाज के तथाकथित सफेदपोश लेफ्ट-लिबरल्स को बेनकाब करता है। इसमें एक नाम दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व साथी और न्यूज चैनलों पर चबा-चबा कर हिंदुओं और देश के खिलाफ जहर उगलने वाले योगेंद्र यादव का है। इस मामलेे में दिल्ली पुलिस ने जो चार्जशीट दाखिल की, उसमें स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव का भी नाम है। उनके अलावा छात्र नेता कवलप्रीत कौर और वकील डीएस बिंद्रा के नाम चार्जशीट में शामिल हैं। हालांकि तीनों का नाम 17 आरोपियों की लिस्ट में नहीं है। योगेंद्र यादव के खिलाफ चार्जशीट में धाराएं दर्ज हैं। चार्जशीट में कहा गया है कवलप्रीत कौर, देवांगना कलिता, सफूरा, योगेंद्र यादव प्रदर्शन स्थल पर आते थे और भड़काऊ भाषण देते थे। साथ ही पब्लिक को हिंसा के लिए भड़काते थे। क्रमशः…