आखिरकार लंबे इंतजार के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार ने उत्तरी पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दिल्ली पुलिस को दे दी है। दिल्ली सरकार का कहना है कि हमने पुलिस के पास दर्ज दिल्ली दंगों से जुड़े सभी मामलों में मुकदमा चलाने की अनुमति पुलिस को दे दी है। अब यह देखना अदालत का काम है कि आरोपी कौन है।
दरअसल कई महीनों के विचार विमर्श के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पुलिस को यह स्वीकृति दी। उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के आरोपी उमर खालिद के खिलाफ UAPA (कठोर गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम ) के तहत केस चलाने के लिए पुलिस ने दिल्ली सरकार से मंजूरी मांगी थी लेकिन इस मामले को जानबूझकर लटका कर रखा गया ।
अब कई महीनों के विचार विमर्श के बाद दिल्ली सरकार ने पुलिस को यह स्वीकृति प्रदान की है जबकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद को सितंबर महीने में गिरफ्तार किया था। इससे पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारा लगाने के चलते भी उमर खालिद पर मुकदमा चलाए जाने की मंजूरी देने में दिल्ली सरकार ने काफी विलंब की थी। जबकि उमर खालिद का विवादों से नाता रहा है और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व इस छात्र नेता को इस वर्ष फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में उमर को कठोर गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था।
उमर खालिद पर आरोप है कि दिल्ली में दंगा शुरू होने से कुछ दिन पहले जाकिर नगर में गोपनीय मीटिंग कर दंगे की साजिश रची जबकि दिल्ली दंगे का मुख्य आरोपी मास्टर माइंड ताहिर हुसैन को उमर खालिद ने फंडिंग का भरोसा दिया था और इसके लिए पीएफआई के जरिये करोड़ों रुपये की फंडिंग की गई थी। कानून के अनुसार, UAPA के तहत किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाने से गृह मंत्रालय से मंजूरी लेना आवश्यक है।
फिलहाल, उमर खालिद न्यायिक हिरासत में है। दिल्ली सरकार सूत्रों का दावा है कि दिल्ली पुलिस को करीब एक सप्ताह पहले इसकी मंजूरी मिली जबकि बहुत जल्द दिल्ली हिंसा के मामले में उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ UAPA के तहत दिल्ली पुलिस पूरक चार्जशीट कोर्ट मे दाखिल करने जा रही है। इसके अलावा क्राइम ब्रांच भी उमर खालिद के खिलाफ चार्जशीट जल्द दाखिल करेगी। कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद की न्यायिक हिरासत 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी है।
दिल्ली पुलिस की तरफ से उनकी न्यायिक हिरासत 30 दिन और बढ़ाने की अर्जी लगाई गई थी। सनद रहे कि अक्टूबर में जब उमर खालिद को अदालत के समक्ष पेश किया गया था तो उनका कहना था कि उन्हें जेल में अपनी कोठरी से भी बाहर नहीं निकलने दिया जाता है। मुझे कोठरी से निकलने की बिल्कुल अनुमति नहीं दी जाती है। मैं अपनी कोठरी में अकेला हूं। किसी को भी मुझसे मिलने की अनुमति नहीं दी जाती।
व्यवाहारिक तौर पर मुझे एकांत में जैसे कैद कर दिया गया है। गौरतलब हो कि तीन दशक पहले उमर खालिद का परिवार महाराष्ट्र के अमरावती के तालेगांव से दिल्ली केे जामिया नगर आकर बसा था। उसके पिता सैयद कासिम रसूल इलियास दिल्ली में ही ऊर्दू की मैगजिन ‘अफकार-ए-मिल्ली’ चलाते हैं जबकि उमर खालिद जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंस से इतिहास में पीएचडी कर चुका है।
उसने जेएनयू से ही इतिहास में एमए और एमफिल भी की है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि उमर खालिद शातिर प्रवृत्ति का व्यक्ति है और अक्सर देश विरोधी बातें काकर मीडिया में सुर्खियां बटोरता है। जबकि उमर खालिद जिस डीएसयू संगठन से जुड़ा हुआ है वह सीपीआई माओवादी समर्थित छात्र संगठन माना जाता है।
9 फरवरी 2016 को जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाकर उमर खालिद चर्चा में आया था जबकि उस पर दिल्ली दंगा की साजिश रचनेे के अलावा जेएनयू कैंपस में हिंदू देवी देवताओं की आपत्तिजनक तस्वीरें लगाकर नफरत फैलाने की कोशिश किए जाने तथा आतंकी अफजल की फांसी पर मातम मनाते हुए देश विरोधी कार्य करने का आरोप है । यह आरोपी कई मौकों पर कश्मीर की आजादी की मांग को उठाता रहा है जबकि आरोप है कि 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में जब सीआरपीएफ जवानों की हत्या हुई थी तो उसपर जश्न मनाने वाले लोगों में शामिल रहा था ।
क्या इतने बड़े अपराधी को जिस पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल रहा है उसे केवल कैद में बंद करना ही उचित है हम सब ज्यादा लोग इसीलिए इस पर नहीं सोच सकते क्योंकि वह हादसा हमारे घर में नहीं होता और हां अपने घर से इसका अनुमान नहीं लगाते नहीं तो देश के हर बच्चे को पता है ऐसे अपराधियों की सजा क्या होनी चाहिए