Archana Kumari. नागरिक कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन के बाद राजधानी के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में हुए दंगे का एक साल पूरा हो गया। बीते वर्ष फरवरी माह में 23 से 26 फरवरी के बीच उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों से पूरी दिल्ली सहम उठी थी।
दंगों में कुल 53 लोगों की जानें गई, जबकि 581 लोग घायल हुए। मरने वालों मे खुफिया अधिकारी अंकित शर्मा, हवलदार रतनलाल समेत कई अन्य लोग थे जबकि इस दंगे को लेकर आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां समेत उमर खालिद , सरजील इमाम, देवांगन कलिता आदि पकड़ी गई थी ।
दंगों से संबंधित करीब 755 केस दर्ज किए गए और करीब 1818 लोगों को गिरफ्तार किया गया। दिल्ली पुलिस का दावा है कि दंगों मामले में जांच वैज्ञानिक तरीके से की गई। आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर हर आरोपी के खिलाफ सबूत जुटाकर उसे गिरफ्तार किया गया।
आरोपी की धर्म-जाति नहीं देखी गई। पुलिस ने 231 लोगों को सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की मदद से दबोचा। करीब 137 दंगाइयों को फेशियल रिकॉग्निशन और 94 लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस की मदद से पहचान कर गिरफ्तार किया गया।
यहां तक की लोगों को उनके कपड़ों के आधार पर भी पहचान कर गिरफ्तार किया गया। आंकड़ों के मुताबिक दंगों की सबसे अधिक 153 एफआईआर खजूरी खास थाने में की गई ।
इसके बाद भजनपुरा में 137, गोकुलपुरी-118, करावल नगर-91, जाफराबाद-79, दयालपुर-76, ज्योति नगर-35, वेलकम-26, न्यू उस्मानपुर-24, शास्त्री नगर-10 और सोनिया विहार में पांच मामले दर्ज किए गए। करीब 1818 दंगाइयों को गिरफ्तार किया।
पुलिस इनमें 1553 दंगाइयों के खिलाफ चार्जशीट फाइल कर चुकी है, जबकि अन्यों के खिलाफ चार्जशीट फाइल बाकी है। दर्ज 755 मामलों में से 60 मामलों की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही है।
इसके लिए क्राइम ब्रांच में तीन एसआईटी गठित हैं। वहीं इसके अलावा पूरी साजिश को लेकर स्पेशल सेल ने यूएपीए एक्ट के तहत केस दर्ज किया है, जिसमें उन लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, जो दंगों के पीछे साजिश रचने में शामिल थे।