स्टॉकहोम सिंड्रोम से पीड़ित , देश के आधे हिंदू हैं ;
राजनीति में नब्बे – प्रतिशत , नेता ऐसे ही हिंदू हैं ।
हमलावर से इन्हें मोहब्बत , गुणगान उन्हींका करते हैं ;
इस कारण इतिहास बिगाड़ा , झूठा – इतिहास पढ़ाते हैं ।
इनके दिल में यही है ख्वाहिश , हिंदू – राष्ट्र न बन पाये ;
राष्ट्र भले चौपट हो जाये , गजवायेहिंद ही हो जाये ।
ये बीमारी बड़ी भयंकर , इसकी जड़मूल हटाना है ;
बचे – खुचे जो आधे हिंदू , उनको राष्ट्र बचाना है ।
स्टॉकहोम सिंड्रोम से पीड़ित , वामी-जिम्मी और सेक्युलर ;
इन्हीं गुलामों ने मिल करके , संविधान भी किया सेक्युलर ।
राष्ट्र में है जो भी बर्बादी , इन्हीं के कारण आई है ;
अत्याचार हो रहा कितना ? कितनी दानवता छाई है ?
कहने भर को आजादी है , पर शासन अभी गुलाम है ;
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर , इनका अब भी ये निजाम है ।
आधे – हिंदू सनातनी हैं , इस बीमारी को समझें ;
समझ – बूझकर कदम उठाके , अनबूझ पहेली को बूझें ।
ये बीमारी संक्रामक है , झूठे – इतिहास से बढ़ती है ;
शिक्षामंत्री जेहादी थे,अब जिम्मी हैं, इसीलिये ये बढ़ती है ।
तथाकथित हिंदूवादी दल भी , इससे बीमार है ;
सबके विश्वास की बातें करते , डीएनए की बहार है ।
इसीलिये शाहीन – बाग है , रोड – जाम भी होते हैं ;
फर्जी – मन की बातें करते , बीच सड़क में घिरते हैं ।
इन्होंने अपनी चिता सजायी , शिव – परिवार हटाते हैं ;
शिव की नगरी जो काशी है , हिंदू – मंदिर तुड़वाते हैं ।
क्या ये कहीं से हिंदू लगते ? जो हिंदू मरवाते हैं ;
कश्मीर का रोना बहुत पुराना , केरल – बंगाल कराते हैं ।
अंधों में केवल काने हैं , एक आंख फिर भी फूटी ;
लगता है कुछ गलत हो गया , हिंदू की किस्मत रूठी ।
धर्म – सनातन के सारे योद्धा , यूपी – आसाम से लाना है ;
दोनों – आंखों वाले लाकर , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
एकमात्र उपचार यही है , स्टॉकहोम – सिंड्रोम का ;
धर्म – सनातन रामबाण है , इस गंदे – सिंड्रोम का ।
इस उपचार की हो तैयारी , सबको निरोग अब करना है ;
हिंदू – राष्ट्र बनाकर भारत , ये सिंड्रोम हटाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”