गुरुग्राम में खुले में नमाज को पढने को लेकर अब हर सप्ताह नए मोड़ आ रहे हैं. गुरुग्राम में यह विवाद कई महीनों से चलता चला आ रहा है. गुरुवार 18 नवम्बर को गुरुग्राम के सदर बाजार के गुरुद्वारा के अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिद्धू ने यह कहते हुए इस विवाद को एक नया रूप दे दिया था कि “मुस्लिम उनके गुरुद्वारे में नमाज पढ़ सकते हैं. यह गुरुघर है, और जो बिना किसी भेदभाव के हर समुदाय के लिए खुला हुआ है. और यहां पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. जो भी मुस्लिम भाई जुम्मे की नमाज पढ़ना चाहें वह यहाँ पर पढ़ सकते हैं.”
इतना ही नहीं उन्होंने यह तक कहा था कि “अगर कोई खाली जगह हो तो, मुस्लिमों को नमाज पढने देना चाहिए, हमें ऐसी छोटी छोटी बातों पर हंगामा नहीं करना चाहिए. जो लोग खुले में प्रशासन की अनुमति से नमाज पढ़ रहे थे, उन्हें परेशान नहीं किया जाना चाहिए और उन पर हमला करने से पहले प्रशासन से संपर्क करना चाहिए!”
Gurugram's Sadar Bazaar Gurudwara offers space for Namaz
It's 'Guru Ghar', open for all communities with no discrimination. There shouldn't be any politics here. Basement is now open for Muslim brothers who want to offer 'Jumme ki namaz': Sherdil Singh Sidhu Gurudwara president pic.twitter.com/6gNW3eSuAz
— ANI (@ANI) November 18, 2021
परन्तु मजे की बात तो यही थी कि गुरुद्वारे और नमाज वाले क्षेत्र में दूरी अधिक थी और उस गुरूद्वारे आने से पहले मस्जिद पड़ जाती!
Pure political posturing . There is a Masjid on 5 min walking distance from that place and actual point of conflict is actually 2 KM away. In fact people walking from actual point of conflict to this gurdwara will have to cross the masjid to reach there … pic.twitter.com/7JfzOb4vEB
— Gautam Singh (@GautamSingh2702) November 18, 2021
ऐसा नहीं था कि खुले में नमाज का विरोध करने वाले हिन्दुओं के विरोध में गुरुद्वारे के कोई सदस्य ही आए थे, बल्कि खुले में नमाज का विरोध करने वाले हिन्दू संगठनों का विरोध कमजोर कर रहे थे कुछ हिन्दू, जो खुद को मजहबी आजादी का चैम्पियन बताते हैं, परन्तु मूल मुद्दों पर बात नहीं करना चाहते हैं. ऐसे ही एक व्यक्ति ने जुम्मे की नमाज के लिए अपनी दुकान दे दी थी.
परन्तु इसमें सबसे रोचक था पत्रकार राहुल देव का ट्वीट! पत्रकार राहुल देव वैसे भी भक्त प्रजाति वाले हिन्दुओं से कुछ चिढ़े रहते हैं, उन्होंने भी गुरुग्राम में खुले में होने वाली नमाज के कारण होने वाली समस्याओं पर कुछ नहीं बोले थे और न ही उन्होंने उन हिन्दुओं केपक्ष में आवाज उठाई थी जिन्हें खट्टर सरकार ने नमाज का विरोध करने पर जेल में बंद कर दिया था.
Gurugram Police arrested Hindu group leaders protesting against Friday Namaz on roads pic.twitter.com/yWd0acYV3F
— Live Adalat (@LiveAdalat) October 29, 2021
राहुल देव ने गुरुद्वारे को नमाज के लिए खोले जाने का स्वागत करते हुए लिखा था
नमाज़ के लिए गुरुग्राम में गुरुद्वारे और अपने घरों-दूकानों के द्वार खोलने वाले सच्चे सिखों और हिंदुओं का अभिनन्दन। यही धर्म है, यही गुरुमत है, यही हिंदुत्व है। हिंदू धर्म के नाम पर बने हुए कुछ संगठनों और व्यक्तियों ने खुले में नमाज़ का विरोध करके अधर्म किया है।
https://mobile.twitter.com/rahuldev2/status/1461032872475697160
फिर उन्होंने ट्वीट किया कि मैं गुरुग्राम में ही रहता हूँ लेकिन जहाँ नमाज़ हो रही थी या विरोध हो रहा था उन जगहों से काफ़ी दूर। पास होता तो निश्चय ही अपना घर नमाज़ के लिए खोलता। मेरे घर में नमाज़ होगी तो वह पवित्र ही होगा। जिन कारणों-तरीकों से विरोध हो रहा था वे गहरी पीड़ा दे रहे थे। इसका उत्तर देते हुए वरिष्ठ पत्रकार अशोक श्रीवास्तव ने प्रश्न किया कि: आपका घर आपकी संपति है सर आप उसे बिल्कुल 5 वक्त की नमाज़ के लिए खोल दें किसी को कोई हक नहीं इस विषय में बोलने का,लेकिन सड़कें,पार्क इबादत करने की जगह नहीं इसका विरोध गलत कैसे हो सकता है ?
आपका घर आपकी संपति है सर आप उसे बिल्कुल 5 वक्त की नमाज़ के लिए खोल दें किसी को कोई हक नहीं इस विषय में बोलने का,लेकिन सड़कें,पार्क इबादत करने की जगह नहीं इसका विरोध गलत कैसे हो सकता है ? https://t.co/N4JeE56gUg
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) November 18, 2021
आज की घटना कल का इतिहास बनती है: जब राहुलदेव और अक्षय यादव जैसे हिन्दू लोग अपना घर, अपनी दुकान नमाज के लिए दे रहे थे, और गुरुद्वारे से यह घोषणा की जा रही थी कि वह नमाज के लिए अपना स्थान देंगे, तो ऐसे में उन तमाम लोगों की पीड़ा नहीं सुनी जा रही थी, जिन्हें इस अतिक्रमण से समस्या थी. यह अतिक्रमण एक मजहबी अतिक्रमण है, जो आज से नहीं बल्कि सूफियों के समय से चलता चला आ रहा है.
आज की घटना आने वाले समय में इतिहास बन जाती है. तो आज जो सार्वजनिक स्थान नमाज के लिए प्रयोग हो रहा है, वह आने वाले समय में ऐसे ही स्मरण किया जाएगा कि यहाँ पर नमाज हुआ करती थी, अर्थात मुस्लिमों ने जो खाली स्थान था, उस पर अपना नाम लिख दिया. मंदिरों के साथ बात दूसरी थी, मंदिरों में जो पूजा अर्चना होती थी वह अतिक्रमण को ध्यान में रखकर नहीं होती. अधिक से अधिक किसी अवसर पर शोभायात्रा निकाल ली जाएगी या फिर भंडारा या फिर जागरण, परन्तु वह भी प्रशासन को बताकर और अनुमति लेकर एवं पर्याप्त शुल्क देकर ही ऐसे आयोजन किए जाते हैं. परन्तु नमाज के साथ ऐसा नहीं है. आज भारत से लेकर यूरोप के देशों में सड़क पर नमाज के दृश्य आम हैं. भारत में तो यह आम हैं ही.
फ्रांस ने हाल ही में सड़क पर नमाज पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. परन्तु जो समस्या है, उससे आँखें मूँद लेना धिम्मी हिन्दुओं की आदत होती है, जब गुरुग्राम में नमाज के लिए हिन्दू अपने घर और दुकान दे रहे थे, उसी समय राजस्थान से एक ऐसा समाचार आया, जिस पर बात होनी चाहिए थी, राजस्थान में एक यात्री ने नमाज अदा करने के लिए रोडवेज बस ही रुकवा दी थी,
#Jaipur : एक यात्री ने नमाज अदा के लिए रुकवाई रोडवेज बस
बस रुकने पर चाकसू के पास यात्री ने नमाज अदा की, एक यात्री की वजह से बस में बैठे तीन दर्जन यात्री हुए परेशान, बस में सवार सभी यात्रियों ने जताई नाराजगी, रोडवेज के कंट्रोल रूम में भी की यात्रियों ने शिकायत @DamodarAmer
— ZEE Rajasthan (@zeerajasthan_) November 14, 2021
और सबसे मजे की बात यह है कि ड्राइवर ने रोक भी दी थी. उसके दिमाग में उन यात्रियों की बात नहीं आई थी, जो उस बस में थे. इसे कहते हैं, धिम्मी हिन्दू या फिर दिमाग पर अतिक्रमण. यह दिमागी अतिक्रमण था, जो पढ़े लिखे हिन्दुओं से लेकर उन सभी हिन्दुओं तक के दिमाग में है जो उस बस में बैठे थे. हालांकि रोडवेज़ में शिकायत दर्ज कराई है, देखते हैंक्या होता है? प्रार्थना भवन का अर्थ सार्वजनिक स्थानों पर केवल नमाज के लिए ही है: जब खुले में नमाज के विरोध का विरोध किया जा रहा था तो उसी समय अर्थात 18 नवम्बर को एक यूजर ने दिल्ली में हवाई अड्डे में बने हुए प्रेयर हॉल अर्थात प्रार्थना कक्ष की तस्वीरें इस हैरानी के साथ पोस्ट कीं, कि वह केवल और केवल एक ही मजहब की आवश्यकता के लिए बनाया गया है:
https://mobile.twitter.com/bhatinmaai/status/1461269770536247298
उन्होंने लिखा कि वह अपनी सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए गए, पर वह एक एक विशेष मजहब के अनुसार ही बना है
https://mobile.twitter.com/bhatinmaai/status/1461270153740447746
इस पर एक यूजर ने लिखा कि एक बड़ी आईटी फर्म ने भी प्रार्थना भवन केवल नमाज के लिए बनाया हुआ है और उसे सभी के लिए करने पर एडमिन की नौकरी खतरे में आ सकती है.
https://mobile.twitter.com/VivekSGaharwar/status/1461311203167203333
इसे ही अतिक्रमण कहते हैं, हिन्दुओं के दिमाग में अतिक्रमण. और यह अतिक्रमण वह धिम्मी हिन्दू पत्रकार और लेखक करते हैं, जो उस स्पेस पर राज करते हैं, जहाँ पर हिन्दू है ही नहीं.सुदर्शन चैनल के एक कार्यक्रम में एक मौलाना ने एक बार कहा भी था कि हम हिन्दुओं के घर में घुसकर नमाज पढेंगे:
उन्होंने कुछ गलत नहीं कहा है, उन्होंने हिन्दुओं की दुकानों में नमाज पढ़ना आरम्भ कर दिया है, राहुल देव जैसे लोग उन्हें अपना घर दे ही रहे हैं. परन्तु सबसे अधिक गौर करने वाली रणनीति है यह समझना कि गुरुग्राम के नागरिकों ने इसका विरोध कितने विशेष तरीके से किया है. जहाँ उस स्थान को वह लोग नमाज का बना रहे थे, अर्थात खाली स्थान था, उन्होंने उसे अपने प्रयोग से भर दिया, अर्थात कंडे बिछा दिए थे. यही रणनीति है, जिसे हिन्दुओं को फॉलो करना है.
परन्तु यह पिछले सप्ताह और एक स्थान की बात थी, आज समाचार आ रहा है कि खंडासा गाँव में क्रिकेट खेल रहे कुछ लड़कों के साथ नमाज पढ़े जाने को लेकर बदतमीजी की गयी. स्थानीय लोगों का कहना है कि वह लोग इस मैदान में क्रिकेट खेलते हैं और वह सार्वजनिक स्थान है, लोग गाडी खडी करते हैं, और बच्चे खेलते हैं. हालांकि इस बार तो लोगों ने नमाज पढने की अनुमति दे दी है, परन्तु उन्होंने स्पष्ट किया कि अगले जुम्मे से वह इसकी अनुमति नहीं देंगे.
@rahuldev2 सर आपके लिए विशेष! और यह इसलिए क्योंकि जो सार्वजनिक जगह पर नमाज के खतरों को समझ रहे हैं, आप जैसे प्रबुद्ध जन 'सद्गुण विकृति' में उनकी लड़ाई को कमजोर कर रहे हैं! बुरा मत मनिएगा। आप वरिष्ठ हैं। लेकिन शुतुरमुर्ग आचरण हिंदू समाज को नष्ट करता जा रहा है! 🙏 https://t.co/lLeicDhU6R
— संदीप देव #SandeepDeo (@sdeo76) November 20, 2021
‘मुस्लिम एकता मंच’ के हाजी शहजाद ने दावा किया कि यह मैदान भी उन 20 सार्वजनिक जगहों में है, जहाँ नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई है। स्थानीय युवकों ने स्पष्ट कहा कि वह सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण नहीं होने देंगे. यह हर्ष की बात है कि गुरुग्राम में हिन्दुओं ने मूल समस्या को समझ लिया है, अर्थात अतिक्रमण, अर्थात लैंड जिहाद! यही नहीं जिस गुरूद्वारे में पहले नमाज पढने की बात हुई थी, उसने भी इंकार कर दिया है. इस बात पर सिखों में ही दो फाड़ हो गए हैं.कमिटी के साथ साथ स्थानीय सिखों ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया. और साथ ही यह भी कहा कि गुरूद्वारे में कोई भी गुरबानी में भाग ले, मत्था टेके और लंगर में शामिल हो, इसके अलावा और कुछ ठीक नहीं है.
Gurudwara in Haryana that offered space for namaz has withdrawn the offer as some Sikhs objected to the idea of anything other than the Gurbani being played in the gurudwara.https://t.co/r8ShXoW78T
— Smita Prakash (@smitaprakash) November 20, 2021
मगर हिन्दू अक्षय यादव के ओपन गैरेज में नमाज पढ़ी गयी और कारवाँ ए मोहब्बत ने इसका वीडियो भी ट्वीट किया:
#Namaz being offered at Akshay Yadav’s open garage in the automobile market in Sector 12, #Gurugram
This is a small start, may it lead to a show of solidarity between people that defeats forces of hate.pic.twitter.com/cQwyItms00
— Karwan e Mohabbat (Caravan of Love) (@karwanemohabbat) November 19, 2021
और बात फिर से वहीं घूमफिर कर आती है कि क्या इस लैंड जिहाद के लिए हिन्दू संगठनों द्वारा किए जा रहे सबसे सही प्रतिरोध को विफल कर रहे हैं धिम्मी हिन्दू? सबसे सही प्रतिरोध इसलिए मैं कह रही हूँ क्योंकि गुरुग्राम के हिन्दू संगठनों ने अब समस्या को पहचान लिया है, और हिन्दुओं को यह बात ध्यान रखनी है कि जो भी खाली स्थान हैं उन्हें अपने प्रतीकों और अपनी पहचान से भरना है!