संदीप देव । जिनका ‘मानसिक खतना’ हो चुका है, जो भाई जान का ‘चारा’ बनने को आसानी से उपलब्ध है और ‘सेक्यूलरिज्म’ के नाम पर जो हमेशा अपने धर्म को छोड़ने को तैयार रहता है, वो ‘अब्बासी हिंदू है’।
‘सरकारी हिंदू’ वो है जो सत्ता के साथ अपने निजी लाभ के लिए जुड़ता है और जब तक ‘सरकारी पट्टा’ उसके गले में रहता है वह पालतू पशु की तरह व्यवहार करता है। सरकारी हिंदू ‘राजनीतिक हिंदू’ से अलग है।
‘राजनीतिक हिंदू’ वो है, जो अपने धर्म, परिवार, समाज, राष्ट्र- सबको केवल राजनीतिक चश्मे से देखता है। राजनैतिक हिंदू, ‘सरकारी हिंदुओं’ से बेहतर है, क्योंकि इसमें सनातन धर्म को छोड़ अन्य सूझ-बूझ बनी रहती है।
‘सरकारी’ व ‘राजनैतिक’ हिंदुओं में हिंदुपन की संभावना फिर भी है, लेकिन ‘अब्बासी हिंदुओं’ का हिंदुपन साफ नष्ट हो चुका है।
हमारे देवी-देवताओं को तिरंगे में रंगने वाले को आप ‘अब्बासी हिंदुओं’ की श्रेणी में रखें। ये हर युद्ध में पीठ में छुरा भोंकेंगे या फिर छुरा भोंकने वालों के साथ खड़े मिलेंगे। ये अपने धर्म के साथ गद्दारी करने में सबसे आगे रहते हैं।
सर्वश्रेष्ठ है सनातनी हिन्दू बनना और अपने धर्म को जानना। ‘धर्मो रक्षति रक्षित:’ के मूलमंत्र पर चलने वाला ही सनातनी हिंदू है। धर्म केवल सनातनी हिंदुओं की रक्षा करेगा, क्योंकि सनातनी हिंदू अपने धर्म पर हर हाल में दृढ़ रहता है।