प्रधानमंत्री मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच इस दिसम्बर डिजिटल वार्ता होगी. इस डिजिटल बैठक की घोषणा भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए के अब्दुल मोमेन के बीच हुई वर्चुयल बैठक में की गई.
मोमेन ने भारत – बांग्लादेश संयुक्त परामर्श आयोग की छठी बैठक के बाद यह बात कही. इस बैठक में दोनों देशो के के बीच की कूटनीतिक आर्थिक, और रक्षा क्षेत्र में सांझेदारी को आगे बढाने को लेकर परामर्श हुआ. बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेबरहुड फर्स्ट पांलिसी यानि पड़ोसी पहले नीति को प्राथमिकता देने की बात भी कही. साथ ही दोनों देशों के मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व के अंतर्गत द्विपक्षीय संबंधों में संतुष्टि व्यक्त की.
विदेश मंत्रालय के अनुसार बैठक में म्यानमार के राखाइन प्रांत में जबरन विस्थापित लोगों की सुरक्षित वापसी पर भी ज़ोर दिया गया, जो बांग्लादेश मे शरण लिये हुए हैं.
रोहिंग्या मुद्दे पर विदेश मंत्रालय की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि बांग्लादेश के मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इस समस्या का समाधान अति आवश्यक है और इस समाधान हेतु भारत का सहयोग ज़रूरी है. दोनों देशों के संयुक्त बयान में आतंकवाद की बात भी की गयी. कहा गया कि आतंकवाद वैश्विक सुरक्षा के लिये एक बहुत बड़ा खतरा है और इसे जड़ से खत्म करने के लिये दोनों देशों ने आपसी सहयोग हेतु प्रतिबद्धिता जताई.
संयुक्त बयान के अनुसार दोनों पक्षों ने ‘उच्च स्तरीय निगरानी समिति’ का गठन करने का निर्णय लिया है जिससे बांग्लादेश में भारत के ऋण सहयोग से बन रही परियोजनाओं की प्रगति की नियमित रूप से समीक्षा की जा सके .
दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर भी चर्चा हुई. कहा गया कि भारत और बांग्लादेश की सीमाओं पर प्रभावी सुरक्षा के लिये समन्वित सीमा प्रबंधन योजना लागू की जाये.
इसमें बताया गया, ‘‘भारतीय पक्ष ने सीमा पर खतरा वाले स्थानों पर 150 यार्ड के अंदर तेजी से बाड़ लगाने का आग्रह किया ताकि सीमा अपराधों को रोकने में सहयोग मिल सके.’’