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India Speak Daily > Blog > Blog > भाषा और साहित्य > कहानी…सपेरा संपादक और नागिन एंकर!
भाषा और साहित्यमेनस्ट्रीम जर्नलिज्म

कहानी…सपेरा संपादक और नागिन एंकर!

Sandeep Deo
Last updated: 2018/08/10 at 6:10 PM
By Sandeep Deo 1.5k Views 18 Min Read
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18 Min Read
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सांप-छुछुंदर नचाने वाले एक ‘सपेरे संपादक’ को आज लोकतंत्र की बड़ी चिंता है! महोदय जानता हूं, कम उम्र महिला रिपोर्टरों को आप किस ‘बीन’ पर ता-थैया कराया करते थे? यह एक न्यूज चैनल के अंदर की सत्य घटना पर आधारित कहानी है। पात्रों और स्थानों के नाम को गुप्त रखा गया है। इस कहानी से पत्रकारिता जगत का हर वरिष्ठ संपादक वाकिफ है, लेकिन चूंकि हमाम में सभी नंगे हैं, इसलिए सबकी इस पर लंबी चुप्पी है! इसकी जरूरत इसलिए पड़ी कि आज जो यह सपेरा संपादक पुण्य प्रसून, अभिसार आदि के बहाने ‘लोकतंत्र की हत्या-लोकतंत्र की हत्या’ चिल्ला रहा है, आम पाठक यह जान जाए कि उसका चरित्र खुद कितना फिसलन से भरा रहा है…..

एबीपी न्यूज से पुण्य प्रसून वाजपेयी के निकाले जाने के बाद उन पत्रकारों और संपादकों को भी लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी की चिंता सताने लगी है, जिनका सरोकार कभी पत्रकारिता से था ही नहीं! ऐसे ही एक पूर्व संपादक हैं, जो आजकल चुटिया धारण कर मुंबई में फिल्म निर्देशक होने की कसरत में जुटे हैं। ऐसा लगता है कि पुण्य और अभिसार के गम में ट्वीटर पर कहीं ये खुद ही ‘पुण्यआत्मा’ न बन जाए! पूरी उम्र सांप-छुछुंदर नचाते रहे हैं, आलू और बैंगन में गणेशजी को खोजते रहे हैं और जब मन नहीं भरा तो कमसिन महिला रिपोर्टरों को समुद्र किनारे ले जाकर अनोखी स्याही से लोकतंत्र का पाठ पढ़ाते रहे हैं! ऐसे दोगलों को जब पत्रकारिता की चिंता सताने लगे तो सोचिए, चोट सही जगह लगी है!

…………………..

बात उन दिनों की है, जब 24 घंटे न्यूज चैनलों का दौर शुरु हुआ था। वाजपेयीजी की सरकार थी। एक बड़े पत्रकार का वाजपेयीजी के दो-दो ताकतवर मंत्रियों से रिश्ता था। उम्मीद थी कि 2004 में भी वाजपेयी जी ‘शाइनिंग इंडिया’ की सवारी करते हुए सत्ता में आ जाएंगे। सो, उस बड़े पत्रकार ने अपने दोस्त मंत्रियों की मदद से 24 घंटे का न्यूज चैनल खड़ा कर लिया। पहले वह दूसरे न्यूज चैनल में लोगों को कठघरे में खड़ा करने का शो लेकर आते थे। इच्छा जागी, चैनल मालिक बनने की! दोस्त मंत्री को कहा, उसने देश के सबसे बड़े उद्योग घराने से फंडिंग करवा दी, लो चैनल शुरु हो गया! लेकिन यह क्या, भाजपा का ‘शाइनिंग इंडिया’ ध्वस्त हो गया और 2004 में सरकार बदल गयी। दोस्त, मंत्री न रहा! राह अंधेरे से ढंक गयी!

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अब तो उस उद्योग घराने और बैंकों से लिए लोन को चुकाने के लाले पड़ गये। कहां जाएं, क्या करें? चैनल की टीआरपी रसातल में थी। कुछ समझ नहीं आ रहा था। चैनल में उस मालिक सह प्रधान संपादक के नीचे एक दूसरा संपादक काम करता था। संपादक क्या था, पूरा सपेरा था। नाच का शौकीन, लड़कियों का शौकीन! उसने कहा, मालिक आप जाइए! चैनल मुझ पर छोड़ दीजिए, हम टीआरपी लाकर देंगे! मरता क्या न करता! वह संपादक इसी बहाने अपने उड़े हुए बाल की बीविंग कराने विदेश उड़ गया। उसका कटघरा सूना पड़ गया।

सपेरे संपादक ने चैनल को ही सांप-छछूंदर का खेल बना डाला! लोगों ने देखा, चैनल पर सांप-नेवले की लड़ाई दिखायी जाने लगी, आलू-बैंगन में गणेशजी प्रकट होने लगे, बादल में हनुमानजी दिखने लगे, अघोड़ी श्मशान में नाचने लगे, भूत-पिशाच चैनल के पर्दे पर मंडराने लगे! छछूंदर और उदबिलाव बनाकर रख डाला था, उसने उस चैनल को। टीआरपी आने लगी! भूत-पिशाच की कृपा हो गयी। मालिक चैनल से बाहर बैठकर खुश था, बस अपने इमेज बचाने के चक्कर में कटघरा नहीं सजाता था। इधर सपेरे संपादक का भाव टीआरपी के बाद बढ़ता चला गया।

हर रिपोर्टर-रिपोर्टरी को वह अपने इशारे पर नचाने लगा। महिला रिपोर्टर का शोषण बढ़ता गया। उसने चैनल में हरम स्थापित कर लिया। एंकरिंग करनी हो या रिपोर्टिंग के लिए विदेश जाना हो, उस सपेरे के बीन पर नाचना हर महिला रिपोर्टर की मजबूरी बन गई! उसी चैनल में एक कमसिन, खूबसूरत महिला रिपोर्टर आयी। न्यूज रूम में उसकी छम-छम से इस सपेरे के मन का बीन बज उठा। सपेरे ने सोचा, इसे भी अपनी हरम में नचाउंगा। लेकिन लड़की तेज थी, आज से नहीं, बहुत पहले से!

………………

वह लड़की क्या थी, आग थी! कॉलेज के जमाने से लड़कों की पसंद थी। कॉलेज के डिबेट में सबसे आगे रहती। बोलने में चतुर थी, इसलिए रानी मधुमक्खी की तरह उसके कई आशिक बन गये थे। कॉलेज का हर नर मधुमक्खी उसके आसपास मंडराता रहता था। ऐसा ही एक नर, उसके प्रेमजाल में फंस गया। खूब अमीर था। लड़की को उसके अंदर अपना सुनहरा भविष्य नजर आया। लड़के ने उसके प्रति दिवानगी का इजहार किया, लड़की शर्मायी और पट गयी। वह उसके साथ लिव-इन में रहने लगी। बाद में जब उस लड़की का टीवी चैनल में सलेक्शन हो गया तो उसने वहां के जीभ लपलपाते रिर्पोटरों पर अपना जाल फेंका। लड़की कॉलेज वाले अपने पुराने प्रेमी से कन्नी काट गयी।

कॉलेज वाला नर मधुमक्खी मायूस रहने लगा। बेचैन रहने लगा। अब वह पराग-कण लाए तो किसके लिए लाए? रानी मधुमक्खी उसके हाथ से निकल चुकी थी। क्या करे? क्या न करे? आखिर में नर ने अपने और उस रानी की पराग-कण को मधु बनाते अंतरंग तस्वीरों के आधार पर अदालत में मुकदमा कर दिया कि वह उसकी पत्नी है। उसने उस पर दावा कर दिया। रानी का पिता भी बड़ा पत्रकार था। उसने मुकदमे को रफा-दफा किया। नर के पक्ष में अदालत का फैसला नहीं आया। वह मजनू बनकर लैला-लैला चिल्लाता रह गया!

………………..

लड़की चैनल में पहुंची। वहां भी हर रिपोर्टर के साथ उस सपेरे संपादक यानी उसकी बॉस की नजर उस पर गड़ गयी। शुरु में पत्रकारिता सीखना था, इसलिए उसने एक पप्पू-से लड़के को अपने प्रेमजाल में फांसा। पप्पू खुश था। उसे लगा विश्व सुंदरी उसे मिल गयी। वह उसे पत्रकारिता का हुनर सिखाने लगा। लड़की का हाथ छू जाता तो लड़का मदहोश हो उठता और लड़की चिहुंक उठती। मंद-मंद मुस्काती। वह तो बस उसकी भावनाओं से खेल रही थी, ताकि लड़का पूरी तरह से उसे पत्रकार बना दे। पत्रकार बनाने की फीस वह कभी हाथ पकड़ कर तो कभी पप्पी-झप्पी देकर पूरा कर देती। लड़का इस पर ही आहें भरने लग जाता।

……………….

सपेरा संपादक चिढ़ रहा था। वह हर कोशिश में लगा था कि वह लड़का उस लड़की से दूर रहे और उसे लड़की के विष उतारने का चांस मिल जाए! एक दिन मौका हाथ आ ही गया। सपेरे संपादक ने कहा,

‘सुनो क्या विदेश रिपोर्टिंग के लिए जाना चाहोगी?’

‘ओ मॉय गॉड! सर क्या मैं इस काबिल हूं?’

‘तुम किस काबिल हो, यह मुझसे पूछो!’

‘चलो फटाफट तैयार हो जाओ! कल तुम्हें श्रीलंका जाना है!’

लड़की मंद-मंद मुस्कुरा उठी। जब से वह चैनल में आयी थी, रंगीले-रसिया सपेरे संपादक की पूरी कहानी उसने सुन रखी थी। वह जानती थी कि संपादक उससे क्या चाहता है? लेकिन वह कहां कम थी! एक को चूना लगा चुकी थी, दूसरे को चूना लगा रही थी और अब जब उस समय के टीआरपी का सबसे बड़ा खिलाड़ी खुद पान सजाकर आ रहा हो तो फिर उस पर चूने के साथ कत्था भी लगाने को वह तैयार थी! लड़की अगले दिन श्रीलंका के लिए उड़ गयी। श्रीलंका की बीट उस लड़की के आशिक रिपोर्टर की थी, लेकिन उसके नसीब में केवल हाथ मलना रह गया!

……………

अगले दिन सपेरे संपादक ने ऑफिस में बैठक ली। सबसे कहा, मैं कुछ दिनों के लिए एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूं। कोई डिस्टर्ब न करे। मैं अगले सप्ताह तक लौट आउंगा। तब तक टीआरपी न घटे, इसका आप सब ध्यान रखें। संपादक ने उसके अगले दिन फ्लाईट ली और श्रीलंका पहुंच गया। ऑफिस के सारे लोग समझ रहे थे, लेकिन उसकी तानाशाही के आगे कौन बोल सकता था? आज उसे देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तानाशाह और उनके कारण लोकतंत्र खतरे में नजर आ रहा है! लेकिन जब वह चैनल में संपादक था, तो उसकी तानाशाही महिला रिपोर्टरों को कपड़े उतारने और पुरुष रिपोर्टरों को भूत-प्रेत और सांप-छुछुंदरनुमा फेक न्यूज करने के लिए बाध्य कर देता था! वह इसके बल पर टीआरपी पाकर अट्टहास लगाता था!

रिपोर्टरों को अपना दास समझने वाला सपेरा संपादक श्रीलंका पहुंचा। वह उसी होटल में गया, जहां वह रिपोर्टर ठहरी हुई थी। उसने चैनल के खर्चे पर उसी होटल में अपना कमरा बुक कराया। ठीक उस महिला रिपोर्टर के बगल वाला कमरा उसका था! आज तो बस…! सोच-सोच कर ही उसके अंदर की बीन बज उठी थी। सामान रखकर उसने उस महिला रिपोर्टर के दरवाजे को नॉक किया! ठक..ठक…!

‘सर आप? यहां?’

‘हां, तुमने विदेश से कभी रिपोर्टिंग नहीं की है। सोचा कि तुम्हें विदेश से रिपोर्टिंग सिखाने के लिए किसको भेजूं? कोई इस काबिल नहीं लगा तो मैं खुद ही आ गया!’

‘अच्छा किया सर!’ आंखों में चमक लाते हुए वह रिपोर्टर मुस्कुराई।

वह समझ चुकी थी कि सपेरा संपादक सांप का बिल ढूंढ़ता हुआ वहां आया है? लेकिन वह पहली बार थोड़े न उस बिल से निकलने वाली थी, जो चिंतित होती? इससे तो उसकी संभावनाओं के पर और खुलने वाले थे! वह मंद-मंद मुस्कुरा उठी।

‘अरे! बाहर ही रोकोगी क्या? कमरे में नहीं बुलाओगी?’ सपेरे संपादक ने कहा।

‘नहीं, सर आइए न!’ लड़की ने कहा।

सपेरा संपादक कमरे में पहुंचा। मन ही मन सोच रहा था, ‘आज तो इस नागिन के विष को उतार कर ही रहूंगा। कितने दिन हो गये। हाथ भी लगाने नहीं देती। हरम की हर लड़की इसके आगे फीकी लगती है।’

‘सर कुछ सोच रहे हैं क्या?’ नागिन की सरसराहट उसके कान से टकराई।

देखा कान के पास झुककर सुंदरी फुसफुसा रही है!

‘अरे नहीं! ऐसा कुछ नहीं!’

‘सर! खुल कर कहिए न! मैं आपके मुंह से वह सुनना चाहती हूं, जो आपने आजतक किसी लड़की से नहीं कहा हो!’

‘ओह!’ सपेरा संपादक कसक उठा।

सपेरा खुश! ‘यह तो बिना बीन बजाए ही लहराने लगी थी!’ वह सोचने लगा।

ऐसा लगा सपेरे के अंदर उसकी की बीन की धुन बजने लगी। वह उसकी बालों में हाथ फेरने लगा और कब हाथ होठों तक पहुंच गया, उसे पता ही नहीं चला।

धीरे-धीरे सपेरा नागिन की केंचुली उतारने लगा। केंचुली उतरता चला गया और आखिर में विष भी उतर गया!

‘आह! सच कहूं, इतनी नागिनों का विष उतारा है, लेकिन मेरी जान तुम्हारे विष में जो तपन है, वह किसी और में कहां?’

नागिन मुस्कुराई!

सपेरा अनजान था। आजतक जिस हिडन कैमरे से वह दूसरों की जिंदगी को लाइव करता था, वह उस होटल के कमरे में उसके विष उतारने की क्रिया को लाइव कैद कर चुका था!

‘सर, कल श्रीलंका के बीच पर चलते हैं। दोनों मिलकर ‘समुद्र-मंथन’ करेंगे! आप साथ चलेंगे न?’ उतरी हुई केंचुली में अपने बदन को समाते हुए वह बोली।

‘हां-हां, तुम्हारे लिए ही तो इतनी दूर आया हूं!’

‘जानती हूं सर!’ नागिन केंचुली के आखिरी हिस्से में खुद को समोते हुए मुस्कुराई!

अगले दिन दोनों श्रृलंका की बीच पर अटखेलियां करने पहुंचे।

सपेरा खुश था। यह नागिन तो बिना बीन बजाए ही उसके इशारे पर नाचती चली जा रही थी। वह नहीं जानता था कि दरअसल वह नागिन के इशारे पर नाच रहा है।

दोनों श्रीलंका के बीच पर पहुंचे। यह वह दौर था, जब सेल्फी का जमाना नहीं आया था। लेकिन चालाक नागिन ने न जाने कैसे, उस सपेरे को अपना बिष उतारते हुए तस्वीर ले ली! नागिन-सपेरे की क्या जबरदस्त तस्वीरें आयी। नागिन ने चुपके से उसे अपने मेल पर डाल लिया।

रात से लेकर दिन तक विष उतारने और विषपान की तस्वीरों से उसका मेल भर गया। श्रीलंका में दोनों जितने दिन रहे, एक दूसरे का विष उतारते रहे, एक दूसरे के बीन पर लहराते रहे!

दोनों दिल्ली पहुंचे! अब सपेरा नागिन की पूरी गिरफ्त में था। उसके इशारे पर नाचता-गाता और चैनल के दर्शकों को भी नाग-नागिन की कहानी दिखाता!

…………………..

दिन बीतता गया! वह पप्पू रिपोर्टर जब भी अपनी प्रेयसी को शादी का प्रस्ताव देता, प्रेयसी सोचती, ‘अरे जब सपेरा ही मेरी जाल में फंस चुका है तो बीन ढोने वाले को मैं क्यों भाव दूं?’ वह उससे कन्नी काटने लगी

पप्पू रिपोर्टर बेचैन रहने लगा। उसने अपनी नागिन प्रेमिका का ईमेल खोला और उस तस्वीर को उस चैनल के मालिक व प्रधान संपादक सहित पूरे मैनेजमेंट को मेल कर दिया। हल्ला मच गया! सबको पता चल गया कि सपेरा संपादक प्रोजेक्ट के बहाने किस प्रोजेक्ट को पूरा करने श्रीलंका गया था।

नागिन रोने का नाटक करने लगी। अपने इज्जत की दुहाई देने लगी। सपेरे संपादक से उसकी उम्र करीब 20 साल छोटी थी, लेकिन फिर भी वह शादी का दबाव बनाने लगी। उसे उम्मीद थी कि सपेरा ता-उम्र संपादक रहेगा, इसलिए उसे स्क्रीन भी देगा और दौलत भी। यह ट्रिक काम कर गयी। मैनेजमेंट के दबाव में सपेरे को उस नागिन से शादी करनी पड़ी!

सपेरा संपादक आज तक लड़कियों को भोगता ही रहा था। इसका भी उसने केवल भोगने के उद्देश्य से विष उतारा था, लेकिन उसे क्या पता था कि वह नागिन उसे डस लेगी। जिस कैमरे पर वह भूत-प्रेत नचाता था, आज उस कैमरे के उपयोग से नागिन ने उसे नचा डाला था। सपेरा की जिंदगी में उस जमाने की बेहतरीन एंकर थी, जिसे भोगने से अधिक वह चाहता था। उसकी चाहत अंदर ही घुटती रह गयी। उसकी भोग-लिप्सा नागिन की भोग-लिप्सा के सामने बौनी पड़ गयी।

…………………..

आज सपेरा मेनस्ट्रीम पत्रकारिता से निकाला जा चुका है, जबकि नागिन अभी भी एक चैनल में एंकरिंग कर रही है। सपेरा फिल्म निर्देशक बनना चाहता है, लेकिन पत्रकारिता की राजशाही की याद बनी हुई है। इसलिए कभी पुण्य प्रसून तो कभी अभिसार तो कभी किसी और के बहाने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करता रहता है ताकि लेफ्ट-बिरादरी में उसकी पूछ बनी रहे। फिल्म निर्देशक के रूप में फ्लॉप हो जाए तो फिर से लेफ्ट बिरादरी की मेनस्ट्रीम पत्रकारिता में वह लौट आए!

नागिन और सपेरे की कहानी से पत्रकारिता का हर वरिष्ठ पत्रकार वाकिफ है, लेकिन हद देखिए! जब भी वह ‘लोकतंत्र खतरे में है’, चिल्लाता है तो कोई इसे आईना दिखाने के लिए आगे नहीं आता! आखिर आईना कौन दिखाए! पत्रकारिता में तो हर बड़े संपादक का जमीर अपनी ही नग्नता के बोझ तले दबा है!

इस कहानी का दूसरा भाग कल…

URL: Digital storytelling about mainstream media by sandeep deo-1

Keywords: Digital storytelling, storytelling, storytelling about mainstream media, storytelling by sandeep deo, sandeep deo story

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Sandeep Deo August 10, 2018
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3 Comments 3 Comments
  • Avatar Samik says:
    March 18, 2019 at 8:16 pm

    Sakshi Joshi, umesh joshi, rajiv shukla, vinod kapri

    Loading...
    Reply
  • Avatar राकेश says:
    March 18, 2019 at 9:59 pm

    तभी में इतने दिन से सोच रहा था कि ये इतने सीधे और साफ क्यो बने फिरते है। अब समझ मे आया। वैसे पता नही मैन कभी इनको न ही फॉलो किया न ही इनका शो देखा फिर भी भी एक चिढ़ होती है इनसे। वैसे ऐसे ही नही था। हमाम में सब नंगे है और सती साबित्री बनने का नाटक करती है।

    Loading...
    Reply
  • Avatar Devender says:
    April 25, 2021 at 5:46 pm

    इनके चेहरे से मककारी टपकती है। ये स्टोरी तो टविटर पर चलनी चाहिए। जैसे ये बेलट के निचे प्रहार करते हैं इनके पिछवाडे पर प्रहार

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    Reply

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