अर्चना कुमारी। दिल्ली दंगे के एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने एक अभियुक्त दिनेश यादव को संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपों से बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दंगाइयों की भीड़ के सदस्य के रूप में उनकी पहचान नहीं हुई है। कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त के खिलाफ लगाए गए आरोप संदेह से परे साबित नहीं होते हैं। इसलिए उसे आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 436, 454, 392, 452, 188, 153, 427 व 506 के आरोपों से बरी करती है।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने पेश किए गए तस्वीरों के साथ कानून के तहत दी जाने वाला प्रमाण पत्र पेश नहीं किया है। ये तस्वीरें डिजिटल साक्ष्य के प्रिंट थे। इस तरह के सबूत बिना प्रमाण पत्र के स्वीकार्य नहीं हो सकते। गौरतलब है कि कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के एक मामले के आरोपी दिनेश यादव को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया ।
एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने कहा कि इस मामले में गवाह के रूप में पेश दो पुलिसकर्मियों ने विरोधाभासी बयान दिए हैं और यहां तक कि अभियोजन ने रिकार्ड में दाखिल फोटो की तस्दीक करने के लिए साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत जरुरी प्रमाण पत्र पेश नहीं किया । मामला 25 फरवरी 2020 का है, शिकायतकर्ता इदरीस ने शिकायत की थी कि उसके घर को दंगाइयों की भीड़ ने लूटपाट कर आग के हवाले कर दिया था और इससे उसे करीब 10 लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ था।
इस घटना में शिकायतकर्ता ने कहीं ये नहीं कहा कि उसने दंगाइयों को देखा है या उसने आरोपी दिनेश यादव की पहचान की हो। अभियोजन ने दो पुलिसकर्मियों के साक्ष्यों पर भरोसा किया जो इलाके में बीट कांस्टेबल थे। दोनों पुलिसकर्मियों ने क्रास-एग्जामिनेशन के दौरान अलग-अलग तथ्य बताए थे, जिसके बाद दिनेश यादव को रिहा करने का आदेश दिया गया। उधर ,आज दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली हिंसा के आरोपियों उमर खालिद और शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी