राजनीति का पतन तो देखो , वोटर को रिश्वत देते हैं ;
मुफ्त का राशन , बिजली-पानी , गुंडों को जजिया देते हैं ।
कुर्सी की इतनी चाहत है , ये हर समझौता करते हैं ;
गुंडों को छूट सड़क घेरो व दंगा भी कर सकते हैं ।
किया नपुंसक पुलिस को अपनी , दंगों में पिटवाते हैं ;
गुंडों से इश्क – मोहब्बत है व हिंदू को मरवाते हैं ।
केवल वोट – बैंक की इज्जत और सभी हैं ठेंगे पर ;
तुष्टीकरण की यही वजह है , संविधान है ठेंगे पर ।
खून में इनके कायरता है , कामी , वामी , धिम्मी है ;
कुछ भी कर सकते सत्ता को , ऐसी ये कौम निकम्मी है ।
अंग्रेज – मुगल जो कर न सके ,हिंदू को जो न तोड़ सके ;
इस राजनीति ने कर डाला ,जो राष्ट्र के दुश्मन कर न सके ।
जात – पांत का आरक्षण व झूठा इतिहास बना डाला ;
भरसक हिंदू को तोड़ रहे , सत्ता को गंदा कर डाला ।
केवल अपना महिमामंडन व राष्ट्र की चिंता कुछ भी नहीं ;
कुछ कामी हैं, कुछ वामी हैं , धिम्मी की कोई कमी नहीं ।
एक ही मछली काफी है , तालाब को गंदा करने को ;
यहां तो गंदे भरे पड़े हैं , राष्ट्र को गंदा करने को ।
हिंदू कहने में शर्म है इनको ,सेक्युलरिस्ट कहलाते हैं ;
गुंडे इनके संगी – साथी व टेररिस्ट दुलराते हैं ।
कितना गंदा इनका जीवन , जिसको ये हर क्षण प्यार करें ;
मरने से इतना डरते , दंगाई का ही साथ करें ।
गांधीवाद की चरस को पीकर , सेक्यूलरिस्ट मदमस्त हुआ ;
गांधीवाद कायरता है , झूठे इतिहास ने पस्त किया ।
पूरा आबा ही बिगड़ गया , सच्चाई का तो नाम नहीं ;
बेधड़क हुये सारे गुंडे , कानून का कोई काम नहीं ।
राष्ट्र की अंतिम आशा जो , वे हिंदू सब आगे आयें ;
राष्ट्र – धर्म से प्यार है जिनको , एक नया दल तुरत बनायें ।
सच्चे इतिहास को फौरन जानो व नंगा कर दो गांधी को ;
गांधीवाद की पोल खोल दो , ठुकराओ कायर नेता को ।
केसरिया ध्वज को लहरा कर , सब उसके नीचे आ जायें ;
परम – साहसी , चरित्रवान हो , ऐसा नेता आगे लायें ।
केवल हिंदू – राष्ट्र ही ऐसा , सबको सब कुछ दे सकता ;
वरना गंदी राजनीति में , हिंदू कभी न जी सकता ।
“वंदेमातरम- जयहिंद”, रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”