गुंडा- तंत्र मिटाना होगा , कानून का शासन लाना होगा ;
जस का तस कानून हो लागू, ढुलमुल नीति को जाना होगा।
हिंदू को बेइज्जत करने , पांच बार भोंपू बजते हैं ;
कानून से कुछ न लेना- देना , गुंडागर्दी करते हैं ।
वे हिंदू – नेता हैं कायर , जो मंदिर तुड़वा सकते हैं ;
कोर्ट का निर्णय न मनवाते ,लाउडस्पीकर बजवा सकते हैं ।
भीड़ – तंत्र का खौफ इस कदर , शाहीन बाग करवाते हैं ;
खुले – आम गुंडागर्दी है , रोड – जाम करवाते हैं ।
काहे को इतनी पुलिस फौज है,जब तुमको पीठ दिखाना है;
कहां गया इकबाल तुम्हारा ?हर जगह पुलिस पिटवाना है ।
नई संसद काहे बनवाते , जब संसद का सम्मान नहीं ;
काहे नये कानून बनाते ? जब कोई पुर्साहाल नहीं ।
गुंडों की धमकी से डरते , कानून को वापस लेते हो ;
कहते छप्पन इंच का सीना , पर फिर भी रोते रहते हो ।
सौ करोड़ हिंदू तेरे पीछे , फिर काहे को तू डरता है ?
काहे बंगाल – कश्मीर कराता ? केरल से भी डरता है ।
जैसा भी है संविधान है , उस पर ठीक से अमल करो ;
भरी पड़ी है केंद्र की ताकत , उसका इस्तेमाल करो ।
राष्ट्र तुम्हारा , शासन तेरा , बहुमत की सरकार है ;
फिर क्यों इधर-उधर तकता है ? इसकी क्या दरकार है ?
घटिया कितना चीन कमबख्त , पर फिर भी कोई बात है ;
दुनिया को धमकाकर रखता , मारे सबके लात है ।
तू भी चीन की हिकमत ले ले , गुंडों को काबू कर ले ;
भारत भर में टेढे़ गुंडे , इसी तरह सीधे कर ले ।
सबसे बड़ा है राम का मंदिर , उसी तरह है राष्ट्र का मंदिर ;
राष्ट्र-मंदिर को पुख्ता कर ले , बन जायेंगे सारे मंदिर ।
चालीस हजार मंदिर टूटे हैं , वे सारे बन जायेंगे ;
तू सारी कमजोरी त्यागे , सभी काम बन जायेंगे ।
केवल तेरी कमजोरी है , वरना कोई बात नहीं ;
तुझको आंख दिखाते गुंडे , उनकी कोई औकात नहीं ।
पर अब लगता बदल रहा तू , काशी में हुंकार रहा है ;
इसी तरह आगे बढ़ता चल , तुझको राष्ट्र पुकार रहा है ।
पीछे मुड़कर अब मत देखो , पूरी जंग फतह करनी है ;
मां गंगा की करो आरती पर इसकी इज्जत रखनी है ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”