
वैक्सिन के प्रति पागलपन न करें, Covid-19 का इलाज भारतीय चिकित्सा पद्धति में ही संभव है!
कोरोना एक प्राकृतिक विपदा है जिसका एकमात्र इलाज प्रतिरोधक क्षमता है। यदि आपकी प्रतिरोधक क्षमता स्ट्रॉंग है तो कोरोना का किसी भी प्रकार का स्ट्रेन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता परन्तु यदि आपकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो ये आपके लिये परेशानी का कारण बन सकता है।
मॉडर्न मेडिसिन में कोरोना का इलाज ढूँढना बहुत बड़ी नासमझी है। कोरोना की अभी तक ना कोई दवा बनी है, ना कोई थिरैपी कारगर सिद्ध हुई और ना ही कोई कारगर वैक्सीन बन पाई या बन पायेगी।
चूँकि कोरोना एक विश्वव्यापी साज़िश थी अत: कोरोना के संदर्भ में सिर्फ़ मॉडर्न मेडिसिन सिस्टम से जुड़े हुये लोगों और सरकारों को ही वक्तव्य देने का अधिकार दिया गया और अन्य लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
यहॉं तक की बाबा रामदेव जो हमारे देश की बहुत बड़ी हस्ती हैं उन्हें भी शांत होना पड़ा। बीच-बीच में कुछ वैज्ञानिकों द्वारा सच्चाई बताने का प्रयास हुआ परन्तु षड्यंत्रकारियों ने उनकी भी आवाज़ें दबा दी।
मॉडर्न मेडिसिन के ठेकेदारों, सहभागी सरकारों तथा स्वार्थी मीडिया ने कोरोना को मानवता का आजतक का सबसे बड़ा दुश्मन बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कोरोना इतना ख़ौफ़नाक बना दिया गया है कि कई दशकों तक मानवता इसके ख़ौफ़ से बाहर नहीं निकल पायेगी।
दवा कम्पनियों और अस्पतालों का निहित स्वार्थ तो समझ आता है परन्तु सरकार की मजबूरी नहीं समझ आती ? क्या कारण है कि सरकार ने मॉडर्न मेडिसिन के साथ अन्य भारतीय स्वास्थ्य पद्धतियों को बराबरी का मौक़ा नहीं दिया ?
कोरोना को लेकर सभी सरकारी प्रयास असफल रहे फिर भी सरकार ने किसी की नहीं सुनी ? समझ नहीं आया कि कोरोना हेतु दान दी गई निधि का प्रयोग कहॉं हुआ ?
चाइनीज़ और जापानी ट्रेडिशनल मेडिसिन सिस्टम के प्रयोग से वुहान को छोड़कर पूरा चीन तथा जापान कोरोना से पूर्णत: सुरक्षित है, परन्तु हमारे यहाँ हज़ारों वर्षों से विश्वस्तरीय मान्यता प्राप्त स्वास्थ्य पद्धति को अवसर ही नहीं दिया गया ?
कोरोना के दौरान लोकल से वोकल, आयुर्वेद द्वारा पूरे विश्व का इलाज तथा स्वास्थ्य एवं आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेदिक औषधियों के साझा ट्रायल की बातें तो मीडिया ने दिखाई पर कुछ सामने नहीं आया और सरकार उसी सिस्टम को बढ़ावा दे रही है जो निरंतर असफल हो रहा है ?
कोरोना वैक्सीन बनाने में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी सेफ़्टी गाइडलाइन हटा दी हैं और दवा बनाने वाली कम्पनियों तथा वैज्ञानिकों को खुली छूट दे दी है। लोग वैक्सीन सुरक्षित होने के लिये लगवाते हैं परन्तु यदि वैक्सीन सुरक्षित नहीं है तो उसकी सार्थकता ही समाप्त हो जाती है।
वैक्सीन लगवाने के बाद लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्यायें हो रही हैं, कुछ लोगों को कोरोना हो रहा है तो कुछ लोगों में मानसिक असंतुलन की समस्या आई है और अन्य खुजली से परेशान हैं।
साइड इफेक्ट के अलावा यदि वैक्सीन की एफीकैसी की बात करें तो 95% से घटकर अब 60% से 70% तक हो गई है। ऐसी परिस्थिति में सवाल यह उठता है कि क्या सरकार को वैक्सीन लगाने की अनुमति देना चाहिये?
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
वेवसाइट- www.zyropathy.com
ईमेल- zyropathy@gmail.com
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284