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India Speaks Daily > Blog > राजनीतिक विचारधारा > अस्मितावाद > क्या आप जानते हैं कि आरएसएस और बीजेपी किस तरह का हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं?
अस्मितावाद

क्या आप जानते हैं कि आरएसएस और बीजेपी किस तरह का हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं?

ISD News Network
Last updated: 2023/04/23 at 10:28 AM
By ISD News Network 113 Views 15 Min Read
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विनीत नारायण। दुनियाँ भर के सनातनी हिंदू ये देखकर उत्साहित हैं कि मोदी जी के आने के बाद हिंदू धर्म के विस्तार पर बहुत काम किया जा रहा है।

पर क्या आप जानते हैं कि आरएसएस और बीजेपी किस तरह का हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते हैं?

हिंदुत्व के स्तंभ क्या हैं और उन्हें कैसे व्यवस्थित रूप से धीरे-धीरे नष्ट किया जा रहा है?

राधे राधे!
आज मध्यवर्गीय हिंदुओं का एक बड़ा वर्ग भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने के भाजपा व आरएसएस के एजेंडे पर गर्व करता है। पिछले चालीस वर्षों की सक्रिय पत्रकारिता के दौरान मैंने भी अपने लेखों और टीवी रिपोर्टस में इस भावना का सदा समर्थन किया है। लेकिन पिछले नौ वर्षों के मेरे अनुभव ने मुझे और देश भर के लाखों हिंदुओं को निराश किया है। क्योंकि भाजपा सरकार की नीतियां हिंदू धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं या यूँ कहूं तो हमारे सनातन धर्म के खिलाफ हैं। आइए, मैं इसे स्पष्ट करता हूं:

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सनातन धर्म की ताक़त ?

  1. सनातन धर्म की ताकत क्या है, जिसने हजारों वर्षों से इसके अस्तित्व और निरंतरता को सुनिश्चित किया है? निश्चित रूप से हमारे वैदिक ग्रंथ। सनातन का अर्थ है शाश्वत, जिसे कभी बदला या संशोधित नहीं किया जा सकता। दुर्भाग्य से आरएसएस के वैचारिक स्तंभ, गुरु गोलवरकर अपनी पुस्तक ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में लिखते हैं कि बदलते समय के साथ शास्त्रों में बदलाव किया जा सकता है। इस किताब को ‘आरएसएस की गीता’ माना जाता है। सौभाग्य से गोलवरकर के समकालीन और उस समय के सबसे बड़े हिंदू संत, जिन्हें हिंदू धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज के नाम से जाना जाता है, ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘आरएसएस व हिंदू धर्म’ में गोलवरकर के विचारों को दृढ़ता से खारिज कर दिया था और गोलवरकर की फिलॉसफी को हिंदू विरोधी बताया। वैदिक शास्त्रों से कई उद्धरण लेते हुए, स्वामी जी ने ठोस रूप से स्थापित किया है कि आरएसएस हिंदू धर्म को नष्ट कर रहा है।

गोवंश संरक्षण

  1. गायों का संरक्षण और गोमांस के व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की सदियों से हिंदुओं की मांग रही है। कई मुगल बादशाहों ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन अंग्रेजों ने इसे बहुत बढ़ावा दिया जैसा पहले भारत में कभी नहीं हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि आरएसएस और बीजेपी ने हमेशा हिंदुओं के बीच अपने समर्थन के आधार का विस्तार करने के लिए इस मांग का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है, लेकिन व्यवहार में उनकी सरकारों ने गोहत्या को प्रोत्साहित किया है। गूगल और भारत सरकार के रिकॉर्ड में उपलब्ध ठोस डेटा यह साबित करता है। यहां तक कि हाल के चुनावों में विभिन्न राज्यों में गृहमंत्री सहित भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की है कि उनके शासन में गौहत्या पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। तो फिर, गौ रक्षकों के नाम पर उनके हिंसक समर्थकों द्वारा लिंचिंग और नारेबाजी क्यों की जाती है? यह दोहरा मापदंड क्यों ?

शंकराचार्य

  1. कई सदियों से चार शंकराचार्यों को सनातन धर्म के सर्वोच्च प्रमुख के रूप में स्वीकार किया जाता है। सनातन धर्म के बारे में हर विवाद पर उनके निर्णय को अंतिम माना जाता है। दुर्भाग्य से आरएसएस और भाजपा नेतृत्व ने उन्हें पूरी तरह से दरकिनार कर दिया है। हिंदू धर्म से संबंधित मामलों पर भाजपा शासन में उनका कोई हस्तक्षेप नहीं होता। आरएसएस और भाजपा ने, कुछ अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों की तरह, शंकराचार्यों के दर्जनों नए अवतार बना दिए हैं, जो उनकी हाँ में हाँ मिलाते हैं। ये नये शंकराचार्य 8 वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित दिशा-निर्देशों व सिद्धांतो की पुष्टि नहीं करते। ऐसा जानबूझकर आम हिंदुओं को भ्रमित करने के लिए किया गया है। इसलिए अब ऐसे फर्जी संतों का उपयोग करके हिंदू मान्यताओं के बारे में हेरफेर करने की जबरदस्त गुंजाइश है।

आध्यात्मिक गुरु कौन ?

  1. योग्य आध्यात्मिक गुरुओं, आचार्यों या पुजारियों द्वारा आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है। जिन्होंने वैदिक शास्त्रों के अनुसार साधना की हो या वे पीढ़ियों से सनातन धर्म का अभ्यास करने वाले परिवारों से आते हों। सदियों पुरानी इस सुस्थापित व्यवस्था को नष्ट करने के लिए, आरएसएस और भाजपा पुजारियों, कथावाचकों, आचार्यों या तथाकथित सद्गुरुओं के कॉर्पोरेट प्रकार के अनधिकृत समूहों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, जो अक्सर हमारे सनातन धर्म के बारे में अनर्गल प्रलाप करते हैं और आसानी से बच निकलते हैं क्योंकि उन्हें सरकारी संरक्षण प्राप्त है। जैसे भगवन श्रीकृष्ण की माँ यशोदा को उनकी प्रेयसी बताना। इस तरह सनातन धर्म की बुनियाद को तेजी से नष्ट किया जा रहा है।

वर्णाश्रम व्यवस्था में सन्यासी का स्थान

  1. सन्यास आश्रम को हमारी वर्णाश्रम व्यवस्था का सर्वोच्च स्तर माना जाता है। दशकों की तपस्या और साधना के बाद संन्यासी बनने के लिए कोई आध्यात्मिक रूप से तैयार होता है। सन्यासियों को हिंदू पदानुक्रम की सीढ़ी में सर्वोच्च माना जाता है। यहाँ तक कि सम्राट भी उनके चरणों में या उनके नीचे के स्तर पर बैठते रहे हैं। पर आजकल आरएसएस प्रमुख संन्यास दीक्षा की अध्यक्षता करते हैं। ऐसे पुरूषों को दीक्षा दी जा रही है जिन्होंने एक अखबार के विज्ञापन का जवाब में आवेदन किया, जिसमें उन्हें संन्यासी बनने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस विज्ञापन में उनके जीवनभर भरण पोषण का आश्वासन दिया गया था। सनातन धर्म के इस सुद्रढ स्तंभ के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है? नौकरी चाहने वाले ये लोग सन्यासी बनने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उनका उद्देश्य आध्यात्मिक चेतना का विकास नही बल्कि एक नए प्रकार के रोजगार को सुनिश्चित करना है। ऐसे लोग अध्यात्मिक मार्गदर्शक नहीं बल्कि अपने राजनैतिक आकाओं के सेवक बनकर रहेंगे। संतों व सन्यासियों के प्रति इस भावना के कारण ही प्रधानमंत्री और भाजपा व आरएसएस के अन्य शीर्ष नेता सार्वजनिक समारोहों में संतों और सन्यासियों को आम दर्शकों के रूप में अपने सामने बैठाते हैं और स्वयं ऊंचे मंचों से प्रवचन देते हैं। कोई भी स्वाभिमानी सच्चा संत ऐसा अपमान बर्दाश्त नहीं करेगा। शोहरत, पैसा या सत्ता चाहने वाले ही ऐसे आमंत्रणों में जाते हैं और इस अपमान को झेलते हैं।

देवी-देवताओं को क्यों भूल जाएँ ?

  1. हम हिंदुओं को हमेशा अपने दर्शन पर गर्व रहा है, जहां हमने 33 करोड़ देवी देवताओं को स्वीकार किया है। लेकिन आरएसएस प्रमुख ने हाल ही में सभी हिंदुओं को अगले पचास वर्षों के लिए देवी-देवताओं को भूल जाने का आदेश दिया। दिलचस्प बात यह है कि उनके अपने संगठन समृद्ध हिंदू मंदिरों को हड़पने और उनके पुरातन भवनों को नष्ट कर नए मेगा मंदिरों का निर्माण करने में लगे हुए हैं। वे पीढ़ियों से अधिकृत सेवायतों (पुजारियों) को हटाकर इन मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले रहे हैं। स्पष्ट है कि यह वे श्रद्धालु हिंदुओं द्वारा चढ़ावे के रूप में दान दिए जाने वाले करोड़ों रूपयों को अपने नियंत्रण में लेने के लिए कर रहे हैं। यह उनके उपदेश और आचरण में घोर विरोधाभास है। हमसे तो कहा जाए कि पचास साल के लिए देवी-देवताओं को भूल जाओ, तो वे नए-नए मंदिर बनाने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं?

भगवान की मधुर छवि को विकृत क्यों ?

  1. हिंदू देवी-देवताओं की छवियों को विकृत करना, उन्हें अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल करने का एक और प्रयास है। आपने भगवान श्री सीताराम और हनुमान जी के सुंदर और मनभावन चित्र देखे होंगे, जो सदियों से हमारे पवित्र ग्रंथों में छपे हुए हैं? अब आप उनकी तुलना इन दिनों प्रचारित की जा रही भयानक छवियों से करें। उनमें से कुछ आप वाहनों के पीछे शीशे पर नारंगी और काले रंगों में दिखायी देते हैं।

प्राणप्रतिष्ठित देव विग्रहों का विध्वंस

  1. देव विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा सदियों से चली आ रही सनातन धर्म की एक महत्वपूर्ण धार्मिक व्यवस्था है। प्राण प्रतिष्ठित विग्रह को एक जीवित व्यक्ति के रूप में माना जाता है और उसकी 24×7 सेवा की जाती है। मोदी, योगी और अन्य भाजपा शासित राज्यों में विकास के नाम पर ऐसे कई प्राण प्रतिष्ठित हिंदू देवी-देवताओं को बुलडोजर चलाकर बेरहमी से तोड़ा गया है और उन्हें गंदे नालों या रास्तों पर फेंक दिया गया। ऐसा वाराणसी, अयोध्या, मिर्जापुर और अन्य पवित्र स्थानों पर हुआ है। इनमें से कुछ देवी-देवताओं को अपमानित कर दुर्गंधयुक्त सड़े पानी के पोखरों में भी खड़ा कर दिया गया है। कभी-कभी ये उन लोगों से बदला चुकाने के लिए भी किया जाता है जो अपनी आत्मा को शासकों के पास गिरवी नहीं रखते। दिलचस्प बात यह है कि आरएसएस व बीजेपी हमेशा प्रचारित करते हैं कि मुस्लिम आक्रान्ताओं ने मध्यकाल में हिंदू मंदिरों को नष्ट कर दिया, लेकिन यह कभी नहीं बताते कि भारत के हर तीर्थ नगर में बड़े पैमाने पर वे तालिबानी काम क्यों कर रहे हैं?
    वे विकास के नाम पर आधुनिक मॉल किस्म के मंदिर बना रहे हैं। क्या आपने कभी यूरोप के पुराने शहरों में हेरिटेज इमारतों (सौ साल से अधिक पुरानी) को इतनी बेरहमी से ध्वस्त होते देखा है?

क्या विश्व भारत के इस हिंसक हिंदुत्व के कारण हज़ारों वर्षों से भारत आता रहा है ?

  1. भारत की जिस आध्यात्मिकता ने हजारों वर्षों तक दुनिया को आकर्षित किया और हमने यहां जन्म लेकर खुद को धन्य महसूस किया, उसे धार्मिक उत्साह और भावना की तुलना में सिर्फ उत्तेजक नारे लगाकर त्यागा जा रहा है। धार्मिक आस्था को शांति और गंभीरता की बजाय, शोर सोशल मीडिया पर या सड़कों पर प्राय: अराजक तत्वों द्वारा गले में भगवा दुपट्टा बांध कर प्रदर्शित किया जा रहा है।

क्या मैं भाजपा व आरएसएस विरोधी हूँ ?

  1. आप में से कुछ लोग जो कभी-कभी मुझे भाजपा या आरएसएस विरोधी करार देते हैं, उन्हें मेरे अतीत के बारे में कुछ शोध करना चाहिए। कैसे हिंदू धर्म के सभी मुद्दों पर मैं हमेशा सनातन धर्म के लिए खड़ा रहा हूं या कई बार आरएसएस और बीजेपी के साथ भी, यहां तक कि धर्मनिरपेक्ष सरकारों के शासन के दौरान भी मैं इन प्रश्नों पर मजबूती से खड़ा रहा हूँ । मथुरा (ब्रज) में हिंदू विरासतों का जीर्णोद्धार व संरक्षण करने में दो दशकों से समर्पित रहा हूँ, जबकि आरएसएस और भाजपा ने वहाँ आजादी के बाद ऐसा करने का कभी प्रयास नहीं किया।

हिंदू सनातन धर्म को नारों में नहीं आचरण में लायें

  1. हां, मैं एक धर्मांध हिंदू नहीं हूं, लेकिन आध्यात्मिक होने की कोशिश करता हूँ और मैंने अपने परिवार को भी दैनिक जीवन में वैष्णव धर्म के सभी सिद्धांतों का सख्ती से पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया है, बजाय केवल उत्तेजक नारे लगाने के या हिंदू होने की डींग हांकने के।

भाजपा व संघ नेतृत्व इन सरल प्रश्नों का उत्तर क्यों नहीं देता ?

  1. ये कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आपको गहराई से सोचने की जरूरत है कि हिंदुत्व की आड़ में क्या हो रहा है। आरएसएस और बीजेपी की सनातन धर्म विरोधी ऐसी हरकतें मुझे परेशान करती रहती हैं। आरएसएस और बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को संबोधित ऐसे मुद्दों पर मेरी बार-बार की गई अपील और विनम्र प्रश्न आज तक अनुत्तरित हैं, इस तथ्य के बावजूद कि मैं देश भर में एक जाना-माना योद्धा पत्रकार (1993-2000 के दौरान आतंकवाद व हवाला कारोबार के विरुद्ध मशहूर जैन हवाला केस में मेरे सुविख्यात लंबे संघर्ष के कारण ) हूँ और आस्था से एक सच्चा हिंदू हूँ।

इन मुद्दों पर मैं सोशल मीडिया पर अक्सर लिखता रहता हूं लेकिन एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में इन पर बहस खड़ी करने के लिए मैंने इन बिंदुओं को एक साथ यहाँ लिखा है।

  1. इस तरह के और भी कई मुद्दे हैं और उन बातों के पर्याप्त सबूत भी हैं कि राजनैतिक रूप से महत्वाकांक्षी ये संगठन हिंदू भावनाओं का कैसे शोषण कर रहे हैं। इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन हम सभी को यह बात विचलित करती है कि व्यापक मान्यता के विपरीत इन संगठनों का सनातन धर्म में कोई विश्वास या उसके सिद्धांतो के प्रति सम्मान नहीं है।
  2. आवेशित भावनाओं के साथ निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले कृपया कुछ वस्तुनिष्ठ अनुसंधान करें, इन बिंदुओं के बारे में सोचें और अपने सहकर्मी समूहों के बीच बहस करें।इन सब बिंदुओं के समर्थन में प्रमाण नीचे कमेंट में एक वीडियो लिंक पर दिये हैं- देख लें ।

अगर आरएसएस और भाजपा नेतृत्व इन मूलभूत मुद्दों पर हमें संतुष्ट कर पाए तो हमें उनसे कोई शिकायत नहीं होगी। हम यह उम्मीद उनसे करते हैं और किसी अन्य से नहीं क्योंकि भारत में कोई अन्य राजनैतिक दल हिंदू धर्म का संरक्षक होने का दावा नहीं करता।

आपका सदा शुभचिंतक

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