
कोरोना से डरिये और घबराइये नहीं बल्कि समझदारी से उसका सामना करें-ज़ायरोपैथी
कल मैं अपने एक मित्र से बातों-बातों में उनकी सोसायटी में कोरोना मैनेजमेंट की सफलता की चर्चा कर रहा था। उन्होंने जो बताया, सुनकर लगा कि देश के सबसे समझदार, बुद्धिमान,पावरफुल और धनाढ्य लोग कोरोना से कितने भयभीत हैं। कई महीनों से उन्होंने अपने घरों की खिड़कियाँ तक नहीं खोलीं कि कहीं कोरोना ना आ जाय! अधिकांश लोगों ने देश के फ़ाइव स्टार अस्पतालों और होटलों (फ़ाइव स्टार होटल जिन्हें अस्पतालों में बदल दिया गया है) में एडवांस में कई महींनो के लिये कमरे बुक करवा दिये हैं। पूरी सोसायटी को नियमित रूप से सैनेटाइज किया जा रहा है, हाइजीन का विशेष ध्यान रखा जा रहा है तथा सरकार द्वारा जारी किये गये अनुदेशों का बहुत कड़ाई से पालन किया जा रहा है। नियमों को तोड़ने पर हज़ारों रुपये के फ़ाइन लगाये जा रहे हैं, जिनका वे ख़ुशी-ख़ुशी भुगतान करते हैं। इसके अलावा सोसायटी के कर्मचारियों तथा हाउस कीपिंग सर्विस वालों के लिये मेदांता एवं मैक्स के सहयोग से एक फ़ाइव स्टार क्वैरेन्टान फ़ैसिलिटी का निर्माण सोसायटी के अंदर ही किया जा रहा है, जिसे आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में प्रयोग किया जा सकता है। ये हालात देश की गुरुग्राम स्थिति एक हाई प्रोफ़ाइल सेवेन स्टार सोसायटी का है। एक विशेष बात उन्होंने यह भी बताई कि किसी भी बीमारी के इलाज के लिये उनकी पूरी श्रद्धा एवं समर्पण सिर्फ़ मेदांता एवं मैक्स जैसे हॉस्पिटल पर ही है, क्योंकि यही साइन्टिफिकली प्रूवेन है! उनका विश्वास है कि यदि इन हॉस्पिटल में इलाज के दौरान किसी की भी मौत हो जाती है तो यही भाग्य था।
यह डर सरकार के आकस्मिक लॉकडाउन और लगातार मीडिया के प्रचार का परिणाम है। सरकार ने तो लॉकडाउन हटा दिया और मीडिया ने भी कहानी बदल दी है पर शायद इनका दिमाग़ी लॉकडाउन कई वर्षों के लिये लॉक हो गया है। इस डर ने इनकी ज़िन्दगी समाप्त कर दी है। वास्तविकता तो यह है कि मौत के डर ने इनकी सोचने समझने की शक्ति ही समाप्त कर दी है। पैसों के अंबार में बैठे इन कुबेरों को शायद यह ज्ञान नहीं है कि धरती पर जन्मे प्रत्येक जीव का जन्म और मृत्यु पूर्व निर्धारित है और इस पर किसी का भी ज़ोर नहीं चलता। उनका नियंत्रण सिर्फ़ जन्म और मृत्यु के बीच की अवधि पर है, जिसे जीवन कहते हैं। कोरोना के डर से ये इतने भयभीत हैं कि स्वयं के साथ-साथ इन्होंने अपने परिवार के जीवन को मृत समान बना दिया है, क्योंकि इनके ज्ञान चक्षुओं पर कुछ आकाओं का मोटा चश्मा चढ़ा हुआ है और ये स्वयं अंधे हैं। इनके आका यह जानते हैं कि इनका डर ही उनका जीवन है, अत: इनको निर्भय बनाने की गलती कभी नहीं होने देंगे और ये इसी तरह जीवन रहित जीवन जीने पर मजबूर रहेंगे।
अभी तक तो सभी जनसाधारण जिन्होंने समय-समय पर लेखों को पढ़ा और वीडियो देखे होंगे, उन्हें यह समझ आ गया होगा कि कोरोना हमारे वातावरण में समाहित हो चुका है और परमानेन्ट हमारे साथ ही रहेगा। कोरोना पर तो हमारा कोई भी कंट्रोल नहीं है परन्तु अपने जीवन में कुछ छोटे-छोटे परिवर्तन कर हम कोरोना के साथ जीने का रास्ता बना सकते हैं।
चूँकि कोरोना वाइरस वातावरण में समाहित है अत: अन्य करोड़ों वाइरस कि तरह यह भी हर दिन हमारे शरीर में अंदर-बाहर होता रहेगा। जब तक हमारी इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग है कोरोना या तो बाहर आ जायेगा या फिर मारा जायेगा परन्तु जिस दिन भी इम्यूनिटी कमजोर होगी कोरोना हाबी हो जायेगा और आपको परेशान करने लगेगा। अत: कोरोना के लक्षण आते ही अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने का इंतज़ाम करिये और पुन: स्वस्थ हो जाइये।
कोरोना से डर कर, छुप कर, घर बैठ कर ज़िन्दगी नहीं चलने वाली। कोरोना के साथ जीने के निम्न पाँच नियमों का पालन करें और पुन: स्वस्थ्य एवं समृद्ध जीवन का आह्वान करें-
(1) शुद्ध पौष्टिक भोजन करें। पीज्जा, बर्गर, चाऊमीन, अन्य फ़ास्ट फ़ूड, पैकेज्ड फ़ूड बन्द करें।
(2) हर दिन 30 मिनट से 60 मिनट नियमित व्यायाम करें।
(3) 6 से 8 घंटे की नींद।
(4) शरीर को आराम।
(5) तनाव मुक्त जीवन।
जो इन पाँचों नियम का पालन करेगा उसकी इम्यूनिटी बनी रहेगी और वह कोरोना से सुरक्षित रहेगा और जो लोग इनका पालन नहीं करेंगे उन्हें कोरोना संक्रमण से गुजरना होगा और यह घातक भी हो सकता।
ज़ायरोपैथी में कोरोना से निपटने का पूरा इंतज़ाम है। अलग-अलग कोरोना संक्रमण की सम्भावनाओं के लिये तीन प्रकार के प्रीवेन्शन प्रोटोकॉल हैं तथा कोरोना पॉज़िटिव को 10 दिनों में कोरोना नेगेटिव करने का भी इंतज़ाम है। यदि आवश्यकता समझें तो ज़ायरोपैथी से सम्पर्क करें और घर बैठे कोरोना का स्वयं इलाज करें।
कमान्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
1800-102-1357; 8800880040; 8882221817; 8882221871
Email- zyropathy@gmail.com
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