अब न टूटने देना मंदिर
तेरे लिये जो कांटे बोये , तू फसल उगा दे भाला ;
तब दुश्मन को समझ आयेगा , पड़ा है किससे पाला ।
शक्ति शांति का महामंत्र है , ये हिंदू को समझना है ;
कायर ,कमजोर ,नपुंसक नेता , उससे छुटकारा पाना है ।
हमें चाहिये परम – साहसी , चरित्रवान व कट्टर – हिंदू ;
अभी तो एकदम उल्टे नेता , नब्बे-प्रतिशत अब्बासी-हिंदू ।
धर्मद्रोह के कारण क्या हैं ? चरित्रहीनता – भ्रष्टाचार ;
इसी से मंदिर टूट रहे हैं , हिंदू पर है अत्याचार ।
अंतर्राष्ट्रीय साजिश चल रही , हिंदू – धर्म मिटाने की ;
नेता – अफसर हैं कठपुतली , आका का हुक्म बजाने की ।
सौ में दो-चार ही नेता अच्छे , बाकी सब बेकार हैं ;
धर्म – सनातन छोड़ चुके हैं , जो गुंडों के यार हैं ।
ये हैं पूरे – पूरे जिम्मी , स्टॉकहोम – सिंड्रोम के रोगी ;
देश – प्रेम से कुछ न मतलब , भोग – वासना के भोगी ।
हिंदू को धर्म बचाना है , अच्छी सरकार बनाना है ;
चुन-चुन कर अब्बासी – हिंदू , ” नोटा” से उन्हें हराना है ।
विकल्पहीन खुद को मत समझो, अब नोटा का विकल्प है ;
“हिंदू का ब्रह्मास्त्र” है “नोटा” , सबका दृढ़-संकल्प है ।
अब्बासी – हिंदू कलंक धर्म का , इससे मुक्ति पाना है ;
हिंदू ! समझदार बन जाओ , यदि अपना धर्म बचाना है ।
अब न टूटने देना मंदिर , गलियारा मत बनने देना ;
तीर्थ – क्षेत्र गंदा करने का , हर प्रयास निष्फल करना ।
अब्बासी – हिंदू बहुत ही शातिर , मुद्दों से ध्यान हटायेगा ;
सही – राह हिंदू न पाये , तरह – तरह भटकायेगा ।
पूजा – पाठ इसका नाटक है , दंडवत की नौटंकी ;
इसके माथे का त्रिपुंड है धोखा , ये तो मृत्यु है हिंदू की ।
हिंदू ! यदि तुमको धर्म बचाना , कालिनेम को पहचानो ;
साधु-वेश में रावण है ये , सीता-हरण निश्चित जानो ।
हिंदू-घर की हर सीता को , राक्षस हरकर ले जायेंगे ;
भारत के जंगल – राज्य में तो , गुंडे ही मौज मनायेंगे ।
यदि कुछ भी बुद्धि शेष हिंदू में, हर स्तर पर प्रतिकार करो ;
होने वाला है समर – भयंकर , अपने को तैयार करो ।
यदि बर्बादी से बचना है , अच्छी सरकार बनाना है ;
केवल कट्टर-हिंदू को चुनना , शेष को “नोटा” करना है ।