धर्मांतरण या धर्म परिवर्तन का मुद्दा भारत में हमेशा से ही एक बहुत संवेदनशील मुद्दा रहा है. कभी समाज सेवा का चोला पहने धर्मोपदेशकों ने गरीब और असहाय लोगों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से धर्म परिवर्तन के लिये मजबूर किया है तो कभी विभिन्न प्रमुख पदों पर आसीन लोगों ने बड़ी ही चालाकी से किसी धर्म विशेष के पक्ष में प्रोपोगैंड्डा कर धर्म परिवर्तन की मुहिम छेड़ी है.
भारतीय राजस्व सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कुछ ऐसा ही किया है. डी पी हाओकिप नामक इन अधिकारी का एक वीडियो मिशन काली नाम के एक सोशल मीडिया हैंडल ने शेयर किया है.
वीडियो में हाओकिप एक ईसाई मत के प्रचार प्रसार के लिये रखे गये सम्मेलन में वक्तव्य दे रहे हैं जिसमे वे यह बताते नज़र आ रहे हैं कि किस प्रकार उन्होने जाने माने भारतीय क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को ईसा मसीह के बारे मं उपदेश दिया और उन्हे इस बात के लिये भी प्रोत्साहित किया कि वे जहां भी जायें, कोई भी मैच खेलने से पहले ईशू का नाम ज़रूर लें.
यही नहीं, उन्होने इस उपदेश के लिये राहुल द्रविड को विशेष तौर पर अपने आंफिस बुलाया. और जबकि द्रविड ने उनसे अनुरोधपूर्वक कहा भी कि उनके पास समय बहुत कम है, फिर भी उन्होने राहुल द्रविड को एक घंटे तक बिठाये रखा और ईसा मसी की महानता पर उपदेश दिया. ये सभी बातें उस वीडियो में वह स्वयं कह रहे हैं. इस लेख के अंत में उस न्यूज़ साइट का लिन्क शेयर किया जायेगा जिसमे यह वीडियो उपलब्ध है.
ट्रूनिक्ल डांट कांम की रिपोर्ट के अनुसार डी पी हाओकिप, जो कि भारतीय राजस्व सेवा के अंतर्गत चीफ इंकम टैक्स कमिश्नर है, उन्होने चेन्नई में 9 फरवरी 2019 को आयोजित ‘लीड टांक’ नामक कार्यक्रम में इस विषय पर खुलकर बोला था कि किस प्रकार उन्होने ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार के लिये निरंतर अपनी पद और पहुंच का इस्तेमाल किया. विश्व विख्यात क्रिकेटर राहुल द्रविड से लेकर एक सिक्युरिटी गार्ड यानि सुरक्षा प्रहरी, उन्होने सभी पर अपने धर्मोपदेश जबरन थोपे.
मिशन काली पर जो वीडियो शेयर किया गया है, वह इसी घटना से संबंधित है. 2 मिनट 17 सेकंड के इस वीडियो में डी पी हाओकिप स्पष्ट तौर पर यह बताते नज़र आ रहे हैं कि किस प्रकार उन्होने क्रिकेटर राहुल द्रविड को ईसाई धर्म को लेकर घंटे भर तक धर्मोपदेश दिया.
ट्रूनिकल डांट कांम पर डीपी हाओकिप को लेकर जो तथ्य दिये गये हैं, वे वाकई दिल दहला देने वाले हैं. यदि इन तथ्यों पर गौर करें तो पद और प्रतिष्ठा की आड़ में जबरन धर्म परिवर्तन कराने की एक पूरी साज़िश नज़र आती है.
रिपोर्ट के अनुसार हाओकिप आंफिस के समय में भी ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार का कोई मौका नही छोड़्ते थे. उनके विज़िटिंग कार्ड में भी बाइबल का एक धर्मोपदेश लिखा हुआ है औसे इसी के माध्यम से, वे जिससे भी मिलते हैं, उसक्के साथ अपनी बातचीत में ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार जबरन जोड़ देते हैं.
चेन्नई की ईसाई धर्मोपदेश सभा में काओकिप द्वारा दिये गये वक्तव्य से जुड़े बहुत से ऐसे वीडियोज़ मिशन काली ने शेयर किये हैं जिनमे वे इस बात का बखान करते नज़र आ रहे हैं कि किस प्रकार उन्होने विभिन्न प्रकार के लोगों को ईसाई धर्म का पाठ पढ़ाया.
इसमे से एक वीडियो में तो वे सीधे तौर पर हिंदू धर्म का अपमान करते हुए दिख रहे हैं. हाओकिप बता रहे हैं कि किस प्रकार वे एक स्पा में गये और वहां काम करने वाले लोगों ने जब ओम नम: शिवाय कहा तो वे अपने वीडियो में बडे अपमानजनक तरीके से बोलते हैं ओम नम: शिवाय ब्ला ब्ला और फिर स्पा में काम करने वाले लोगों को अपनी ईसाई धर्म की प्रार्थना सुनने के लिये जबरन बाध्य करते हैं.
फिर बड़े ही रहस्यात्मक तरीके से अपने वक्तव्य में यह भी कहते हैं कि रिसेप्शन में जो महिला बैठी थी, बड़ी अच्छी संभ्रांत महिला थी, उसे भी मैंने ईशू के बारे में बताया. उसे मेरी बातों में काफी दिलचस्पी लगी और फिर उसने मुझसे बाइबिल की कांपी भी मांगी. यानि यहां खुल्लम खुल्ला लोगों को धर्म परिवर्तन के लिये उकसाने का खेल चल रहा है. और एक वरिष्ठ अधिकारी जहां भी जाता है , अपनी पद और प्रतिष्ठा का दुरोपयोग कर दूसरे धर्मों का अपमान कर न सिर्फ लोगों को असहज महसूस कराता है बल्कि उन्हे जबरन ईसाई धर्म से संबंधित उपदेश भी देता है. ये भला कहां का सेक्यूलिरिज़्म है?
डी पी हाओकिप पहले ऐसे वरिष्ठ अधिकारी नहीं हैं जो अपने पद का दुरोपयोग कर ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं. यह पूरा षड्यंत्रकारी यंत्र है जिसमे बहुत से वरिष्ठ पदों पर आसीन लोग बाकायदा इस बात के लिये लांबिंग करते हैं कि वरिष्ठ अधिकारियों की पोज़ीशन के लिये क्रिश्चन मिशनरियों द्वारा भेजे गये लोगों का चयन हो. और इन सब कामों में बहुत सा विदेशी पैसा लगा रहता है.
ये भी आश्चर्य कि बात है कि कोई भी मेनस्ट्रीम मीडिया इस प्रकार की खबरों की रिपोर्टिंग नहीं करता. वही मीडिया जो कि राजनेताओं के हिंदू होने तक को विवाद की विषय्वस्तु बनाता है, वह एक वरिष्ठ अधिकारी के इस प्रकार से अपने पद का दुरूपयोग कर धर्म परिवर्तन का बाकायदा षड्यंत्र रचने जैसे गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है. क्या भारत में सेक्युलरिज़्म का अभिप्राय सिर्फ हिंदू धर्म की आलोचना और दुसरे धर्मों से जुड़े लोगों के गलत कामों पर चुप्पी साधना है?