संदीप देव। आरक्षण-आरक्षण चिल्ला कर केवल भारत के नेताओं, तथाकथित बुद्धिजीवियों और एक्टिविस्टों का भला हो रहा है, आरक्षित वर्ग के बच्चों का नहीं।
यह सभी IIT का ड्राप आउट रेट है। देखिए आरक्षित वर्ग के बच्चे कोर्स न संभाल पाने के कारण कैसे IIT की पढ़ाई बीच में ही छोड़ रहे हैं। आरक्षित वर्ग के बच्चों की प्राथमिकी से PHD तक सारी पढ़ाई नि: शुल्क होता और कंपटीशन में कट-आउट में छूट नहीं होता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती! कम कट-आउट के कारण आरक्षित वर्ग के बच्चों को एडमिशन तो मिल जाता है, लेकिन वहां कोर्स उनकी समझ में ही नहीं आता, जिस कारण बीच में उन्हें कोर्स छोड़ना पड़ जाता है।
देखा जाए तो भारत केवल विदेशियों का मार्केट बनता जा रहा है, उसका ओरिजनल शोध में योगदान घटता चला जा रहा है। अमेरिका-यूरोप से ठेका लेकर भारत को बर्बाद किया जा रहा है! अमेरिकी हार्बर्ड विश्वविद्यालय की थिसिस को बकायदा भारत के नेता, पार्टियां, तथाकथित बुद्धिजीवी और एक्टिविस्ट- सभी मिलकर लागू कर रहे हैं।
नहीं विश्वास है तो राजीव मल्होत्रा की पुस्तक The Battle for IIT’s: A Defense of Meritocracy पढ़िए और इस साजिश को समझिए । धन्यवाद।
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