आचार्य बालकृष्ण। पतंजलि द्वारा जितने भी उत्पाद व औषधियाँ बनाई जाती हैं, निर्धारित मानकों के अनुरूप सभी वैधानिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए बनाई जाती हैं।
पतंजलि की औषध निर्माण इकाई दिव्य फार्मेसी भी आयुर्वेद परम्परा में सर्वाधिक अनुसंधान व गुणवत्ता के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप औषधि बनाने वाली संस्था है जिसने 500 से अधिक वैज्ञानिकों के सहयोग से Preclinical व Clinical Trial के आधार पर जो भी निष्कर्ष निकलता है उसको रोगी के हित के लिए देश के सामने रखा।
जो आयुर्वेद के विरोधी हैं, उन्हें हमने अपने अनुसंधान से हमेशा प्रमाण व तथ्यों के साथ जवाब दिया। चिकित्सा के नाम पर भ्रम व भय का जो व्यापार चल रहा है, उस पर सबसे ज्यादा प्रहार किसी ने किया है तो वह है पतंजलि संस्थान।मीडिया के तहत जो जानकारी मिली है इससे यह स्पष्ट होता है कि इसमें आयुर्वेद विरोधी ड्रग माफियाओं की संलिप्तता दिखती है। हम किसी भी तरह इस षड्यंत्र को सफल नहीं होने देंगे।
इस षड्यंत्र में सम्मिलित आयुर्वेद एवं यूनानी सेवा उत्तराखण्ड द्वारा विभागीय दायित्व को दरकिनार करके षड्यंत्रपूर्वक जिस पत्र को लिखकर 09.11.2022 को मीडिया में प्रायोजित ढंग से प्रसारित किया, उसको अभी तक पतंजलि संस्थान को किसी भी रूप में उपलब्ध नहीं कराया गया है।
विभागीय स्तर पर सम्पर्क करने पर भी अभी तक कोई पत्र या सूचना उपलब्ध नहीं की गई है। मीडिया के द्वारा जिस ‘भ्रामक विज्ञापन’ की बात की जा रही है, उक्त संदर्भ में पतंजलि द्वारा लाइसेन्स अधिकारी, देहरादून, उत्तराखण्ड को पूर्व में ही दिनांक 30.09.2022 को उत्तर दिया जा चुका है। परन्तु अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए मनमाने ढंग से एकतर्फा कार्यवाही करने की सूचना मीडिया से प्राप्त हुई है।
इस संदर्भ में या तो विभाग अपनी गलती को सुधार कर जो व्यक्ति इस षड्यंत्र में सम्मिलित है, उस पर उचित कार्यवाही करे अन्यथा पतंजलि संस्थान को इससे जो संस्थागत हानि हुई है उसकी भरपाई सहित इस षड्यंत्र के जिम्मेदार व्यक्तियों को आपराधिक कृत्य के लिए दण्डित करने हेतु संस्था कानूनी कार्यवाही करेगी।
साथ में संलग्न- 30.09.2022 को विभाग को दिये गए पत्र की प्रति