
दंगाईयों की पहचान आसान !
अर्चना कुमारी । दंगा करने वाले पहचान छुपाने के लिये चेहरे के कुछ हिस्से को ढ़कने के लिये मास्क लगा लेते हैं। कुछ मास्क के साथ साथ चश्मा भी लगा लेते हैं, जिससे सुरक्षा एजेंसियों को उनकी पहचान करने में काफी दिक्कतें होती है। कुछ फुटेज में जो दंगाई दिखाई देते हैं , उनके चेहरे ब्लर दिखाई देते हैं।
ऐसे में अब दंगाईयों को पकड़ने के लिये उपकरण आया है। इस उपकरण में अगर एजेंसियां डाटा फीड कर देती हैं तो दंगाई का बचना नामुमकिन है। क्योंकि वीडियों में उस दंगाई का उसकी फोटो के साथ नाम तक आ जाएगा। जिससे उसकी पहचान हो जाएगी। फिलहाल इस समय विभिन्न देशों की कंपनियां चेहरे की पहचान, भीड़ और दंगा नियंत्रण आदि के लिए अपने नवीनतम नवाचारों और तकनीकों का प्रदर्शन सुरक्षा एक्सपो में कर रही हैं।
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इसी तकनीक के तहत दंगाइयों के पकड़ने के लिए उपकरण आया और यह उपकरण भीड़ में दंगाईयों को पहचानने में काफी उपयोगी साबित होगा। इसी तरह तेज रफ्तार से चलने वाले वाहन चालकों के लिये अब पीटीजे 500 नाम के सीसीटीवी कैमरे आफत बन सकते हैं। शार्प सीसीटीवी कैमरों की हाईवे पर दो सौ किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाले वाहनों को शार्प सीसीटीवी कैमरे उनको कैपचर (कैद) कर लेगें। वाहन की नंबर प्लेट ही नहीं चालक का चेहरा तक साफतौर पर दिखाई दे सकता है।
रात के वक्त सौ किलोमीटर की रफ्तार से चल रहे वाहनों को भी कैमरे आसानी से कैद कर सकते हैं। अभी छह लाईन में छह डिवाईस से छह कैमरे चलते है, लेकिन यहां छह कैमरे एक ही डिवाइस से चलेगें। बॉर्डर एरिया में पांच किलोमीटर के दायरे को भी आसानी से कवर कर सकते हैं। इसके अलावा ‘यू सैफ कांट्रोल ड्राइव’ ऐसा उपकरण है,,जो बैटरी से चलता , यह उपकरण 2018 में कंपनी ने लांच किया था।
जो भारत में ही एनडीआरएफ ,पैरामिलिट्री फॉर्स और एसडीआरएफ इसका इस्तेमाल भी कर रहे हैं। यह उपकरण दो किलोमीटर तक दो सौ किलोभार के सामान को 50 किलोमीटर की रफ्तार से जाकर वापिस ला सकता है। यह उपकण पूरी तरह से भारत में ही बना हुआ है। ‘ब्रथ एनालाईजर’ पुलिस को काफी पसंद आ रहा है।
असल में एक डंडे की तरह के एक उपकरण में ही तीन अलग अलग खासियतें हैं। रात के वक्त ट्रैफिक को चलाने के लिये लाईट का इस्तेमाल करना,टॉर्च जलाना और शराबियों को चेक कर देखना कि सामने वाले ने कितनी पी रखी है। यह उपकरण 4जी और वाईफाई से लेस है। पांच मेगा पिस्टल कैमरा लगा हुआ है। जब पुलिस पीने वालों को चेक करके जानने की कोशिश करती है कि उसने पी रखी है या नहीं तो सामने वाला पाईप से मशीन में फूंक मारने से परहेज करता है। लेकिन इस उपकरण में फूंक मारने की कोई जरूरत नहीं है।
कुछ ही दूरी पर उपकरण को चेक करने वाले व्यक्ति के सामाने लाकर बस बटन ही दबाना है। जिससे उसकी शक्ल तो कैद हो जाएगी, बल्कि अगले ही पल पता चल जाएगा कि सामने वाले ने कितनी पी रखी है। सुरक्षा संबंधित एक्सपो में कंपनियां अपने ड्रॉन का प्रचार करने में सबसे ज्यादा कोशिश कर रही है। एक से बढक़र एक ड्रॉन के बारे में बताया जा रहा है। 4जी कलाउड कनेक्टेड ड्रॉन इको सिस्टम ऐसा ड्रॉन है,जिसकी रेंज 18 मीटर की है। इसका वजन दो से सवा दो किलो का है जो अपने से ज्यादा वजन को उठा सकता है। लाईव पिक्चर देने में काफी सक्षम है।
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