पहले सीबीआई और ईडी की कार्रवाई को देखते हुए लगता है कि उपेंद्र राय की समस्या आने वाले समय में बढ़ने ही वाली है। उन पर इतने संगीन आरोप हैं कि इससे बच पाना अब आसान नहीं होगा। पहले से ही सीबीआई की गिरफ्त में आए वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय पर अब प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) का शिकंजा भी कस चुका है। हालांकि पीगुरु और इंडिया स्पीक्स डेली वेबसाइट ने उनके काले कारनामों का काला चिट्ठा पहले ही दुनिया के सामने ला चुकी है। इसी से परेशान होकर राय ने पीगुरू समेत इंडिया स्पीक्स डेली और उनके प्रमुख संपादक संदीप देव को 100 करोड़ रुपये की मानहानि का नोटिस दिया था। लेकिन यूपी पुलिस ने उनकी बेदम शिकायत को ही खारिज कर दिया। ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी कर फिरौती मांगने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय ने उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है।
मुख्य बिंदु
* ब्लैकमेलिंग और धोखेबाजी के आरोप में उपेंद्र राय को सीबीआई पहले ही कर चुकी है गिरफ्तार
* अब ईडी ने ब्लैकमेलिंग कर जबरदस्ती पैसे उगाही करने का आरोप में दर्ज किया मामला
* ग्रेटर कैलाश और जलवायु विहार स्थित उनके घरों पर पड़े छापे, अधिकारियों ने ली तलाशी
सीबीआई ने जो आरोप उनपर लगाए हैं उनके मुताबिक उपेंद्र राय की फर्जी कंपनियों के माध्यम से उनके बैंक खातों में करोड़ो रुपये आए हैं। कभी राष्ट्रीय सहारा अखबार के मुख्य संपादक रहे वरिष्ठ पत्रकार उपेंद्र राय और उसके सहयोगियों के खिलाफ ईडी ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया है। इतना ही नहीं ईडी के अधिकारियो ने दिल्ली के ग्रेटर कैलाश और नोएडा के जलवायु विहार स्थित उनके घरों पर छापे मारकर तलाशी ली है। राय पर आरोप है कि फर्जी कंपनियों के माध्यम से उनके खाते में करोड़ो रुपये आए हैं। इतना ही नहीं उन पर मनी लॉन्ड्रिंग तथा ब्लैकमेलिंग कर बलात धन उगाही करने का भी आरोप लगाया है।
#NewsAlert | ED registers money laundering case against journalist Upendra Rai, conducts searches in #Delhi and #Noida: Officials (PTI)
— India TV (@indiatvnews) May 11, 2018
मालूम हो कि सीबीआई ने उपेंद्र राय को गिरफ्तार करने से पहले ही उनके और उनके सहयोगियों के दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और नोएडा समेत आठ ठिकानों पर छापेमारी की। छापेमारी के बाद की गई पूछताछ के दौरान संतोषजनक जवाब नहीं मिलने के कारण ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पत्रकार के रूप में पीआईबी कार्ड हासिल करने के बावजूद राय ने एयरवन एयरलांइस में खुद को क्वालिटी कंट्रोल का डायरेक्टर बता कर देश के सभी एयरपोर्टों में घुसने के लिए सुरक्षा पास बनवा लिया था। इसके सहारे देश के हर एयरपोर्ट के संवेदनशील जगहों पर जाने का उन्हें अधिकार मिल गया था। जो सुरक्षा की दृष्टि से एक खिलवाड़ है। वो भी तब जब उनके पास वो पास हासिल करने की कोई योग्यता नहीं थी इसके अलावा डीजीसीए ने भी उनके नाम को एप्रूव नहीं किया था। इसके अलाव पीआईबी को भी उन्होंने एयरवन के डायरेक्टर होने की सही सूचना नहीं दी थी। सीबीआई की कार्रवाई के बाद पीआईबी ने भी उपेन्द्र राय का नाम अपनी वेबसाइट से हटा दिया है।
इतना ही नहीं सीबीआई ने तो राय के खिलाफ कई शैल कंपनियों के मालिक होने के अलावा उसके सहारे करोड़ों रुपये उनके खाते में आने का आरोप लगाया है। राय ने सीबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना करते हुए उनकी अर्जी को ही खारिज कर दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आने वाले समय उपेंद्र राय पर दूसरी जांच एजेंसियों का शिकंजा भी कस सकता है।
वैसे उपेंद्र राय सीबीआई के सभी आरोपों को निराधार बताते हुए खुद को फंसाने का आरोप लगाते रहे हैं। उनका कहना है कि जब से उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के एक जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह के बारे में लिखना शुरू किया है तभी से उनके इशारे पर साजिश के तहत उन्हें फंसाया गया है। गौर हो कि राजेश्वर सिंह टूजी आवंटन में हुए घोटाले की जांच दल के सदस्य थे।
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