“चलो जलायें दीप वहाँ, जहाँ अभी भी अँधेरा है” इस पंक्ति को चरितार्थ किया है गुजरात के सुप्रसिद्ध शहर सूरत की सामजसेविका रितु राठी (Ritu Rathi) ने। रितु राठी सूरत में ‘एक-सोच’ नाम से एनजीओ का संचालन करती हैं और इसकी संस्थापिका हैं। रितु राठी एक वर्ष पहले जम्मू-कश्मीर गई थीं और वहाँ उन्होंने भारतीय सेना के सैनिकों को राखी बांधने का कार्यक्रम आयोजित किया था। इस तरह सैनिकों के साथ उनका भाई-बहन का संबंध बन गया था। कुछ समय पूर्व रितु को सेना के कुछ जवानों से पता चला कि जिस स्थान पर वे तैनात हैं, उस जगह के स्कूल की बहुत सी लड़कियों को पढ़ाई में समस्या आ रही है। सेना उन्हें सुरक्षा तो उपलब्ध करा रही है, लेकिन उन्हें कॉपी, पुस्तकें, यूनिफॉर्म और दूसरी सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं हैं।
यह सुनकर रितु राठी पूरी योजना के साथ अपनी टीम लेकर जम्मू-कश्मीर गईं और उस पूरे स्कूल को गोद ले लिया। उस जगह की लड़कियों की एक वर्ष की पढ़ाई का उत्तरदायित्व रितु राठी ने अपने कंधों पर उठा लिया है। रितु ने स्कूल पहुंचकर लड़कियों को स्कूल बैग, पुस्तकें, कॉपी आदि उपलब्ध कराई और साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर आज़ादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाये जा रहे ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत हर लड़की के हाथ में भारत का झंडा भी दिया। रितु राठी और एक-सोच एनजीओ के ट्रस्टी जयमिश बॉम्बेवाला और सुमिलन समूह इस पहल को ‘सरस्वती सदैव मंगलम’ नाम दिया गया है क्योंकि सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है।
रितु राठी के अनुसार ‘राष्ट्र को सशक्त बनाने में पुरुषों के साथ महिलाओं की भूमिका भी बराबरी की है। सशक्तिकरण की इस प्रक्रिया में शिक्षा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। युवा महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित करना उनके सशक्तिकरण और साथ ही राष्ट्र को सशक्त बनाने की दिशा में प्रथम महत्वपूर्ण कदम होता है। हमारा ‘एक-सोच एनजीओ’ इस महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति के लिए हर प्रकार से समर्पित है। इसलिए ‘एक-सोच एनजीओ’ ने गुजरात से बाहर निकलकर इस दिशा में जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने वाली लड़कियों की पढ़ाई पर होने वाला एक वर्ष का सारा खर्चा उठाने का निर्णय लिया है। इसके पीछे का कारण यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद देश के साथ जम्मू-कश्मीर ने भी विकासमार्ग पर तीव्र गति पकड़ी है। यह पहल देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ मिशन का ही अनुकरण है और उनके उस मिशन को पूर्ण करने का एक गिलहरी प्रयास है।’
उनकी यह परियोजना स्कूलों, विद्यार्थियों और उनके जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का गहन विश्लेषण करने के बाद शुरू की गई थी। इसके अलावा, उनके एनजीओ टीम की जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान पाँच महिला विशेषज्ञों के एक दल ने स्कूली छात्राओं और शिक्षकों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता के भाव को सतत बनाये रखने के लिए और अपने समुदाय के लोगों द्वारा समर्थन प्राप्त करने के लिए एक विशेष कॉउंसलिंग (परामर्श) सत्र भी आयोजित किया। साथ ही टीम ने इस यात्रा के हिस्से के रूप में दिव्यांग बच्चों के लिए चलने वाले एक स्कूल और शहीदों के बच्चों के एक स्कूल का दौरा भी किया और दोनों संस्थानों में आर्थिक योगदान भी दिया।
उस क्षेत्र के अनेक प्रतिष्ठित और गणमान्य व्यक्तियों ने रितु राठी की इस पहल का स्वागत करते हुए आयोजित कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने लड़कियों के अविभावकों सहित ‘हर घर तिरंगा’ यात्रा और ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ मिशन के लिए आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लिया और रितु सहित उनके ‘एक-सोच एनजीओ’ की बहुत सराहना की।