दीन-हीन बन चुका है हिंदू , जगह-जगह लतियाया जाता ;
अब्बासी-हिंदू का ढोंग चल रहा,नाटक-नौटंकी में फंसवाता
नरगीसियत इस कदर है हावी , खुद को खुदा समझता है ;
हिंदू – जीवन को तुच्छ समझता , अब्राहमिक पर मरता है ।
मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट है इसमें , कभी नहीं ये सुधरना है ;
जिस हिंदू ने किया भरोसा , निश्चय ही उसको मरना है ।
बहुत बड़ा जादूगर है ये , काला – जादू डाल रखा है ;
पर अब जादू टूट रहा है , उड़ेगा छप्पर जो रखा है ।
एकम् सनातन भारत की आंधी,अब्बासी-हिंदू उड़ जायेगा ;
हिंदू – युग आयेगा सुनहरा , गुंडाराज मिट जायेगा ।
अब्बासी-हिंदू का शासन , पूरा-पूरा अन्याय का शासन ;
“एकम् सनातन भारत” लायेगा ,पूरा-पूरा न्याय का शासन ।
न्याय का शासन, धर्म का शासन , सर्वश्रेष्ठ ये शासन होगा ;
कानून का शासन लागू होगा , जो कि पूर्ण सुशासन होगा ।
कितना जहर पिया हिंदू ने ? आजादी से लेकर अब तक ;
जागो हिंदू ! अब तो जागो,आखिर जहर पियोगे कब तक ?
देखो अमृत का स्रोत है फूटा , एकम् सनातन भारत लाया ;
धर्म का अमृत तुम्हें पिलाने ,”एकम् सनातन भारत” आया ।
धर्म – सनातन ही अमृत है , हर हिंदू को पीना है ;
जितना मरना था बहुत मर चुके , अब हिंदू को जीना है ।
मृत्यु के आलिंगन को छोड़ो , छोड़ो ये अब्बासी – हिंदू ;
कितना मीठा जहर ये जानो ? पीना छोड़ो ओ ! हिंदू ।
अब भी तुम यदि जहर पियोगे , महामूर्ख ही कहलाओगे ;
धर्म – सनातन के अमृत से , हिंदू ! तुम बच जाओगे ।
कितनी सीधी सरल बात है , हर हिंदू को समझनी होगी ;
एक मात्र हिंदूवादी दल , उसकी सरकार बनानी होगी ।
हिंदू जनता भूल चुकी है , लड़कर युद्ध जीतना है ;
अब बचने का यही मार्ग है , अच्छी सरकार बनाना है ।
मरता हुआ क्या कुछ न करेगा,अब अच्छी सरकार बनाओ;
जस के तस कानून हों लागू , व अच्छे-कानून बनाओ ।
लोकतंत्र में मजबूरी है , अच्छी सरकार जरूरी है ;
वरना हिंदू ! तुम न बचोगे , आने वाली इसकी बारी है ।
ओ हिंदू ! तुम कुछ भी समझो ,पर परम-सत्य ये ही मानो ;
या तो अच्छी सरकार बनाओ,या फिर अपना अंत ही जानो