ईसाई , इस्लामी , वामी , हिंदू के न हो सकते मित्र ;
दुनिया भर में देश हैं इनके , ज्यादातर भारत के शत्रु ।
ऊपर से सब मीठे लगते , अंदर भरा हलाहल कड़ुआ ;
ये सब रहते कांच के घर में ,फिर भी पत्थर फेंके भकुआ ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , इसको ये सब जाना करते ;
इसीलिए छुप कर लड़ते हैं , शास्त्रार्थ से भागा करते ।
हिंदू के सच्चे मित्र यहूदी , बचे खुचे जितने भी पारसी ;
इनका हो पूरा संरक्षण , इनसे रिश्ते करो आपसी ।
इजरायल सच्चा मित्र हमारा , इससे हर सहयोग बढ़ाओ ;
हिंदू के जो प्रतिद्वंदी हैं , उनको गच्चा देकर आओ ।
शत्रु – बोध को जागृत कर लो , अपनी रक्षा करने को ;
शत्रु – बोध से रहित जो हिंदू , वे सब तत्पर मरने को ।
जो दुश्मन को जान गया है , दुश्मन को पहचान गया है ;
जीत सर्वदा उसी की होती , वरना गफलत में हार गया है ।
हर – हिंदू की यही कहानी , सदियों जिनसे धोखा खाया ;
अब भी उनको समझ न पाये , शत्रु- बोध पूरा बिसराया ।
सबके साथ का नारा देते , डीएनए भी यही मिलाते ;
भारत जो भी बचा खुचा है , उसे भी मटियामेट कराते ।
खुलेआम घुसपैठ हो रही , चोर कर रहे सीनाजोरी ;
गांधी को हम अब भी ढोते , सबसे बड़ी यही कमजोरी ।
गांधी की हर मूर्ति को तोड़ो , सारा गांधीवाद मिटाओ ;
वीर गोडसे , सावरकर को , अपने सर- माथे पर लाओ ।
हिंदू का नुकसान हुआ है , सबसे ज्यादा गांधी से ;
अभी भी हिंदू मरता- कटता , गांधीवाद के झांसे से ।
धूर्त , मूर्ख , कायर नेता ही , गांधी के अनुयायी हैं ;
गांधीवाद के पीछे छुप कर , अपनी जान बचायी है ।
हिम्मत – चाहत नहीं है इनमें , राष्ट्र की खातिर मरने की ;
सत्ता – सुख के ही आदी हैं , नहीं है क्षमता लड़ने की ।
हिंदू – जनता को मूर्ख बनाना ही , इन सबको आता है ;
इसी से झूठा-इतिहास पढ़ा कर , शत्रु – बोध मिटाता है ।
शत्रु – बोध है बहुत जरूरी , यदि हिंदू को बचना है ;
अंतिम मौका हिंदू चेते , वरना फिर तो मरना है ।
सोशल मीडिया जगा रहा है , हर हिंदू को जगना है ;
सच्चे इतिहास को ठीक से जानो,सम्मान सहित ही जीना है
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”