अर्चना कुमारी। दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में मनीष सिसोदिया को कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय को 7 दिनों के लिए सौंप दिया है। जहां पर प्रवर्तन निदेशालय मनीष सिसोदिया से घोटाले को लेकर मनी ट्रेल के बारे में पूछताछ कर रही है। सूत्रों का दावा है कि कोर्ट से मनीष सिसोदिया की 10 दिन की कस्टडी की मांग प्रवर्तन निदेशालय के तरफ से की गई थी लेकिन 7 दिनों का रिमांड दिया गया। निदेशालय का कहना है कि इस केस को लेकर जहां पर मनी ट्रेल का पता करना है वही दिल्ली के उपमुख्यमंत्री रहे मनीष
सिसदिया के बयान में विरोधाभास है, इस घोटाले से जुड़े सभी साजिश का पता लगाना है। प्रवर्तन निदेशालय ने कहा अभी तक कई लोगों को समन दिया है ताकि इनके आमने सामने बिठाकर पूछताछ की जा सके । सूत्रों का कहना है कि अभी तक की जांच और उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्पष्ट है कि मनीष सिसोदिया आबकारी नीति बनाने की प्रक्रिया में शमिल थे।
इतना ही नहीं जब मनीष सिसोदिया पूछा गया कि थोक विक्रेता के लाभ मार्जिन को 12% पर रखने के लिए तर्क और गणना क्या थी? तो सिसदिया ने कहा कि चूंकि 2020-21 की पिछली नीति में 5% लाभ मार्जिन की गणना सही थी नहीं थी, इसलिए GOM ने उसको 12% तक बढ़ा दिया, ED ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने अपने बयान में कहा कि 12% लाभ मार्जिन का निर्णय तत्कालीन उत्पाद आयुक्त को ड्राफ्ट बनाने में शामिल करने के लिए दिया गया था, हालांकि तत्कालीन उत्पाद आयुक्त ने पहले ही बयान में कहा था कि GOM या मनीष सिसोदिया से थोक विक्रेताओं को 12% का लाभ मार्जिन रखने के लिए कोई चर्चा या निर्देश नहीं था।
ED ने कहा यह स्पष्ट रूप से सिसोदिया द्वारा दिया गया झूठा बयान है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि मोबाइल फोन में जमा डिजिटल डेटा को नष्ट करने के लिए नए तरीके तैयार किए गए और मनीष सिसोदिया ने अपने पी. एस. एच. देवेंद्र शर्मा के नाम से सिम के का इस्तेमाल किया बल्कि विभिन्न नामों पर खरीदे गए मोबाईल फोन का इस्तेमाल भी किया।
इस मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने बताया है कि जिस तरह से सबूतों और साक्ष्यों को नष्ट किया गया उससे यही अनुमान निकलता है कि मनीष सिसोदिया ने धनशोधन के अपराध के साक्ष्य को नष्ट करने के सचेत प्रयास किया। सूत्रों का कहना है कि अदालत में भी माना है कि मनीष सिसोदिया आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
कोर्ट ने कहा मनीष सिसोदिया ने कार्टेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।कोर्ट ने कहा मनीष सिसोदिया ने लाइसेंस देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी गैरकानूनी है ऐसा कोई दलील नहीं दी गई। कोर्ट ने कहा ED के रिमांड आवेदन के अनुसार अभियुक्त आबकारी नीति तैयार करने तथा उसके कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में शामिल था।
कोर्ट ने कहा रिमांड आवेदन के अनुसार सिसोदिया न केवल अपराधों की आय के उत्पादन बल्कि उसकी अदायगी या पुन: शिपमेंट से भी जुड़ा प्रतीत होते है।कोर्ट ने कहा कि आगे की जांच के दौरान यह पता चला है कि इस अभियुक्त ने एक कार्टेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं के बीच बनाई गई थी।
कोर्ट ने कहा कार्टेल फर्म के पक्ष में थोक लाइसेंस (L 1) के अनुदान में सहायक भी था।राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने माना कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी में PMLA की धारा 19 के प्रावधान के उल्लंघन में नहीं हुआ, न ही गिरफ्तारी अवैध है कोर्ट ने कहा सिसोदिया को गिरफ्तारी के ग्राउंड के बारे में जानकारी भी दी गई