संदीप देव। जलवायु परिवर्तन के नाम पर ‘डीप स्टेट’ के एजेंडे को अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने धता बता दिया है। पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका अलग हो गया है।
विकसित देशों ने अपना विकास कर लिया और विकासशील देशों के विकास को रोकने के लिए जलवायु परिवर्तन और कार्बन फुट प्रिंट की आड़ लेकर उन्हें दबा रहे हैं! यही नहीं, विकासशील देशों में ऐसे NGO, तथाकथित धर्म गुरुओं आदि को फंडिंग कर रहे हैं, जो पर्यावरण की आड़ लेकर न केवल विकसित देशों के हित में अपने विकासशील देश के विकास का पहिया रोक रहे हैं, बल्कि वहां के नागरिकों के मन में यह कुंठा बोध भी जगा रहे हैं कि तुम जैसों के कारण यह दुनिया रहने योग्य नहीं रही है!

भारत में कुडाकुलम परमाणु संयंत्र को ऐसे ही NGOs के झुंड ने रोका था, जिसे लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान भी दिया था कि इन NGOs को देश का विकास रोकने के लिए विदेशी फंड मिल रहा है।
आज ‘पाइरेटेड (प्र) अशांत’ जैसे ‘फ्रॉडाचार्य’ भारत जैसे विकासशील देश के विकास का पहिया रोकने वाले ग्लोबल एलिट व डीप स्टेट के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं पर्यावरण असंतुलन और ग्लोबल वार्मिंग के नाम पर!
AC में बैठकर, गाड़ी में चलकर वह अपने चले-चेलियों के जरिए उन हिंदुओं को पर्यावरण पर ज्ञान दे रहा है जो स्वभाव से ही पेड़-पौधे और प्रकृति के पूजक रहे हैं। इसका प्रयास हिंदू युवाओं में यह कुंठा बोध जगाना है कि तुम्हारे कारण दुनिया रहने योग्य नहीं रही है!
ग्लोबल एलिट ने धार्मिक गुरुओं को बहुत सोच-समझकर अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए चुना है। इनके हजारों-लाखों अंधे फॉलोअर होते हैं, जो बिना दिमाग लगाए रोबोट की भांति इनके एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं! दावोस में आयोजित होने वली WEF फोरम में जग्गी वासुदेव जैसे कथित धर्म गुरु खुलकर जा रहे हैं और ‘पाइरेटेड अशांत’ खुलकर भारतीयों के मन में यह कुंठा भर रहा है कि पर्यावरण तुम्हारे कारण खराब हो रहा है!
नीचे इस ‘फ्रॉडाचार्य अशांत’ की मार्केटिंग टीम के मैसेज का SS देखिए, एक सुर में पर्यावरण सुरक्षा की बात बोलते हुए यह मुझे कोसते नजर आएंगे, जैसे मैंने ही पर्यावरण खराब कर दिया है! दरअसल यह भेड़ बुद्धि अपने ‘अशांत अचार’ के रोबोट बनकर ग्लोबल डीप स्टेट के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं! अपने मन में सोचिए कि आखिर ट्रंप अपने दोनों कार्यकाल में अमेरिका को आगे बढ़ाने के लिए पेरिस समझौते से क्यों हटा है?

असल में ट्रंप ने अपनी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्रीज की दुर्दशा की आशंका से अमेरिका को इससे बाहर निकाला है, जबकि डीप स्टेट के सबसे बड़े पार्टनर अमेरिकी डेमोक्रेट्स इसके हक में हमेशा खड़े रहे हैं।
दावोस में हर साल जुटने वाले 2700-3000 ग्लोबल एलिट अपने हितों के लिए पर्यावरण की आड़ लेकर विकासशील देशों को गुलाम बनाए रखना चाहते हैं। कल को कार्बन फुट प्रिंट के नाम पर वह आपकी गतिविधियों को रोकने पर काम कर रहे हैं। अपनी गाड़ी के पेट्रोल बिल को देखिए। उसमें कार्बन फुट प्रिंट लिखा है। भविष्य में आपने अपने लिमिट का कार्बन फुट प्रिंट उपयोग कर लिया, तो उसके बाद आपकी गतिविधियों पर यह उन देशों में बैठी अपनी सरकारों के माध्यम से रोक लगाएंगे। यह करोड़ों की कारों और AC में बैठकर में ईंधन फूंकेंगे, पर्यावरण खराब करेंगे और उसका संतुलन आपको रोककर या सार्वजनिक वाहन से आपकी यात्रा करा कर पूरा करेंगे! कार्बन फुट प्रिंट कार्ड को क्रेडिट कार्ड की तरह आगे लाने की ग्लोबल एलिट की योजना है!
एक अन्य उदाहरण से समझिए! फेसबुक का मालिक मार्क जुकरबर्ग खुद के फॉर्म से विश्व का सर्वाधिक अच्छा बीफ पैदा करने के लिए गाय पाल और कटवा रहा है, लेकिन बीफ से हो रहे ग्लोबल वार्मिंग को संतुलित करने के लिए वह विकासशील देशों को पेरिस समझौते का गुलाम बनाए रखना चाहता है! यही दोगलापन है, जिसके विरुद्ध ट्रंप ने अमेरिका को पेरिस समझौते से बाहर खींचा है और ‘फ्रॉडाचार्य अशांत’ जैसे लोग भारत को उसमें ढकेल रहे हैं, हिंदू युवाओं का ब्रेनवाश करके!
जग्गी वासुदेव, ‘पाइरेटेड फ्रॉडाचार्य अशांत’ आदि ग्लोबल एलिट के पार्टनर हैं, जो हिंदू युवाओं का ब्रेनवाश कर उन्हें कुंठा में ढकेल रहे हैं कि दुनिया में जो भी खराबी है तुम हिंदुओं के कारण ही है! क्रमशः…