“संदीप-देव” तक हो गये निराश
हर-संकट का समाधान है , बस हिंदू ! सावधान हो जाओ ;
अच्छे हिंदू – नेता को ढूॅंढो व अच्छी – सरकार बनाओ ।
जब-तक अच्छे-नेता न होंगे , अच्छी-सरकार बनेगी कैसे ?
राजनीति को समझो हिंदू ! वरना जियोगे तुम कैसे ?
हिंदू की सबसे बड़ी है दुश्मन , गंदी – राजनीति भारत की ;
हद दर्जे के गंदे – नेता , मिटा रहे इज्जत भारत की ।
पुरस्कार की गंदी – चाहत , हर – देश के आगे पूॅंछ हिलाते ;
चरित्रहीनता इतनी-ज्यादा है , ब्लैकमेल ये सदा ही होते ।
चरित्र नहीं तो कुछ भी नहीं है , चरित्रहीन ये सारे हैं ;
चरित्र की दौलत धर्म से मिलती , ये मजहब के मारे हैं ।
हिंदू ! की दुश्मन धर्महीनता , हिंदू ! मिटता जाता है ;
हिंदू ! फौरन धर्म में आओ , वरना सब-कुछ जाता है ।
परमावश्यक हिंदू – पार्टी , जिसमें केवल धर्मनिष्ठ हों ;
इसी दिशा में कदम उठाना , तब ही सरकारें सत्यनिष्ठ हों ।
शक्ति जरूरी राजनीति की , हिंदू ! बिल्कुल शक्तिहीन है ;
हिंदू की कोई भी न सुनता , क्योंकि शक्तिविहीन है ।
हिंदू-पार्टी जब-तक न होगी , राजनीति की शक्ति न होगी ;
बचना मुश्किल हो जायेगा , हिंदू ! की मौत बुरी होगी ।
धन – दौलत सब धरी रहेगी , एक-एक मारे जाओगे ;
अब्बासी – हिंदू नेता के रहते , दुनिया से ऐसे जाओगे ।
दल-विहीन क्या रहेगा हिंदू ? क्या कोई नहीं बनाने वाला ?
क्या एक भी हिंदू नहीं है सक्षम ? हिंदू-पार्टी को बनाने वाला ।
इतना धोखा खाया हिंदू ने , पूरा-विश्वास ही टूट चुका है ;
जम्मू वाले नेता के कारण , हिंदू ! पूरा टूट चुका है ।
“संदीप-देव” तक हो गये निराश , इतना बड़ा धोखा खाया ;
अब क्या हिंदू असहाय रहेगा ? क्या समय बुरा इतना आया ?
हिंदू ! का दुर्भाग्य तो देखो , एक भी नेता नहीं है ढंग का ;
पूॅंछ उठाओ मादा निकले , सारा – नेता इस ढंग का ।
जो पाॅंचो हिंदू-योद्धा हैं , इस दिशा में तनिक विचार करें ;
राजनीति की जब शक्ति नहीं है , तो क्या हिंदू ! डूब मरें ?
सारी पिछली बातें छोड़ो , एक नई शुरुआत करें ;
एक नया हिंदूवादी दल , ये पाॅंचो तैयार करें ।
संदीप, विशाल, शिल्पी, अक्षय , मधु-किश्वर दीदी को जानो ;
ये ही पाॅंचो हिंदू – योद्धा हैं , हिंदू-रक्षक इनको मानो ।
इनसे सब हिंदू ! करें अपेक्षा , ये ही कोई मार्ग बतायें ;
जिस पर चलकरके सारे-हिंदू, राजनीति की ताकत पायें ।
“जय सनातन-भारत”, रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”