हिंदू सब कुछ छोड़-छाड़कर , अपनी कमियां दूर करें ;
वरना जो जेहाद चल रहा , उसमें फंसकर बेमौत मरें ।
जेहादी सब बहुत चतुर हैं , हिंदू को मूर्ख बनाते हैं ;
इसी में सारे नेता फंस गये , गजवायेहिंद कराते हैं ।
सबसे बड़ी कमी हिंदू में , स्वार्थ, लोभ ,भय, भ्रष्टाचार ;
क्योंकि धर्म – सनातन भूले , इसीलिये हिंदू लाचार ।
जब से धर्म- सनातन भूले , शत्रु – बोध भी बिसराया ;
कोढ़ में खाज हैं हिंदू-नेता , जेहादी को गले लगाया ।
चरित्रहीन ये कायर नेता , सबके विश्वास की बात करें ;
ऊपर से नीचे तक जिम्मी , हिंदू- हित से घात करें ।
सदा भ्रमित हिंदू को करते , ऐसे हैं ये हिंदू-नेता ;
हिंदू-मंदिर लूट- लूटकर , जेहादी को जजिया देता ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म- सनातन, कभी भी कोई हरा न सकता ;
पर हिंदू-गद्दार जो नेता , तिल-तिल करके धर्म मिटाता ।
पानी बहता सिर से ऊपर , हिंदू फौरन होश में आयें ;
अपनी सारी कमियां त्यागें , धर्म – सनातन अपनायें ।
शत्रुबोध जाग्रत हो पूरा , सच्चा- इतिहास बतायेगा ;
हिंदू-संहार हुये हैं कितने ? सोशल मीडिया बतलायेगा ।
शिक्षा में इतिहास है झूठा , सरकारी ये साजिश है ;
शत्रुबोध हिंदू का मिटाना , जेहादी की साजिश है ।
इस पूरी साजिश को समझो , जड़ से इसे मिटाना है ;
शासन तंत्र में भरे पड़े हैं , जिम्मी- जेहादी को हटाना है ।
गंदी राजनीति के कारण , सत्ता में मक्कार हैं ;
जेहादी के गुलाम ये सारे , पूरे – पूरे गद्दार हैं ।
सौ बरस के पहले तक तो , शत्रुबोध था हिंदू मन में ;
इसे मिटाने आया गांधी , पूरी गद्दारी इसके मन में ।
पूरा धोखेबाज था गांधी , पूरा नौटंकीबाज था गांधी ;
अंग्रेजों का दलाल था गांधी,जेहादी का गुलाम था गांधी ।
सबसे बड़ा जो धोखा खाया , भारत के हिंदूजन ने ;
संत बनाया ऐसे धूर्त को , राष्ट्रपिता माना जन ने ।
हिंदू की सारी बर्बादी , अभी भी गांधी के कारण ;
साहस ,शौर्य भुलाकर हिंदू , लड़ना भूला इसके कारण ।
अब गांधी की पोल खुल चुकी , सारे हिंदू इसे मिटाओ ;
भरपायी हर हानि की होगी , देश को हिंदू-राष्ट्र बनाओ ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”