अगर आज मुख्यधारा की पत्रकारिता अविश्वसनीय बन गई है तो राजदीप सरदेसाई, शेखर गुप्ता, अभिषार शर्मा, रोहिनी सिंह, श्वाति चतुर्वेदी तथा आशुतोष मिश्रा जैसे स्वघोषित पीडी पत्रकारों की वजह से। इनलोगों को न तथ्य से कोई मतलब होता है न ही कारण से, ये लोग तो अपने-अपने आकाओं के इशारे पर भौंकना शुरू कर देते हैं। इनकी एकपक्षीय पत्रकारिता अमृतसर में ट्रेन के नीचे आने से 61 लोगों की हुई दर्दनाक मौत की घटना को लेकर एक बार फिर सामने आ गई है। अमृतसर घटना के तुरंत बाद ही इन लोगों ने मोदी सरकार पर लापरवाही बरतने से लेकर निर्दय होने तक का आरोप लगाते हुए आलोचना शुरू कर दी। लेकिन जैसे ही इस घटना में सीधे तौर पर कांग्रेस की संलिप्तता की बात सामने आने लगी तो इन लोगों ने न केवल चुप्पी साध ली बल्कि उस खबर को ही दबा दिया। ताकि लोगों तक असली खबर पहुंचे ही नहीं।
मुख्य बिंदु
* राजीव सरदेसाई, शेखर गुप्ता, रोहिनी सिंह, श्वेता चतुर्वेदी जैसे स्वघोषित पत्रकारों की असलियत आई सामने
* कांग्रेसी नेताओं को बचाने के लिए ही इन लोगों ने तथ्यों को छिपाकर मोदी सरकार पर हमला करने का अपना अभियान जारी रखा
राजदीप सरदेसाई ने ट्वीट करते हुए लिखा कि आधी दुनिया घूमने के बाद कहा जा सकता है कि इस प्रकार की भीषण दुर्घटना पंजाब के अमृतसर में ही सुनी है। 21वीं शताब्दी में भी अगर कोई रेलवे क्रॉसिंग आदमी रहित है तो यह सिर्फ अधिकारियों की निष्ठुरता ही कही जा सकती है। इसके साथ ही उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए पूछा है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
राजदीप सरदेसाई समेत इन लोगों के इस प्रकार के ट्वीट से साफ पता चलता है कि न तो इन लोगों को मौके की जानकारी है न ही कारण की। ये लोग तो बस अपने आकाओं को खुश करने के लिए इस घटना के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराने वाले अभियान का एक हिस्सा भर हैं। क्योंकि सच्चाई यह है कि वहां कोई रेलवे क्रॉसिंग है ही नहीं। कुछ दूरी पर जो रेलवे क्रॉसिंग है भी तो वह आदमी रहित नहीं बल्कि वहां पर दो आदमी तैनात हैं। खास बात जो इन लोगों को पता ही नहीं है, या है भी तो जानबूझ कर उसे छिपाया है, वह यह कि जब घटना घटी थी उस वक्त दोनों तरफ का फाटक बंद था।
हालंकि राजदीप बाद में डिलीट करते हुए सँभलते हुए दूसरा ट्वीट किया
Half way across the world, just heard of the terrible rail tragedy in Amritsar.. an entirely avoidable tragedy caused by sheer negligence and lack of adequate safety systems. Prayers for families of victims. #AmritsarRailAccident
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) October 19, 2018
सिर्फ राजदीप ही क्यों ऐसे ही ट्वीट शेखर गुप्ता, रागिनी सिंह, श्वाति चतुर्वेदी और आशुतोष मिश्रा ने भी किया है।
सबसे खास बात यह है कि जिस जगह पर यह घटना घटी वहां ट्रेन की रफ्तार निर्धारित ही नहीं है। इतना ही नहीं जिस जगह पर कांग्रेस के नेताओं ने रावण दहन का आयोजन किया था उसके लिए न तो किसी स्थानी प्रशासनिक कार्यालय से अनुमति ली थी न ही रेलवे को इस बारे में कोई जानकारी दी थी। जबकि सभी जानते हैं कि वह जगह ट्रेन की हाई स्पीड जोन में आती है। जब इन्हें पता लगा कि स्थानीय विधायक और विश्व विख्यात कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्दू की पत्नी नवजोत कॉर उस कार्यक्रम में मुख्य अथिति के रूप में उस कार्यक्रम को संबोधित कर रही थी। लेकिन घटना घटित होने के बाद वह कायर की तरह वहां से भाग खड़ी हुई।
इस बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि क्या मैंने उन लोगों को रेलवे ट्रैक पर बैठने के लिए वाध्य किया था? क्या मैंने रेलवे को कहा था कि वहां लोग बैठे और आप ट्रेन चलवाकर उन लोगों को रौंदवा दो? इतने बेगैरत बयान देने के बाद भी इन पीडी पत्रकारों ने एक भी ट्वीट नहीं किया। इनमें से किसी ने न तो कांग्रेस के वहां के विधायक सिद्धू और उनकी पत्नी की आलोचना की न ही उन पर सवाल उठाया।
ध्यान रहे कि जब यह घटना घटी तभी से उस कार्यक्रम के आयोजक, जो कांग्रेस नेता हैं और सिद्धू के करीबी माने जाते हैं, फरार हैं। सवाल उठता है कि वह फरार क्यों है? लेकिन इन पीडी पत्रकारों ने कभी इस सवाल को नहीं उठाया। लेकिन इन सारे तथ्य आने से पहले ही उन लोगों ने मोदी सरकार से लेकर रेल मंत्री पीयूष गोयल तक को कठघरे में खड़ा कर दिया।
ऐसा इन लोगों ने इसलिए किया क्योंकि ये लोग पहले दिन से जानते थे कि इस घटना के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह कांग्रेस के नेता हैं। इसलिए तथ्य सामने आने से पहले ही इनलोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ हमला करना शुरू कर दिया क्योंकि बाद में तो इनलोगों को अपने बिल में छिपना था।
फेक न्यूज चलाने के कारण एबीपी न्यूज से निकाले जाने के बाद भी अभिषार शर्मा की आदत गई नहीं। उसने तो द वायर पर इस पूरी घटना पर एक पूरी झूठी कहानी गढ़ डाली। यह वीडियो इतना बड़ा फेक था कि द वायर को अपनी वेबसाइट से डिलीट करना पड़ा। हो न हो यह द वायर के संपादक की चाल हो। उन्होंने समझा होगा कि पहले तो चलवा देते हैं और बाद में हटा देंगे। इससे मोदी सरकार को बदनाम करने का काम भी हो जाएगा और बाद में उसे हटा भी लेंगे। इससे जिसकी शाख गिरेगी उसकी तो पहले से ही कोई शाख नहीं है।
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