अवधेश कुमार मिश्र। अब जब इतना बड़ा सच ब्रिटिश कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने खुद स्वीकार कर लिया है तो फिर फेसबुक और कैंब्रिज एनालिटिका के खिलाफ क्यों न कड़ी कार्रवाई की जाए? कैंब्रिज एनालिटिका ने स्वयं स्वीकार किया है कि करीब 6 लाख भारतीय फेसबुक यूजर्स का डेटा उन्होंने कांग्रेस के साथ अनुचित रूप से साझा किया था। इतना ही नहीं यह डेटा चोर कंपनी ने इस डेटा को लेकर कांग्रेस के सामने प्रेजेंटेशन भी किया था। इसके तहत कांग्रेस को जाति शोध, मतदाताओं के व्यवहार, पोल मैनेजमेंज के साथ चुनाव में सफलता हासिल करने का मंत्र भी दिया था। अब जब इतना बड़ा खुलासा सबके सामने आया है तो फिर क्यों नहीं कांग्रेस को इतने दिनों तक देश की जनता को गुमराह करने के लिए माफी मांगनी चाहिए और उस डेटा चोर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
मुख्य बिंदु
* 5 नहीं 9 करोड़ फेसबुक यूजर्स के डेटा हुई चोरी, कैंब्रिज एनालिटिका ने स्वयं स्वीकारा यह सच
* कैंब्रिज एनालिटिका ने कांग्रेस के सामने भारतीय यूजर्स के डेटा का दिया था प्रेजेंटेशन
* दुनिया के साथ भारतीय जूजर्स की नीजता हनन को लेकर दोनों कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं
डाटा चोरी को लेकर देश के दोनों बड़ी पार्टियों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच जुबानी युद्ध पहले से जारी है। कैंब्रिज एनालिटिका के दफ्तर में कांग्रेस का चुनाव निशान मिलने के बाद कांग्रेस पहले से ही बैकफूट पर है। लेकिन इतनी बड़ी डेटा चोरी का मामला सामने आने के बाद कांग्रेस पर संदेह और गहराता नजर आ रहा है। ऐसे में कांग्रेस को आज न कल देश की जनता के सामने जवाब देना ही होगा। महज भाजपा को इस मामले में घसीट लेने से काम नहीं चलने वाला है।
कैंब्रिज एनालिटिका के इस खुलासे के बाद से फेसबुक पर ही नहीं बल्कि कैंब्रिट एनालिटिका के खुद पर संकट गहराता दिख रहा है। वैसे फेसबुक पहले से ही अमेरिका में हुए पिछले राष्ट्रपति चुनाव के दौरान वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फेवर में डेटा मुहैया कराने का आरोप है। इस मामले में तो फेसबुक को जांज का भी समाना करना पड़ रहा है। इसी मामले में फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग को संसदीय समिति के सामने गवाही देनी पड़ सकती है।
डेटा चोरी के मामले में फेसबुक की साख तो पहले से ही दांव पर लग चुकी है, लेकिन क्या साख घटना ही काफी है? क्यों नहीं लोगों की नीजता का हनन करने और करोड़ो फेसबुक उपयोगकर्ता के विश्वास तोड़ने के जुर्म में उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अभी तक विश्व के साथ भारतीय फेसबुक यूजर्स को दोनों कंपनियां गुमरहा कर रही थीं, आखिरकार सच्चाई सबके सामने आ ही गई। ऐसे में फिर दोनों कंपनियों को बख्सा क्यों जाए? शुरू में कहा गया कि पांच करोड़ फेसबुक यूजर्स का डेटा अनुचित रूप से कैंब्रिज एनालिटिका के साथ साझा किया गया था। लेकिन कैंब्रिज एनालिटिका ने अब स्वयं स्वीकार किया है कि यह डाटा करीब 9 (8.7) करोड़ का था। वैसे तो जो डेटा साझा किए गए उनमें से अधिकांश उपयोगकर्ता अमेरिका के बताए जा रहे हैं, लेकिन करीब छह लाख उपयोगकर्ता भारत के बताए जा रहे हैं। एसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कैंब्रिज एनालिटिका ने भारतीय उपयोगकर्ताओं के निजी जानकारी का किया क्या?
URL: facebook : About 87 million users personal data shared with cambridge analytica
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