जिस प्रकार सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार हुए पांच नक्सल समर्थकों को घर में नजरबंद करने का आदेश देकर राहत दी है, उससे एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और नक्सल समर्थकों विशेषकर नरेंद्र मोदी के खिलाफ षड्यंकारियों के बीच रही साठगांठ का खुलासा हुआ है। इस मामले में मानुसी नाम के मानवाधिकार संगठन की संस्थापक तथा लेखक मधु पूर्णिमा किश्वर ने तीस्ता सीतलवाड़ और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आफताब आलम के बीच नाजायज सांठगांठ का खुलासा किया है। इस खुलासे से यह साफ हो गया है कि मोदी को फंसाने से लेकर मारने तक का षड्यंत्र कोई नया नहीं बल्कि काफी पुराना है। अब तो जांच में बस खुलासा हो रहा है।
पुणे की पुलिस हो या मधु पूर्णिमा किश्वर इन लोगों ने तो अभी खुलासा किया है। जबकि किताब पढ़ने में रुचि रखने वालों को काफी पहले से मालूम है कि इंडिया स्पीक्स डेली के प्रमुख संपादक संदीव देव बहुत पहले ही अपनी किताब ‘निशाने पर मोदी: साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’ के माध्यम से इसका खुलासा कर चुके हैं। उन्होंने अपनी किताब में गरीबों के पैसे पर ऐश करने वाली तीस्ता सीतलवाड़ और सुप्रीम कोर्ट के जज आफताब आलम के नेक्सस का खुलासा किया था। उन्होंने बताया है कि ये लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगा मामले में फंसाने के लिए कितने नीचे स्तर तक गिर सकते हैं। उन्होंने लिखा है कि इन लोगों ने नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए न्याय के मंदिर को भी पाप का अड्डा बना दिया था। संदीप देव की किताब ‘निशाने पर नरेंद्र मोदी: साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’ में इसका भी खुलासा किया गया था कि जो विदेशी संस्था तीस्ता सीतलवाड़ के NGO को फंड करती थी, वही जस्टिस आफताब आलम की बेटी के NGO को भी फंड करती थी।
मालूम हो कि मधु किश्वर ने ट्वीट कर बताया है कि किस प्रकार तीस्ता सीतलवाड़ सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आफताब आलम के साथ बैठकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2002 में गुजरात दंगा मामले में फंसाने के लिए आदेश ड्राफ्ट कराया था। किश्वर ने अपने ट्वीट में लिखा है कि तीस्ता सीतलवाड़ का दायां हाथ कहा जाने वाला रइस खान ने उनके साथ एक साक्षात्कार के दौरान यह आरोप लगाया था। खान का वह साक्षात्कार अभी भी साक्ष्य के रुप में उपलब्ध है। उन्होंने आरोप लगाया था कि तीस्ता सीतलवाड़ का सुप्रीम कोर्ट के जज आफताब आलम के साथ धड़ल्ले से उठना-बैठना था।
Remember Teesta's right hand man Rais Khan alleging in tape recorded interview with me how she used to literally sit with SC judge Aftab Alam and draft orders against Modi during course of her utterly flimsy & lawless PIL to implicate Modi in 2002 riots! https://t.co/HGYIVUscUW
— MadhuPurnima Kishwar (@madhukishwar) 31 August 2018
गौरतलब है कि तीस्ता सीतलवाड़ ने 2002 दंगा को लेकर बहुत ही घटिया तथा गैरविधिक जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका में उसने नरेंद्र मोदी को ही टार्गेट किया था। नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए उसका साथ दिया था सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश आफताब आलम ने, जैसा कि रइस खान ने किश्वर को दिए साक्षात्कार में आरोप लगाया है। इससे स्पष्ट हो जाता है कि नरेंद्र मोदी को फंसाने की साजिश काफी पहले से की जा रही थी। लेकिन जब मोदी फंस नहीं पाए तो उन्हें रास्ते से हटाने की साजिश रची जाने लगी, जिसका खुलासा पुणे पुलिस ने नक्सली समर्थकों के घरों से मिली चिट्ठियों के आधार पर किया है। इसी मामले में पुणे पुलिस ने इन पांच नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार भी किया है।
लेकिन एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तार इन पांच नक्सलियों को राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी को हाउस अरेस्ट में बदल दिया है। जिस प्रकार पिछली साजिश का भांडा फूटा है इससे सुप्रीम कोर्ट तक शहरी नक्सलियों की पहुंच का आभास होता है।? इस मामले में नक्सली समर्थकों की योजना से लेकर संलिप्तता तक के तथ्य जब सामने आने लगे हैं तो अब इसे तार्किक परिणति तक पहुंचना भी चाहिए।
URL: fact of conspiracy to kill Prime Minister Narendra Modi came to light
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