
निष्पक्षता बनाम पीढ़ियों की कुटिलता। साहित्य की शिक्षा या वैचारिक दीक्षा।
अमित श्रीवास्तव। कई वरिष्ठ लेखकों के मैसेज आते हैं। कहते हैं निष्पक्ष रहो। सॉरी सर, जो मैने आप वरिष्ठ जनों से पाया वही लौटा रहा हूँ। हमसे निष्पक्षता की उम्मीद मेरे पूर्वज लेखक कर रहे हैं जिन्होंने हमें विरासत में सदा एक पक्ष की बातें ही दी है। 1999 से लेखन व पत्रकारिता को देख रहा हूँ। 2002 में गोधरा पर चुप्पी भी महसूस किया और 2012 से अनवरत सेक्युलरिज्म और डर का माहौल है… लोकतंत्र खतरे में है…. वाली कहानियां व संपादकीय भी पढ़ रहा हूँ।
बंगाल को हिंसा को धार्मिक रंग न देने वालों को फिलिस्तीन का साथ देने को कहते भी सुन रहा हूँ। झूठ भ्रम फैलाना गलत बात है कहते हुए झूठ और भ्रम फैलाते देख रहा हूँ। निष्पक्षता की आर में एक पक्ष के प्रति अगाध श्रद्धा भी देख रहा हूँ। सॉरी सर, आप निष्पक्षता की बात करते हैं- क्या प्रगतिशील लेखक समूह निष्पक्ष था? क्या हंस में प्रकाशित संपादकीय निष्पक्ष था? क्या अवार्ड वापसी निष्पक्षता थी? क्या छपने के लिए झूठी तारीफें करना निष्पक्षता है? क्या छोटे से अवार्ड व एक अदद नौकरी के लिए भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को गाली देना निष्पक्षता है? सॉरी सर, ऐसी विरासत हमारी पीढ़ी को आप लोगों से प्राप्त हुआ।
निष्पक्षता का अर्थ जो आप लोगों ने तय किया है उसमे राष्ट्रवाद, वामपंथ से अलग राय, आपको राय से अलग राय रखना, भारतीय संस्कृति का अभिमान आदि के विरुद्ध रहना ही निष्पक्षता है। सॉरी सर, आप लोगों ने अपने एक पक्षीय साहित्य को ही निष्पक्षता का दर्जा दे दिया। खुद की डफली बजाते रहे। शिक्षित कम दीक्षित ज्यादा करते रहे और होते भी रहे। अपने जैसे एक पक्ष वालों का विशाल समूह खड़ा कर लिया।
इस समूह ने किया क्या? मेरे जैसा किसी युवा ने कोई प्रश्न करने की हिम्मत जुताई तो चारो ओर से लताड़ने लगे कि तुम साहित्य के योग नहीं? तुम लेखक नहीं? अर्थात मेरा सेक्युलरिज्म वाला सर्टिफिकेट समेत मेरी स्वाधीन सोच वाला सर्टिफिकेट आप लोगों ने निरस्त कर दिया और आप ही है जो कहते नहीं थकते कि आज की राजनीति सर्टिफिकेट बांट रही है।
आप लोगों ने हमारे जैसे कोपलों को सिखाया कि प्रश्न करो। घर की परंपराओं के बारे में प्रश्न करो। भारतीय संस्कारों पर पोस्ट करो। रक्ष्ट्रीयता पर प्रश्न करो…. हमने खूब किया। पर एक बार जो हमने आपसे प्रश्न कर लिया … हम उद्दंड हो गए। हम थोड़े से बेवफा क्या हुए आप तो…. जब हम दूसरों से प्रश्न पूछ रहे थे तो निष्पक्ष थे आज आपसे पूछ लिया तो भोपूं बन गए? वाह साहब वाह।
सॉरी सर, मेरी इस स्थिति के लिए जिम्मेवार आप जैसे अभिभावक हैं। आप जैसे निष्पक्ष साहित्यकारों की टोली के सभी निष्पक्ष जनों की अपनी अलग राय- विचार है। अपना पक्ष है जिसके खुद में निष्पक्ष होने के तर्क है और वो दूसरे पक्ष को सुनने को तैयार नहीं है। आप तय करें कि मुझें किस निष्पक्ष राय के साथ जाना चाहिए?
साहित्य में एक पक्ष के दीक्षित निष्पक्ष लोगों को लगता है कि सत्ता से प्रश्न पूछना ही लोकतंत्र है। साहित्य है। मान लिया। किन्तु यह तो बताइए कि सत्ता यानी क्या? कौन सी सत्ता? लेखक समूहों की सत्ता? वैचारिक उन्माद की सत्ता? या चुनी हुई सरकार के प्रति झूठ और भ्रम से अविश्वास पैदा करने वाली पत्रकारिता व साहित्यिक सत्ता? अवार्ड वापसी कर विदेश में शोर मचाने वाली सत्ता? या तीन बार के चुने हुए मुख्यमंत्री को वीजा न देने के लिए पत्र लिखने वाली सत्ता?
आपकी निष्पक्षता पर सवाल करने पर चारों ओर से नोच खाने वाले कॉमरेड की सत्ता? छपने नहीं देने वाली सत्ता? किस सत्ता के खिलाफ है आपकी? यदि आपके गुरुओं के गुरुओं की पुरानी शिक्षा कहती है कि सत्ता मतलब लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनी हुई सरकार ही सत्ता है तो बताइए कि कौन सी सरकार सत्ता है? सिर्फ केंद्र या राज्य की सरकारें भी सत्ता है? सत्तर वर्षों तक महिलाओं को खुले में शौच के लिए भेजने वाली सत्ता या वोट न देने पर अपने ही राज्य की जनता को नोचने वाली राज्य की सत्ता?
सॉरी सर, सन 1789 के फ्रांसीसी क्रांति के पुराने, घिसे-पिटे रूढ़िवादी मानकों से भारतीय दर्शन का विश्लेषण बन्द कीजिए। रूस व चीनी सिद्धांत power comes from barrel से इतर भारत एक ऐसा लोकतांत्रिक राष्ट्र है जहाँ एक ही साथ संपन्न हुए दो चुनावों में केंद्र व राज्य में अलग अलग पूर्ण बहुमत की सरकारें बनती है। एक ही प्रदेढ़ की जनता केंद्र की सत्ता की सभी सीटों पर एक ही दल के प्रतिनिधियों को भेजती है और राज्य की सत्ता की लगभग सभी सीटों पर दूसरे दल के विधायकों को बिठा देती है।
आपकी पीढ़ी जो पिछली पीढ़ियों से सीखती आई है वहीं पुरानी शिक्षा हमें दे रही है। साहित्य का एक ही अर्थ है सत्ता के खिलाफ। किन्तु आप यह नहीं तय कर पा रहे कि वर्तमान में सता का असली अर्थ क्या है? क्या चुनी हुई सरकार के पास ही मात्र सत्ता है? क्या आपके पास अपनी सत्ता नहीं? आप सरकार के विरुद्ध खड़ी दूसरी सत्ता का हिस्सा नहीं?
सॉरी सर, आपकी शिक्षा आज भी 17वीं शताव्दी के इर्द गिर्द ही घूम रही है। हमें लोकतंत्र को अपनाएं सत्तर वर्ष हो चुके हैं। स्थापना के कुछ वर्षों को छोड़ दें तो जनता जागरूकता के साथ स्पष्ट निर्णय दे रही है। हम खुद सरकार चुन रहे हैं। हम खुद भी सरकार बन रहे हैं और हम ही है जो व्यवस्था चला भी रहे हैं। चुनी हुई सरकार हमारे बीच के ही लोग हैं।
आंखें खोल कर देखिए कि रानी का पायलट पुत्र रातोंरात मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं बन रहा। ओर जो बन रहा है वह सत्ता से बाहर भी हो रहा है। ये हमारी परिपक्वता है जिसे आप अस्वीकार कर रहे हैं। सॉरी सर, हमारी पीढ़ी आपकी दी हुई शिक्षा भी ले रही है और आपसे पूर्व की पीढ़ियों द्वारा दी फैलाई शिक्षा भी। हम उन घटनाओं को भी पढ़ रहे हैं जिसे छिपाने की कोशिश पूर्व के पीढ़ियों ने की और उनके साहित्य को पढ़ उनके जैसे विचार रखने वाले आप भी कर रहे हैं।
हम उन विषयों पर भी चर्चा कर रहे हैं जिन पर आप मौन रहे। ये हमारी पीढ़ी की ताकत है कि हमने आपके पूर्व की पीढ़ियों को भी पढ़। उन्हें भी सत्य की कसौटी पर कसा। आपको पीढ़ी को भी पढ़ रहा हूँ। जो बातें जो तथ्य व सत्य हमसे छिपाई गई उन्हें भी सामने ला रहे हैं और आगे आने वाली पीढ़ियों से न छिपाया जा सके इसकी भी व्यवस्था कर रहे हैं। हम शिक्षित जरूर हो रहे हैं किंतु दीक्षित कदापि नहीं।
सॉरी सर, हम प्रश्न भी करेंगे। उत्तर भी देंगे। हम अपनी आनी वाली पीढ़ियों को वैसी विरासत नहीं देंगे जैसा हमें प्राप्त हुआ। हम दीक्षित नहीं करेंगे। हम उसके लेखक होने पर प्रश्न नहीं दागेंगे। हम सभी पक्षों को उसके सामने रखेंगे और फिर उन्हें ही तय करने देंगे कि उसका पक्ष क्या हो? सॉरी सर, हम अपनी राय बनाएंगे।
ज्ञान अनमोल हैं, परंतु उसे आप तक पहुंचाने में लगने वाले समय, शोध, संसाधन और श्रम (S4) का मू्ल्य है। आप मात्र 100₹/माह Subscription Fee देकर इस ज्ञान-यज्ञ में भागीदार बन सकते हैं! धन्यवाद!
Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Select Subscription Plan
OR
Make One-time Subscription Payment

Bank Details:
KAPOT MEDIA NETWORK LLP
HDFC Current A/C- 07082000002469 & IFSC: HDFC0000708
Branch: GR.FL, DCM Building 16, Barakhamba Road, New Delhi- 110001
SWIFT CODE (BIC) : HDFCINBB
Paytm/UPI/Google Pay/ पे / Pay Zap/AmazonPay के लिए - 9312665127
WhatsApp के लिए मोबाइल नं- 8826291284