अर्चना कुमारी। नोटबंदी इस वजह से भी किया गया था कि जाली नोट की तस्करी पर रोक लगेगी लेकिन जाली नोटों की तस्करी पर अब तक रोक नहीं लग पाई है। फिलहाल दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जाली नोटों की तस्करी करने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है । पुलिस के अनुसार, दोनों तस्कर पांच साल से बांग्लादेश बॉर्डर से जाली नोट लेकर दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों में सप्लाई कर रहे थे। लेकिन कभी पकड़े नहीं गए।
पुलिस ने फिरोज शेख और मुफज्जल शेख के पास से आठ लाख रुपये के जाली नोट बरामद किए हैं और यह सभी जाली नोट दो हजार रुपये के हैं। हैरत की बात यह है कि 2016 में नोटबंदी के बाद बांग्लादेश और पाकिस्तान से जाली नोटों की खेप आनी बंद हो गई थी। लेकिन पिछले चार साल से एक बार फिर इस तरीके से फर्जी जाली नोट छाप कर उन्हें भारत में भेजा जा रहा है।
इतना ही नहीं इनमें उसी तरीके के सिक्योरिटी फीचर डाले जा रहे हैं, जो भारत सरकार डालती है। यह सारा गोरखधंधा पाकिस्तान की सरकारी प्रिंटिंग प्रेस से संचालित किया जाता है और बाद में यह जाली नोट डी कंपनी की मदद से नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते भारत में पहुंचाये जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस का कहना है कि अक्टूबर 2021 में स्पेशल सेल को सूचना मिली कि बांग्लादेश बॉर्डर के रास्ते पश्चिम बंगाल के बॉर्डर इलाके मालदा से जाली नोटों की खेप आ रही है।
इस जानकारी पर तस्करों को दबोचे जाने की योजना तैयार की गई और इसकी सूचना मिली इस गैंग के सदस्य फिरोज शेख और मुफज्जल शेख दिल्ली, पश्चिम बंगाल, बिहार और अन्य राज्यों में जाली नोट पहुंचा रहे हैं। यह भी पता चला कि वह जाली नोटों की एक खेप लेकर कालकाजी मंदिर बस स्टॉप के पास आने वाले है।
इस जानकारी पर दोनों को बुधवार को दिल्ली में आते ही धर दबोचा गया । तलाशी में उनके बैग से आठ लाख रुपये के जाली नोट मिले। यह सभी नोट दो-दो हजार रुपये के थे। इस बाबत स्पेशल सेल में मामला दर्ज किया गया । फिरोज शेख ने पुलिस को बताया कि वह मुर्शिदाबाद निवासी सलाम से नोटों की खेप लेकर आया था।
यह रकम वह दिल्ली में सप्लाई करने के लिए लाए थे। आरोपी का कहना था कि वह पिछले पांच साल से जाली नोटों की तस्करी कर रहे हैं। सलाम भारत बांग्लादेश बॉर्डर से जाली नोटों की खेप लेता है। वह एक लाख रुपये के जाली नोट 30,000 रुपये में लेते हैं और उसे आगे 40 से 45 हजार में बेच देता हैं।
अब तक वह दो करोड़ से ज्यादा रुपये के जाली नोट दिल्ली में दो साल के भीतर खपा चुके हैं। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को इसकी अब तक भनक नहीं मिल पाई। सूत्रों का दावा है कि इस तरह के कई और गिरोह पूरे देश में संचालित हो रहे हैं जो जाली नोटों की तस्करी करते हैं और स्थानीय पुलिस आशंका है कि उनको मदद प्रदान करती है।