अर्चना कुमारी । देश आजाद होने के बाद संविधान निर्माताओं ने अनुसूचित जाति और जनजाति की आर्थिक हालत बेहतर करने के लिए नौकरी में आरक्षण दी। इनके लिए आयोग बनाया और अनुसूचित जाति जनजाति पर होने वाले अत्याचार से निपटने के लिए सख्त कानून भी लेकिन कई मसलों पर अब इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
सरकार इस ओर तो बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रही है ,क्योंकि उसे वोट बैंक खिसकने का खतरा है। अनुसूचित जाति और जनजाति को मिले आरक्षण के चलते कई प्रतिभाशाली और अन्य जातियों के बच्चे नौकरी तथा अन्य सुविधाएं से तो वंचित हो ही रहे हैं ,अब अनुसूचित जाति /जनजाति कानून का दुरुपयोग भी खुलकर किया जा रहा है। अनुसूचित जाति जनजाति कानून से परेशान उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक परिवार 12 से अधिक मामले दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री के हाथों फांसी की मांग की गई है और पीड़ित परिवार ने अपने घर के बाहर पोस्टर भी चस्पा दिया है। इनके घर के पुरुष समाज जेल में हैं और महिलाएं तथा बच्चे न्याय की भीख मांग रहे हैं।
सूत्रों का दावा है कि उत्तर प्रदेश स्थित अलीगढ़ जिला अंतर्गत अलीगढ़ जनपद के थाना इगलास क्षेत्र में एक ही परिवार पर एससी-एसटी के व छेड़छाड़ के कई मुकदमे दर्ज हैं और इससे तंग आकर परिवार इच्छा मृत्यु की मांग की है। बताया जाता है कि कोतवाली इगलास क्षेत्र के गांव हस्तपुर जहां मुन्नी देवी परिवार पर एससी एसटी (SC-ST) के 12 से अधिक मामले दर्ज करवाए गए हैं, जिससे पूरा परिवार परेशान और तबाह है। हैरानी की बात यह है कि इसको लेकर बीते दिनों गांव में एक महापंचायत भी की गई थी लेकिन महापंचायत के दौरान पंचायत करने वाले लोगों पर ही मुकदमा पुलिस के द्वारा दर्ज किया गया।
बाद में पुलिस के द्वारा न्याय का आश्वासन देकर पंचायत को खत्म कराया गया । जब महापंचायत के बाद भी कोई फैसला नहीं हुआ तब पीड़ित परिवार ने अब इंसाफ की गुहार लगाई है। पीड़ित परिवार का कहना है उनकी संपत्ति को सरकार के द्वारा कुर्क कर लिया जाए। जिसके बाद उनको फांसी दे दी जाए या फिर उन्हें न्याय दिया जाए।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि झूठे मुकदमे में फंसा कर शिकायतकर्ता प्रशासन से बतौर मुआवजा 40 लाख रुपए ऐंठ चुका चुका है जबकि पीड़ित बुजुर्ग महिला का कहना है लंबे समय से उनका परिवार फर्जी मुकदमों से जूझ रहा है लेकिन आज तक कोई न्याय नहीं मिला और अब जीने की इच्छा खत्म हो गई है।इसी कारण उनके द्वारा अपने घर के बाहर पर्चे चस्पा करके इच्छा मृत्यु की मांग की गई है।
इस बारे में पुलिस अधीक्षक ग्रामीण पलाश बंसल का कहना है कि थाना इगलास के हस्तपुर गांव में एक पक्ष द्वारा फर्जी अभियोग पंजीकृत कराए जाने संबंधी कराए गए आरोपों के संबंध में यह अवगत कराना है कि यह अभियुक्त पक्ष है और इनके विरुद्ध महिला उत्पीड़न की गंभीर धाराओं एवं एससी- एसटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत है जबकि इसकी विवेचना क्षेत्र के सीओ स्तर द्वारा की जा रही है हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि मामला फर्जी है या जांच कार्रवाई कब तक पूरा होगा।
सूत्रों का दावा है कि पीड़ित परिवार जाट समुदाय से हैं और इस गाँव के लोगों का आरोप था कि एससी एसटी एक्ट का मुकदमें दर्ज कराने वाला दलित परिवार अब तक 40 लाख रूपये मुआवजा ले चुका हैं। गांव वालों का कहना था कि इस मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहल करें और पीड़ित परिवार का कहना है कि यदि उन लोगों के साथ न्याय नहीं हुआ तो वह आत्मदाह की भी चेतावनी दी है।