बड़ेबहादुर शूरवीरकहलातेहैं,सत्ता पाते हीजिम्मी बन जाते हैं
जेहादी से वे इतना घबराते हैं,कईतरहसे जजिया देते रहते हैं
आबादीमें करीबचौथाई हैं,फिरभी अल्पसंख्यक बन जाते हैं
नेताओं की ही ये कमजोरी है,डर के मारे सारे जिम्मी होते हैं
डीएनए इनका बिगड़ चुका है , ट्रांसजेनरेशनल ट्रामा है
इनके बूते कुछ भी नहीं है , इनका केवल ड्रामा है
सारे ड्रामेबाज हटाओ , ऐसा समय आ गया है
ये भी डूबें राष्ट्र भी डूबे , ऐसा संकट आ गया है
हिंदू अच्छी तरह से समझें , सर पर कैसा खतरा है?
अब डरने का समय नहीं है , वरना जान का खतरा है
क्या डरने के लिए बने हो ? क्या मरने के लिए बने हो?
क्या लुटने के लिए बने हो ? क्या मिटने के लिए बने हो ?
यदि ऐसा है तो सोते रहना , वरना अब फौरन जग जाओ ;
अपनी सारी कमियां छोड़ो,एक साथ अब सब मिल जाओ।
अस्त्र शस्त्र अब धारण कर लो ,राष्ट्र बचाने को सब आओ ;
कायर नेता को ठुकराओ , परम साहसी को ले आओ ।
महाबली की हम संतानें , भूल गये थे अपना गौरव ;
अब अपने इतिहास को जानो, जागृत करलो अपना गौरव।
बप्पा रावल , राणा प्रताप , राज सिंह की हम संताने ;
वीर शिवाजी , अहोम के फूकन , जैसों की है हम संतानें।
कभी किसी से हार न मानी , दुश्मन का सर काट दिया ;
वह तो हम अपनों से हारे , जिन्होंने हमको बांट दिया ।
अपनों की सब साजिश जानो ,डीएनए अब उनका जानो ;
इनके खून में ही कायरता , इनको पक्का जिम्मी मानो ।
दुश्मन से भी बदतर हैं ये , देश को धोखा देते हैं ;
तुष्टीकरण व आरक्षण से , कमजोर राष्ट्र को करते हैं ।
सबसे बड़ा राष्ट्र को खतरा , वो तो केवल इन्हीं से है ;
हिंदू को हरदम मरवाते , धर्म को खतरा इन्हीं से है ।
हिंदू अपना धर्म बचायें , राष्ट्र बचायें , खुद को बचायें ;
कायर साथी फौरन त्यागो , सभी साहसी आगे आयें ।
अंतिम रण है होने वाला , धर्म ध्वजा के नीचे आओ ;
अब सारे हिंदू मिल जाओ , देश को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“वंदे मातरम -जय हिंद”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”