वैसे तो देश में पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया था, लेकिन सही मायने में इस बार पहली बार भारतीय धुन के साथ गणतंत्र दिवस मनेगा। और यह कर दिखाया है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। इससे पहले तक हमारा गणतंत्र दिवस ब्रिटिश सरकार द्वारा थोपी गई मार्शल ट्यून पर ही मनता आ रहा है। लेकिन इस बार पीएम मोदी ने ब्रिटिश सरकार की गुलामी धुन को उठाकर बाहर फेंक दिया है। पीएम मोदी की पहल पर ही नागपुर की डॉ. तनूजा नाफडे ने भारतीय शास्त्रीय संगीत के आधार पर ‘शंखनाद’ नाम से यह धुन बनाई है। इस बार राजपथ पर कोई मार्शल ट्यून नहीं बजेगी, बल्कि इस बार शास्त्रीय संगीत से बनाई गई ‘शंखनाद’ धुन गूंजेगी।
गणतंत्र दिवस के लिए अभी तक आर्मी के जवान ही धुन तैयार करते रहे हैं। हमारे जवान को शुरू से ही मार्शल ट्यून तैयार करने का प्रशिक्षण दिया जाता रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने पहली बार इस क्रम को तोड़ते हुए बाहर से भारतीय संस्कृति के अनुरूप धुन तैयार करने की बात की। मोदी सरकार के निर्देश पर जनरल ओक ने डॉ तनुजा से संपर्क कर शास्त्रीय संगीत से सुजज्जित भारतीय धुन बनाने का आग्रह किया। ओक के आग्रह पर ही तनुजा ने ‘शंखनाद धुन’ की रचना की है।
सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर विवेक सोहेल की रचना ‘देश को आंच न आए’ पर ही तनुजा ने यह धुन तैयार की है। तनुजा की यह धुन अब हमारी सेना के लिए खास बन गई है। तनुजा की इस धुन को पहली बार राजपथ पर आयोजित गणतंत्र परेड के दौरान देश के जवान गुनगुनाएंगे।
गणतंत्र दिवस के लिए बनाई गई इस स्पेशल धुन के लिए 36 कलाकारों की जरूरत थी। सभी कलाकारों ने अपनी मेहनत से इसे खास बनाया है। तनुजा का कहना है कि वेस्टर्न धुन बनाने के आदी जवानों को शास्त्रीय संगीत सिखाना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन उन्होंने अपनी लगन की बदौलत सीखने में कोई देर नहीं लगाई। और अंत में सामूहिक सहयोग से यह धुन तैयार हो गई जो पहली बार 69वें गणतंत्र दिवस पर गूंजने को तैयार हैं।
URL : first time martial tune will be replaced by indian tune on repubic day!
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