आईएसडी नेटवर्क देश विरोधी आग उगलने वाले तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर के एनजीओ के खिलाफ दिल्ली के महरौली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई ।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि हर्ष मंदर महरौली इलाके में उम्मीद अमन घर नाम का संस्था चलाते हैं, जिसमें लावारिस बच्चे रहते हैं।
दावा किया गया है कि इस कथित संस्था में बच्चों का ख्याल नहीं रखा जा रहा था जबकि ठीक से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा था। जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
दिल्ली पुलिस का कहना है कि पिछले साल अक्टूबर 2020 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने संस्था का निरीक्षण किया था और हर्ष मंदिर के एनजीओ में भरपूर खामियां पाईं थीं, जिसके बाद एनसीपीसीआर की अनुशंसा पर एफआईआर दर्ज हुई।
दिल्ली पुलिस ने आईपीसी 188 और JJ एक्ट में एफआईआर दर्ज की है और आने वाले समय में हर्ष मंदर से इस बारे में नोटिस देकर पूछताछ की जाएगी ।
सूत्रों का दावा है कि नेशनल कमीशन फ़ॉर चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) ने चाइल्ड केयर होम की जांच की, जिसके बाद होम के खिलाफ कई संगीन आरोप लगाए गए हैं।
आरोप यह भी है कि चाइल्ड होम में बच्चों के साथ यौन शोषण हो रहा था, जबकि संदिग्ध सूत्रों से सरकार की नजर से छिपाकर पैसे लाये जा रहे थे। एनसीपीसीआर के चेयरपर्सन प्रियांक कांगू ने बताया कि चाइल्ड होम में कई बच्चों से यौन शोषण हो रहा था।
उनके रहने की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं था, क्योंकि बच्चों को पोर्टा केबिन में रखा जाता था। उन्होंने बताया कि आयोग ने बच्चों के रहन-सहन से लेकर होम की व्यवस्थाओं को देखा गया था।
होम के लड़के-लड़कियों को अवैध तरीके से सीएए के विरोध प्रदर्शनों में शामिल किया गया, जो पूरी तरह अवैध है। सिर्फ भीड़ बढ़ाने के लिए इन बच्चों का इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने यह भी दावा किया कि चिल्ड्रन होम को सरकार से पैसे दिए जाते हैं, जबकि वहां सरकार की नजरों से छिपकर आतंकी संगठनों का पैसा भी पहुंचता है।
पुलिस का कहना है कि सभी आरोपों की जांच की जा रही है। यह होम सोशल एक्टिविस्ट हर्ष मंदार का बताया जा रहा है, जिनका नाम सीएए (सिटीजन अमेण्डमेंट एक्ट) के दौरान हुए दंगों की चार्जशीट में भी शामिल किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि होम में साल 2012, 2013 और 2016 में भी सेक्सुअल एब्यूज होने की जानकारी मिली है। आरोपी वही शख्स है जिस पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का एक मामला चल रहा है और फिलहाल यह केस विचाराधीन है।
दिल्ली पुलिस ने पिछले साल मार्च महीने में पुलिस के डीसीपी लीगल सेल ने एक्टिविस्ट हर्ष मंदर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था और दिल्ली पुलिस ने मंदर पर सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का आरोप लगाया था।
हलफनामे में कहा गया था कि हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयानबाजी की है, जो कोर्ट की अवमानना है। हर्ष मंदर पिछले साल पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए दंगे से पहले भड़काऊ भाषण दिए थे, ऐसा भी आरोप उन पर लगा।
लीगल सेल ने हलफनामे में कहा था कि हर्ष मंदर ने ना सिर्फ हिंसा के लिए भीड़ को उकसाया, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बयान भी दिया, जो अवमानना है।
इस व्यक्ति पर जामिया में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लोगों को हिंसा के लिए उकसाने का आरोप है लेकिन उनके वकील दुष्यंत दवे ने कहा था कि वो भाषण ना तो देशद्रोह जैसा था और न ही भड़काऊ । फिलहाल यह मामला कोर्ट में लंबित है।