क्या हिन्दू कभी नहीं सुधरेगा?क्या महामूर्ख यूं बना रहेगा?
क्यों बुद्धि हो गई नष्ट-भ्रष्ट ? चुपचाप तमाशा देखेगा ?
क्यों नहीं उबलता रक्त तेरा ? चुपचाप यूं मौत को झेलेगा ?
कब समझेगा अब्बासी हिन्दू?कब उसके जाल को तोड़ेगा?
पग- पग पर अन्याय है तुझसे , दोयम दर्जे में पहुंच चुके ;
जातिवाद में तोड़ के तुझको , कितने टुकड़ों में बांट चुके ?
महाभ्रष्ट हिंदू – नेता हैं , दुराचार के प्रतिभागी ;
धर्म-सनातन छोड़ चुके हैं , हिंदू कितना है हतभागी ?
गुरु – विहीन भी हिंदू हैं , अब केवल दीनारी बाबा हैं ;
कोई सच्चा – धर्म न जाने , सब सरकारी बाबा हैं ।
सच्चा-गुरु है सोशल – मीडिया , ज्ञान की गंगा बहती है ;
हिंदू इसमें मारो डुबकी , बुद्धि शुद्ध तब होती है ।
बुद्धि शुद्ध जब तेरी होगी , भला-बुरा सब जान जायेगा ;
जिस कमी के कारण कटते आये , शत्रु-बोध आ जायेगा ।
शत्रु-बोध तुझमें आयेगा , तब ही शत्रु से बच पाओगे ;
ठीक-ठीक दीखेगा तुझको,अब्बासी-हिंदू पहचान जाओगें ।
सबसे बड़ा शत्रु है तेरा , जो है अब्बासी – हिन्दू नेता ;
बहुत बड़ा मायावी है ये , हर कुर्बानी तुझसे लेता ।
पूरी तरह भरी मक्कारी , इसी से झूठा-इतिहास पढ़ाता ;
हिंदू – शौर्य जाग न जाये , हर हथकंडे अपनाता ।
इसकी हर चाल समझना है , हिंदू को भी अब जीना है ;
घर – घर में हो धर्म की शिक्षा , प्रमुख शास्त्र को पढ़ना है ।
रामायण , महाभारत , गीता , हर – हिंदू को पढ़ना है ;
सही से जानो धर्म – सनातन , शासन हाथ में लेना है ।
धर्म का शासन देश में होगा , हर अन्याय मिटायेंगे ;
कानून का शासन लागू होगा , भ्रष्टाचार हटायेंगे ।
सारे एक बराबर होंगे , कोई भेदभाव न होगा ;
यथायोग्य सारे पायेंगे , तुष्टीकरण कहीं न होगा ।
गद्दारों की – मक्कारों की , पूरी शामत आयेगी ;
सरकारी – अब्बासी हिंदू , इनकी कौम मिट जायेगी ।
जब हिन्दू उत्कृष्ट बनेगा , सारा अज्ञान दूर होगा ;
हिंदू – राष्ट्र बनेगा भारत , राम – राज्य को पायेगा ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”