प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चाहते हैं कि देश-दुनिया और समाज उन्हें संपूर्णता में लें, उनका हिंदू पक्ष के साथ-साथ उनका मुस्लिम पक्ष भी जानें। लेकिन ‘मास्टरस्ट्रोकवादी सरकारी हिंदू’ अपनी चापलूसी में पीएम मोदी के इस ‘विजन’ को ही पलीता लगाने पर तुले हैं! उनके ‘संपूर्ण अवतार’ की राह में अब ‘मास्ट्रस्ट्रोकवादी’ ही बाधा बनने लगे हैं!
भस्मासुर की कहानी तो आपने सुनी ही होगी! ‘मास्टरस्ट्रोकवादी सरकारी हिंदू’ आज भस्मासुर की तरह हो चुके हैं। इन्हें देखकर अब समझ में आ रहा है कि कांग्रेस ने कैसे गुलामों की फौज बनाई होगी! अब मोदीजी ने कल अपने बचपन के जिस साथी अब्बास (पूरा नाम अब्बास मियांजीभाई रामसाणा मोमिन) की कहानी को स्वयं अंग्रेजी में लिखा और बोल्ड कर हाईलाइट किया, वह आज सारे नेशनल-इंटरनेशनल मीडिया में है। मोदी यही चाहते थे, इसीलिए लिखा था!
अब ‘गुलाम सरकारी हिंदुओं’ की दिक्कत है कि वह मोदीजी की एकतरफा छवि मन में बनाए घूम रहे हैं! वो छवि टूट रही है तो चिल्लाएं किस पर, सो जहां-तहां पागलों की तरह चिल्लाते घूम रहे हैं!
मोदीजी आरंभ से ही जो हैं, जैसे हैं, कभी नहीं छुपाया है। उनकी कोई गलती नहीं है। उनके बचपन के एक अन्य मुस्लिम साथी की कहानी स्वयं मैंने 2013 में लिखी अपनी पुस्तक ‘साजिश की कहानी-तथ्यों की जुबानी’ में दी है। और तब भी मैंने उसे ऐसे ही नरेट किया था कि मोदीजी सर्वसमावेशी हैं, लेकिन गुलामों की भीड़ को कौन समझाए? आज तो मोदी ही उन्हें समझाने में विफल हो रहे हैं, जैसे कभी महादेव भस्मासुर को समझाने में विफल रहे थे!
ये ‘सरकारी हिंदू’ मोदीजी को अपने हृदय में ‘हिंदू हृदय सम्राट’ की जगह देकर पूज रहे हैं, जबकि मोदी जी चीख-चीख कर कह रहे हैं कि ‘अरे मूढ़ों तुम्हारे कारण मेरी वैश्विक छवि खराब हो रही है! मैं मानवतावादी, सेक्यूलर और सबके विश्वास में भरोसा रखने वाला राजनेता हूं! अब मुझे बक्शो!’ उन्होंने स्वयं काफी बार कहा है कि ‘जो कमजोरियां सभी में है, वो मुझमें भी है।’ लेकिन गुलाम कहां मानने वाले हैं? उन्हें तो एक राजनेता को किसी तरह ‘महामानव’ साबित करना है,बस!
देखो ‘मास्टरस्ट्रोकवादियों’, अब्बास न केवल सही का कैरेक्टर है, बल्कि मोदी जी के भाई से बात कर इंडियन एक्सप्रेस ने छापा भी है कि वह न केवल उनके घर में उन सभी के साथ रहा, बल्कि वह पांच वक्त का नमाजी और हाजी मुसलमान है!
तो हे ‘सरकारी हिंदुओं’ तुम्हारी चापलूसी को सोशल मीडिया पर तुम्हारे जैसे ही ‘गुलाम मानसिकता’ वाले लोगों का समर्थन भले ही मिल जाए, लेकिन स्वयं मोदी जी का समर्थन तुम्हें कभी नहीं मिल सकता, चाहे चापलूसी में अपने कपड़े फाड़कर चिल्लते घूमते रहो! वैसे भी हिंदुओं के मरने पर उन्हें कोई ट्वीट करते या भाषण करते देखा है, जो वह तुम्हारी चिंता करेंगे?
तुम भस्मासुर हो चुके हो, जो मोदीजी के ‘वैश्विक नेतागिरी’ की राह में रोड़ा है! तुम जैसों के कारण दो कौड़ी का कतर और कुवैत तक उन्हें ‘आंख दिखा’ देता है! अब स्वयं मोदी जी तुमसे पिंड छुड़ाना चाहते हैं! बहुत हुआ, अब बक्श दो उन्हें! तुम्हीं इंटरनेशनल रिलेशनशिप, वर्ल्ड ऑर्डर, दुनिया ऐसे नहीं चलती, वो प्रधानमंत्री हैं, साधारण नेता नही- जैसे जुमले उछालते फिरते हो न? तो सुनो, उसी वर्ल्ड ऑर्डर में ‘सबका विश्वास’ वाला सेक्यूलर नेता चाहिए, हिंदू नेता नहीं! समझ में आया?
दुनिया में हिंदू देश हैं ही कितने? अब मात्र एक अधूरे (भारत हिंदू राष्ट्र नहीं, सेक्यूलर राष्ट्र है) देश का नेता वर्ल्ड नेता तो नहीं बन सकता न? देखा नहीं तुमने कि सेक्यूलर गांधी-नेहरू के आगे हिंदूवादी सरदार पटेल का क्या हश्र हुआ? जीत कर भी वह प्रधानमंत्री नहीं बन सके! तब वर्ल्ड ऑर्डर के लिए गांधी-नेहरू अपरिहार्य थे, सरदार जैसे हिंदूवादी नेता नहीं! आगे भी वर्ल्ड ऑर्डर के लिए अब्राहमिक नेता महत्वपूर्ण हैं, हिंदूवादी नेता नहीं!
तो हे ‘मास्टरस्ट्रोकवादी मूढ भेड़ों’ हमारे नेता के ‘वर्ल्ड लीडर’ बनने की राह में रोड़ा मत अटकाओ! ‘मोदी है तो मुमकिन है’ में विश्वास रखो! तुम्हीं तो कहते हो कि ‘जहां सबके सोचने की सीमा समाप्त होती है, मोदीजी वहां से सोचना आरंभ करते हैं!!’ तो हे गुलामों अपने इसी कहे पर अब तुम ही भरोसा क्यों नहीं कर रहे हो? मोदीजी की ‘सेक्यूलरी’ सोच पर भरोसा रखो!
‘शेर के दो कदम पीछे हटने’ का मंतव्य लोगों के पोस्ट पर ‘उछल-उछल’ कर लिखते रहते हो न! अब शेर के कदम खींचने का तात्पर्य खुद क्यों नहीं समझ पा रहे हो?