नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद विदेशी फंडेड एनजीओ की गतिविधियां अचानक से भारत में तेज हो गई हैं! वैसे मोदी सरकार ने अवैध रूप से चल रहे बहुत सारे विदेशी फंडेड एनजीओ का एफजीआरए पंजीकरण रद्द किया है, लेकिन इसके बावजूद 2014-15 के बीच विदेश से करीब 22 हजार करोड़ रुपया भारत के एनजीओ के खाते में आया है! सबसे अधिक पैसा देश की राजधानी दिल्ली के एनजीओ के खातों में आ रहा है, जिसमें क्रिश्चियन मिशनरीज आधारित एनजीओ सबसे आगे हैं! अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से सर्वाधिक पैसा देश के एनजीओ के पास आ रहा है।
संसद में एक प्रश्न के जवाब में गृहमंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 3068 गैर सरकारी संस्थाओं ने 2014-15 में 22 हजार विदेशी फंड हासिल किया है। ये वो एनजीओ हैं, जिन्हें कम से कम एक करोड़ रुपए की विदेशी फंडिंग हासिल हुई है। इससे कम राशि हासिल करने वाले एनजीओ की संख्या इसमें शामिल नहीं है। 2013-14 की अपेक्षा फंड में जहां 83.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, वहीं एनजीओ की संख्या में भी 33 फीसदी का इजाफा हुआ है।
वर्ष 2013-14 में कुल 2301 एनजीओ ने 12000 करोड़ रुपए विदेशी फंड हासिल किया था। इस लिहाज से देखा जाए तो पिछले एक साल में इस देश में न केवल विदेशी फंड की आवक बढ़ी है, बल्कि उसे लेने वाले एनजीओ की संख्या मंे भी लगातार बढ़ोत्तरी हुई है। देश की राजधानी दिल्ली और तमिलनाडु में में संचालित विदेशी फंडेड एनजीओ की संख्या सर्वाधिक है। विदेश से 7300 करोड़ रुपए तो केवल दिल्ली व तमिलनाडु के एनजीओ के लिए आया है!
रिपोर्ट के अनुसार 80 फीसदी पैसा तो केवल सात राज्यों- दिल्ली, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल में आया है। जुलाई 2016 तक 33 हजार 91 एनजीओ एफसीआरए- फाॅरन कंट्रीब्यूशन रेग्यूलेशन एक्ट के तहत पंजीकृत हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि विदेशी फंडिंग हासिल करने वाले एनजीओ की संख्या इस समय देश में किस भयावह गति से बढ़ रही है! केवल पिछले तीन साल में ही 51 हजार करोड़ रुपया विदेश से इस देश के एनजीओ के खातों में आया है!
सबसे अधिक फंड चर्च और इसाई मिशनरीज के एनजीओ में आया है, जिससे समझा जा सकता है कि भारत में धर्मांतरणा का कारोबार कितना बड़ा है। दक्षिण भारत में धर्मांतरण का कारोबार सबसे अधिक तेज है। इन सभी एनजीओ ने ग्रामीण विकास, बच्चों का विकास, स्कूलों व काॅलेजों का निर्माण, शोध के नाम पर विदेशी फंड हासिल किया है। आज जिस तरह से भारत के गांवों, कस्बों व शहरों में चर्च व इसाई मिशनरियों द्वारा संचालित स्कूल व काॅलेजों के निर्माण के नाम पर धर्मांतरण का खेल चल रहा है, उसमें इन एनजीओ की भूमिका पहले से संदेह के घेरे में है, अब इनकी फंडिंग का पैटर्न भी इसी ओर इशारा कर रहा है!
सर्वाधिक फाॅरन फंड हासिल करने वाले एनजीओ व उन्हें मिली राशि –
1) द वल्र्ड विजन आॅफ इंडिया, तमिलनाडु- 233.38 करोड़ रुपए
2) विलीवर चर्च इंडिया, केरल- 190.05 करोड़
3) रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट एंड हरा प्रदेश- 144.39 करोड़
4) इंडियन सोसायटी आॅफ चर्च आॅफ जीजस क्राइस्ट आॅफ लेटर डे सेंट्स, दिल्ली- 130.77 करोड़
5) पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन आॅफ इंडिया, दिल्ली- 130.31 करोड़
आंकड़ों का स्रोतः साभारः द हिंदू, 3 अगस्त, 2016, पेज-1 एवं 12