Archana Kumari. बड़े बेआबरू होकर तेरे कूचे से निकले, यह पंक्तियां मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमवीर सिंह पर सटीक बैठती है। उद्धव ठाकरे के करीबी परमबीर सिंह की सचिन वाझे से नजदीकी ले डूबी।
अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से लेकर टीआरपी घोटाले तक निरंतर विवादों में थे परमबीर सिंह और उनके पद से हटाए जाने के पीछे उद्धव ठाकरे की ढुलमुल सरकार को संजीवनी प्रदान करना है, जिसकी कारोबारी मुकेश अंबानी के घर के समीप विस्फोटक लदी स्कॉर्पियो कार पहुंचाने के मामले को लेकर जबरदस्त किरकिरी हो रही है।
नए पुलिस आयुक्त के तौर पर हेमंत नगराले ने अपना कार्यभार संभाल लिया है और उन्होंने पदभार संभालते हुए यह स्वीकार किया कि इस मामले को लेकर मुंबई पुलिस की छवि धूमिल हुई है।
उधर, परमबीर सिंह को उनके पद से हटाए जाने के पीछे कई कारण गिनाए जा रहे हैं। उनमें शिवसेना और कांग्रेस के द्वारा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर दबाव बढ़ाए जाने से लेकर खुद को पाक साफ साबित करना है।
बताया जाता है कि परमवीर सिंह की छुट्टी मातोश्री के आशीर्वाद लेकर मुंबई पुलिस की सेवा में वापस आए सचिन वाझे से आवश्यकता से अधिक नज़दीकियां बताई गई है क्योंकि परमवीर सिंह ने इस विवादित पुलिस अधिकारी को क्राइम ब्रांच के अधीन सबसे महत्वपूर्ण क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट में तैनात किया था ।
इतना ही नहीं बहुत कम समय में टीआरपी घोटाला से लेकर , कंगना और ऋतिक रोशन विवाद, कार डिजाइनर डीसी छाबरिया की जांच और अब मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक की हाई प्रोफाइल जांच भी इसी सचिन वाझे को सौंप दी थी।
बताया यह भी जाता है कि वाझे शिवसेना और कमिश्नर के बीच महत्वपूर्ण कड़ी था और दोनों मातोश्री से आशीर्वाद पाकर नित नए गुल खिलाने में लगे हुए थे। मुंबई पुलिस इतिहास में पहली बार उनके कार्यालय पर छापा पड़ा, जिससे भी परमवीर सिंह की किरकिरी हुई थी ।
1988 बैच के आईपीएस परमबीर सिंह ने 29 फरवरी 2020 को आईपीएस अधिकारी संजय बरवे की जगह इस पद की जिम्मेदारी मिली थी जबकि उन्हें अब कम महत्वपूर्ण डीजी होम गार्ड तैनात किया गया है।
उधर, राष्ट्रीय जांच एजेंसी की जांच में यह साफ हुआ मुंबई के जिस पॉश इलाके में जिलेटिन की छड़ें पकड़ी गई थीं वहां के सीसीटीवी कैमरे में जो शख्स दिखाई दिया था, वह जांच बाद यह साबित हुआ हैै कि सचिन वाझे ही था।
फुटेज में सचिन वाझे को एक बड़े रुमाल से अपना सिर ढके देखा जा सकता है ताकि कोई पहचान न पाए और वह पीपीई नहीं बल्कि बड़े साइज का कुर्ता पैजामा पहने दिख रहे हैं,जिससे कि उनके चेहरे और चाल-ढाल को पहचाना न जा सके।
एनआईए ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि छापेमारी के दौरान सचिन वाझे के कैबिन ने एक लैपटॉप भी बरामद किया गया लेकिन उसका डाटा पहले ही डिलीट किया जा चुका था।
वाझे से जब उनके लैपटॉप तथा फोन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह कहीं गिर गया है लेकिन सच यह है कि वाझे ने फोन को जानबूझकर कहीं फेंक दिया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी सचिन को लेकर उसके ठाणे सोसाइटी गई जबकि माहिम, घाटकोपर , बीकेसी आदि स्थलों पर वाझे को ले जाकर नाट्य सीन रूपांतरित किया गया ।
इस बीच अमरावती के निर्दलीय सांसद निर्दलीय नवनीत राणा ने कहा है कि यदि सचिन वाझे को मुंबई पुलिस से नहीं बचाया गया तो उसका भी हाल मनसुख जैसा ऐसा हो सकता है ।
उधर, एक बार फिर एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना पर निशाना साधा। उन्होंने कहा अगर रक्षा करने वाले इस प्रकार से अपराधी तत्व बन जाए तो सुरक्षा कौन करेगा।
उन्होंने कहा कि मुंबई में एंटीलिया के सामने जिलेटिन से भरी एक कार पाई गई, उसके बाद जो घटनाएं घटी वो सभी के सामने हैं। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से पुलिस महकमे से इस प्रकार की गाड़ी प्लांट की जाती है और उसके बाद की घटनाओं में इसमें सबसे बड़ी कड़ी मनसुख हिरेन का जिस प्रकार से खून किया जाता है ये सभी चीजें मुंबई और महाराष्ट्र के इतिहास में इससे पहले कभी नहीं हुई।
फडणवीस ने बताया कि सचिन छोटे मोहरा है, असली खेल कोई और खेल रहा है सचिन वाजे को ऑपरेट करने वाले उनके आका कौन हैं उन्हें ढूंढ कर निकलना होगा। इसके अलावा उन्होंने और कई तरह केेेे आरोप महाराष्ट्र सरकार पर लगाए ।
फडणवीस ने कहा, ‘एटीएस और एनआईए के पास कुछ ऐसे टेप हैं जिसमें मनसुख की आवाज है और उसमें सचिन वझे ने क्या कहा है उसकी भी पुष्टि होती है और मनसुख की हत्या की जांच भी एनआईए को करनी चाहिए।
उन्होंने सवाल उठाया सचिन को आखिर क्यों दुबारा पुलिस में लिया गया जबकि सचिन शिवसेना के एक्टीव मेम्बर रहे। कोरोना के समय ऐसी क्या जरूरत पड़ गयी कि सरकार ने सचिन को पुलिस में वापस लिया। असल में यह सिर्फ वसूली रैकेट का काम कर रहे थे और मनसुख को मार दिया गया।
कुल मिलाकर कर अगर हम पोस्टमार्टम की रिपोर्ट को देखें तो इन्हें कस कर बांधा गया था और इनके लंग्स में पानी नहीं था। हमें मुंबई ATS पर अविश्वास नहीं पर दबाव जरूर है ये मामला भी एनआईए को जाना चाहिए।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने बयान जारी कर कहा कि अगर सचिन इस मामले में दोषी हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी कोई भी दोषी इस मामले में बख्शा नहीं जाएगा। सनद रहे है कि संजय राउत इससे पहले सचिन वाजे का बचाव करते नजर आए थे