किसी भी सरकार की सफलता का आकलन महज इससे नहीं आंका जाता कि उसने कितना विकास किया है, बल्कि इससे आंका जाता है कि किसके लिए और किस तरह किया है। देश की अंतिम पंक्ति में खड़े रहने वालों की फिक्र हर प्रधानमंत्री और उनके मंत्री जताते हैं, लेकिन उन्हें आगे लाने के लिए किसने कदम उठाया और किसने पहल की, यह महत्वपूर्ण होता है। गांधी की कई उक्तियों को दोहराते आप हर किसी के मुंह से सुन लेंगे, लेकिन उसे अमल में लाने वाला बड़ा होता है दुहराने वाला नहीं। तभी तो आज अगर मोदी सरकार के चार साल के अथक प्रयास के बाद दुनिया के मानचित्र पर देश चमक रहा है तो इसमें वही काम सितारे के रूप में गिने जा रहे हैं जो गरीबों के कल्याणार्थ किए गए हों। मोदी सरकार की चार साल की उपलब्धियों में से एक है संपूर्ण विद्युतीकरण योजना भी है जिसके तहत आज हर गांव तक बिजली पहुंच चुकी है। मोदी सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में प्रस्तुत है एक महत्वाकांक्षी दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की सफलता की विस्तृत चर्चा।
मुख्य बिंदु
* स्पष्ट उदेश्य, निर्धारित लक्ष्य और कठोर संकल्प की बदौलत पूरी हुई यह योजना
* दशकों से अंधेरे में डूबे 18,500 गांवों के लोगों को आखिर 21वीं सदी में कराया प्रवेश
बीसवीं सताब्दी के पूर्वार्द्ध में महात्मा गांधी की कही हुई बात आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना तब थी कि ‘भारत गांवों में बसता है’। लेकिन कितनी दुर्भाग्य की बात है कि आज भी दशकों बीत जाने के बावजूद आज भी हमारे गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। लाखों परिवार के घरों में बिजली के एक बल्व भी नहीं होना हमारे लिए बहुत ही पीड़ा की बात थी।
तभी 2014 में देशवासियों द्वारा नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा नीति एनडीए सरकार का चुनाव एक बदलाव लेकर आया। साल 2015 में ही खुद को देश का प्रधानमंत्री के बजाय प्रधान सेवक कहलाने वाले नरेंद्र मोदी ने लाल किले से यह घोषणा की कि अब देश में बिजली आपूर्ति के तहत हो रही नाइंसाफी खत्म होगी जिसके तहत देश के 18,500 गांवों आज भी बिजली से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि इतने दिनों तक बिजली से वंचित ये गांव अब अंधेरे में नहीं रहेंगे। उन्होंने उन सभी गांवों में एक हजार दिन के अंदर बिजली पहूंचाने का वादा किया। इतने दिनों तक बिजली से वंचित लोगों के गुस्से को भांपते हुए ही बिजली मंत्रालय ने निर्धारित समय सीमा न केवल लक्ष्य पूरा करने का बल्कि सदियों से बिजली से वंचित लोगों को अंधेरों से निकालने का संकल्प लिया। केंद्र सरकार ने जिस प्रकार भाजपा के प्रेरक पुरुष दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर इस योजना का नाम रखा उससे बेहतर नाम कोई और हो भी नहीं सकता था। क्योंकि दीनदयाल उपाध्याय वही विचारक हैं जो देश की अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के उत्थान के लिए अंत्योदय का विचार दिया था। अंत्योदय का मतलब ही होता हैं ‘अंतिम का उदय’।
आपको बताते हुए हर्ष हो रहा है कि इसी साल 28 अप्रैल को इस सरकार ने अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश के अंतिम गांव तक बिजली पहुंचाकर अपना संकल्प पूरा किया। मोदी सरकार ने चार सालों में कई उपलब्धियां अर्जित की हैं लेकिन जब सरकार की सफलता का आंकलन होगा तो निश्चित रूप से देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने वाली सफलता शीर्षस्थ होगी। क्योंकि यह काम किसी निहित स्वार्थ के तहत नहीं बल्कि उन लोगों को विकास की गति में शामिल करना था जो अभी तक अंधेरे में थे। सरकार का यही मूल काम भी होता है। सबके साथ सबका विकास को चरितार्थ करने वाली सरकार की इससे बड़ी उपलब्धि और क्या हो सकती है? क्योंकि इस सरकार ने उन 18,500 गांवों में रहने वालों को भी आखिरकार 21वीं सताब्दी में प्रवेश करा ही दिया।
हालांकि सरकार के लिए उन साढ़े अट्ठारह हजार बचे गांवों में बिजली पहुंचाना आसान नहीं था। क्योंकि ये सारे गांव दूर-दराज इलाके के थे, जहां पैदल पहुंचना भी आसान नहीं था। कुछ गांव पहाड़ों पर बसे थे तो कई गांव खाइयों में। लेकिन सरकार ने ठान ली तो ठान ली। इसे अंजाम तक पहुंचाने में इंजीनियरों और कामगारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन लोगों ने हर बाधा को पार करते हुए अपनी जिम्मेदारियों को निभाया। तभी तो बिजली मंत्रालय का दायित्व संभाल चुके पीयूष गोयल का कहना है कि जब वे अपने विद्यूतीकरण मिशन को मुड़कर देखते हैं तो वे उनलोगों के प्रति काफी आभार महसूस करते हैं जिन्होंने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोई कोताही नही बरती।
गोयल का कहना है कि इस योजना के दौरान कई प्रकार की बाधाएं आईं। उन्होंने कहा कि जब हमलोगों ने इस योजना को शुरु किया तो राज्य सरकारों ने जो आंकड़े दिए उसके हिसाब से हम लोगों को 1,200 अधिक गांवों में विद्युतीकरण करना पड़ा। क्योंकि उनके डाटा भी गलत थे। लेकिन हमारे अधिकारियों ने बिना घबराए उन छूटे हुए गांवों तक धैर्य से बिजली पहुँचाने का काम किया!
सरकार ने हर गांव तक बिजली पहुंचाने के अपने संकल्प को पूरा करने के तुरंत बाद ही अपना अगल लक्ष्य निर्धारित कर लिया है। केंद्र सरकार ने इसी साल दिसंबर तक अब हर घर में बिजली पहुंचाने का वादा कर लिया है। पीयूष गोयल का कहना है कि जिस प्रकार बिजली मंत्रालय ने हर गांव तक बिजली पहुंचाने के मीशन को पूरा किया है उसी प्रकार हमारी सरकार अपने कर्मठ अधिकारियों और कामगारों के बल पर इस मिशन को भी निर्धारित समय सीमा के अंदर ही पूरा कर लेंगे। सरकार अपने संकल्प को पूरा करने के प्रति आश्वस्त है।
किसी भी सरकार का उद्देश्य, लक्ष्य और संकल्प जानना बहुत जरूरी है, तभी तो उसकी सफलता का आकलन बेहतर तरीके से किया जा सकता है। मोदी सरकार ने अभी तक जो काम किया है उसमें उद्देश्य,लक्ष्य और संकल्प तीनों निहित है। तभी तो कठिन से कठिन योजनाओं को आसानी से पूरा किया जा रहा है।
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