संदीप देव :-
फ्रांस ने टेलीग्राम के संस्थापक पॉवेल डुरोव को किया रिहा। डुरोव की गिरफ्तारी के बाद UAE ने फ्रांस से 80 राफेल विमान खरीदने का सौदा रद्द करने की धमकी दी थी, जिसके बाद फ्रांस को डुरोव को छोड़ना पड़ा। डुरोव के पास फ्रांस और UAE, दोनों की नागरिकता है।
छूटने के बाद डुरोव ने अपने टेलीग्राम चैनल पर एक लंबा पोस्ट लिखा है, जिसका लिंक इस पोस्ट के आखिर में संलग्न है, आप सब पढ़ सकते हैं।
UAE जैसा एक छोटा देश अपने एक नागरिक के लिए किस हद तक जाकर अपनी संप्रभुता की रक्षा कर सकता है और बड़े देश से टकरा सकता है, वह यह इस मामले में दिखा। विशेषज्ञ बताते हैं कि डुरोव की गिरफ्तारी के इस खेल में फ्रांस के साथ अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA और इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद भी शामिल थी।
दरअसल टेलीग्राम का ‘सेफ्टी की’ इतना पावरफुल है कि कोई इसे डिकोड नहीं कर पाता। पहले रूस ने डुरोव से यह ‘की’ मांगी थी, जिसके बाद डुरोव ने रूस को ही छोड़ दिया। ज्ञात हो कि डुरोव मूल रूप से रशियन नागरिक है। फिर उसने UAE और फ्रांस की नागरिकता ली। अब पूरा यूरोप और अमेरिका उसके पीछे पड़ा है।
असल में यूक्रेन में लड़ रहे नाटो सैनिकों की पहचान टेलीग्राम के कारण उजागर हो रही है। नाटो में शामिल अमेरिकी और यूरोपियन सैनिकों का वीडियो लोग डाल रहे हैं, जिससे यह भेद खुल रहा है कि यूक्रेन में असल में अमेरिका और उसके पार्टनर देश के सैनिक रूसी सैनिकों से लड़ रहे हैं।
यही स्थिति गाजा की है। वहां भी इजरायल के हमले का वीडियो फिलिस्तीनी टेलीग्राम के मार्फत ही शेयर कर रहे हैं, जिससे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद भी परेशान है।
यह सच है कि टेलीग्राम के सुरक्षा फीचर को किसी के द्वारा न तोड़े जाने के कारण अलकायदा, आइसिस आदि जैसे आतंकवादी संगठन, मानव तस्कर, ड्रग पैडलर आदि अपराधी-आतंकवादी के लिए भी यह सेफ बना हुआ है और यही सभी देशों की खुफिया एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है।
विशेषज्ञों की रिपोर्ट बताती है कि टेलीग्राम के अलावा सारे सोशल नेटवर्क पर CIA का नियंत्रण है। यहां तक कि सिग्नल जिसे सबसे सेफ करके प्रचारित किया जाता है, उसका पूरा अल्गोरिदम CIA ने अपने मुख्यालय में तैयार किया है। अमेरिका से संचालित एक भी टेक्निकल सोशल प्लेटफार्म को अपने हिसाब से अल्गोरिदम तक बदलने की अनुमति नहीं है। इसकी पुष्टि ट्वीटर के संस्थापक जैक डोरजी ने भी अपने एक पोस्ट में की थी।
असल में अमेरिका संचालित टेक कंपनियों का सबकुछ CIA, FBI और अमेरिका का स्टेट डिपार्टमेंट ही तय करता है। ऐसे में वह टेलीग्राम पर कंट्रोल करने के लिए भी जी-जान से जुटा हुआ है।
अभी हाल ही में मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम की पैरेंट कंपनी) के मलिक मार्क जुकरबर्ग ने अप्रत्यक्ष रूप से यह स्वीकार किया कि CIA, FBI और अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट (अमेरिकी डीप स्टेट) का उसके फेसबुक, इंंस्टा आदि पर नियंत्रण है। अमेरिका की वर्तमान सरकार और नियंत्रण चाहती है, मार्क ने अपने द्वारा जारी पत्र में इसे साफ-साफ लिखा। पहले भी फेसबुक पर यह सवाल उठता रहा है। एक बार तो एक निजी कंपनी को यूजर का डाटा बेचने का आरोप भी फेसबुक पर लग चुका है।
टेलीग्राम के मालिक डुरोव यूजर के डाटा और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, यह ठीक है, परंतु आतंकवादी-अपराधी संगठन यदि टेलीग्राम का उपयोग अपने प्रोपोगंडा को फैलाने के लिए कर रहे हैं, तो यह बेहद चिंता का विषय है।
डुरोव ने अपने पोस्ट में दुनिया को आश्वासन दिया है कि आतंकवादियों और असमाजिक तत्वों के टेलीग्राम एकाउंट डिलीट किए जा रहे हैं, तो इसे उन्हें गंभीरता से करना होगा, अन्यथा जो नागरिकों की सुरक्षा का प्लेटफार्म है, वही उसके लिए खतरा न बन जाए।
भारत सरकार भी इसी चिंता में टेलीग्राम को लेकर जांच करा रही है। कई मीडिया खबरों को मानें तो भारत में टेलीग्राम पर बैन लग सकता है, परंतु मुझे ऐसा नहीं लगता। भारत की सरकार टेलीग्राम को वार्निंग दे सकती है, लेकिन बैन से भारत और UAE के रिश्ते पर असर पड़ सकता है, जबकि मोदी सरकार में UAE के साथ भारत का रिश्ता मजबूत है! एक सोशल प्लेटफार्म के लिए दो देशों के रिश्तों को सरकार दाव पर नहीं लगा सकती। फ्रांस और UAE के बीच डुरोव की गिरफ्तारी के बाद जो कटुता उत्पन्न हुई, उसके बाद तो बैन की संभावना नगण्य है। हालांकि देश की सुरक्षा का मुद्दा लेकर सरकार चाहे तो आराम से ऐसा कर सकती है, उसे यह अधिकार है। बता दूं कि अभी-अभी ब्राजील ने X (पहले ट्विटर) पर बैन लगाया है।
धन्यवाद।
पॉवेल डुरोव के टेलीग्राम पोस्ट का लिंक: https://t.me/durov/342