अर्चना कुमारी। यूनाइेटड हिन्दू फ्रंट ने ज्ञानवापी मामले में प्लेसिस आफ वर्शिप एक्ट 1991 लागू नहीं होने को ऐतिहासिक निर्णय बताया है। इससे देश भर के उन मंदिरों को ‘मुक्त’ करवाने का मार्ग खुल जाएगा जिन्हें ध्वस्त करके जबरी मस्जिदों में तबदील कर दिया गया था।
फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष भगवान गोयल ने आज यहां कहा कि विश्व भर के हिन्दुओं की निगाहें ज्ञानवापी फैसले के इंतजार में लगी हुई थी। तमाम हिन्दुओं को पूर्ण विश्वास था कि चिरप्रतीक्षित निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में आएगा और आधारहीन मुस्लिम दलीलें कोर्ट में धराशाही हो जाएंगी। गोयल ने कहा कि देश भर में लगभग 30000 ऐसे मंदिर है जो हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त करके जबरी मस्जिदों में तबदील कर दिए गए थे।
उन्होंने कहा कि देश भर में तीन लाख के करीब मस्जिदें है जो किसी अन्य मुस्लिम देश में इतनी संख्या में नहीं है। देश की आजादी के बाद हिन्दू मुस्लमानों को गंगा-यमुना तहजीब के अंर्तगत हिन्दुस्तान में रहने देने को तैयार हुआ थे लेकिन हिन्दुओं के धार्मिक स्थल का जिस प्रकार अनादर हुआ और विगत की सरकारें मूकदर्शक बनी रही, हिन्दुओं को व्यथित कर देता है।
गोयल ने कहा कि यदि ज्ञानवापी की भांति श्री कृष्ण जन्म भूमि के साथ बनी ईदगाह, दिल्ली की जामा मस्जिद, कुतुब मीनार और आगरा की मस्जिद का सर्वे करवाया जाए तो दूध का दूधपानी का पानी हो जाएगा। सरकार को 1991 के पूजास्थल एक्ट को तत्काल रद्द कर देना चाहिए क्योंकि किसी से छुपा नहीं रह गया कि हजारों हिन्दू मंदिरो को तोड़कर उनपर मस्जिदें बना दी गई थी।